पंचदेवरी/गोपालगंज. अब गंडक नदी के किनारे प्राकृतिक खेती की जायेगी. राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत इसका क्रियान्वयन होगा.
मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य के कृषि निदेशक नितिन कुमार सिंह द्वारा पत्र जारी कर जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देशित भी किया गया है. निदेशक के निर्देशानुसार प्राकृतिक खेती के लिए नदी के किनारे कलस्टरों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. इसके लिए छह प्रखंडों में 24 पंचायतों का चयन किया गया है. बैकुंठपुर में फैजुल्लाहपुर, प्यारेपुर, बांसगांव मंसुरिया, चिउटहां, खैराआजम, सिधवलिया में डुमरिया व अमरपुरा, बरौली में सलेमपुर, हसनपुर, मोहदीपुर पकड़िया व देवापुर, मांझा में गौसियां, निमुइयां, भैसहीं व पुरैना, गोपालगंज में विशुनपुर पूर्वी, विशुनपुर पश्चिमी, यादोपुर दुखहरन तथा कुचायकोट में दुर्ग मटिहिनिया व टोला सिपया पंचायतें कलस्टर के लिए चयनित हुई हैं. हिंदुस्तान प्रशासन के कृषि एवं कल्याण मंत्रालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी मार्गदर्शिका के अनुसार प्रत्येक क्लस्टर 50 हेक्टेयर का होगा और प्रत्येक क्लस्टर से 125 किसानों को जोड़ा जायेगा. गंडक नदी के किनारे स्थित विभिन्न पंचायतों को मिलाकर जिले में 10 बनाये जा रहे हैं. इनमें कुल पांच सौ हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य है. 10 कलस्टरों को मिलाकर कुल 1250 किसान इस मिशन से लाभान्वित होंगे. किसानों के चयन के बाद उन्हें संबंधित ट्रेनिंग दी जायेगी. ट्रेनिंग में किसानों को प्राकृतिक खेती के विभिन्न तरीकों से अवगत कराया जायेगा. रासायनिक खादों के दुरुपयोग बताये जायेंगे तथा जैविक खादों का प्रयोग करने के लिए उन्हें प्रेरित किया जायेगा. प्राकृतिक खेती किस तरह करनी है, इसके सभी टिप्स उन्हें बताये जायेंगे. साथ ही इस मिशन से जुड़े हिंदुस्तान प्रशासन के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के उद्देश्यों से भी अवगत कराया जायेगा. किसानों को प्रशासन प्रत्येक वर्ष प्रति एकड़ चार हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी देगी.
प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए चलाया जायेगा जागरूकता कार्यक्रम
विभाग के निर्देशानुसार प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया जायेगा. कृषि सखी का चयन किया जायेगा. प्राकृतिक खेती, प्रथाओं व ज्ञान के सरल विस्तार के लिए किसान से किसान विस्तार को सामुदायिक आधारित संगठनों जैसे स्त्रीओं के स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठन, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां आदि से समन्वित किया जायेगा. प्रत्येक कलस्टर में दो सीआरपी तैनात किये जायेंगे, जो समुदाय में जागरूकता पैदा करेंगे और किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.
निगरानी समितियां करेंगी मिशन की मॉनीटरिंग
मंत्रालय की मार्गदर्शिका के आलोक में जिला स्तर पर नामित नोडल पदाधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी एवं आत्मा के संयोग से मिशन से संबंधित विभिन्न गतिविधियां क्रियान्वित होंगी. राज्य मिशन इकाई तथा जिला व ब्लॉक स्तर की निगरानी समितियां नियमित रूप से खेत स्तर के संकेतों, किसानों की प्रगति तथा कलस्टरों में एनएफ के विस्तार की निगरानी करेंगी. मिशन की सफलता को लेकर यह भी गाइडलाइन जारी की गयी है कि प्रत्येक प्रशिक्षित किसान और छह किसानों को प्रशिक्षित करेंगे. नदी के किनारे स्थित हर जिले में अधिक से अधिक संख्या में किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य है. जिले में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की सफलता को लेकर विभाग की टीम काफी सक्रियता से लगी हुई है.
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