Home Loan: क्या आप अपने सपनों का घर बनाना चाहते हैं? अगर हां, तो आपके लिए सुनहरा मौका आने वाला है. होम लोन पर ब्याज दरों में कमी होने के चांस अधिक नजर आ रहे हैं. इसका कारण यह है कि देश के टॉप के सात शहरों में घरों की बिक्री घटने से रियल एस्टेट कंपनियों की संस्था नारेडको ने शुक्रवार को होम लोन की ब्याज दरें घटाकर 6% पर लाने का सुझाव दिया है. अगर देश के बैंक होम लोन की ब्याज दरों को घटाकर 6% पर ले आते हैं, तब घर बनाना आपके लिए बेहद आसान हो सकता है.
साल की पहली छमाही में घटी घरों की बिक्री
प्रॉपइक्विटी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश के सात अग्रणी शहरों सहित नौ प्रमुख शहरों में रियल एस्टेट बाजार में मंदी देखने को मिल रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में घरों की बिक्री में 19% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह गिरावट 23% तक पहुंच गई थी.
घरों की बिक्री गिरने के क्या हैं कारण
रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नारेडको के अध्यक्ष जी हरि बाबू ने कहा कि घरों की बिक्री में गिरावट के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं.
- बीते तीन वर्षों में संपत्ति की कीमतों में तीव्र वृद्धि
- घर की आपूर्ति में तेजी, खासकर हैदराबाद जैसे शहरों में
- वैश्विक नेतृत्वक और आर्थिक अनिश्चितता
- वेतन वृद्धि की धीमी रफ्तार, जो बढ़ती कीमतों का मुकाबला नहीं कर पा रही
हरि बाबू के अनुसार, इन कारणों से ग्राहकों की खरीद क्षमता पर असर पड़ा है और उनका घर खरीदने का निर्णय टल रहा है.
होम लोन पर ब्याज दर घटाने की मांग
नारेडको अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि होम लोन पर ब्याज दरों को घटाकर 6% के करीब लाया जाना चाहिए, ताकि रियल एस्टेट बाजार को फिर से गति मिल सके. उन्होंने कहा कि भले ही आरबीआई ने फरवरी से अब तक रेपो रेट में 1% की कटौती की हो, लेकिन इससे ग्राहकों को अभी पर्याप्त राहत नहीं मिली है.
ईएमआई में कुछ राहत
रेपो रेट में कटौती के बाद घर खरीदारों की ईएमआई लगभग 7.5% से 8% तक कम हो गई है. हालांकि, हरि बाबू मानते हैं कि इससे बाजार में बड़ी मांग नहीं आएगी, जब तक कि होम लोन की ब्याज दरों को और कम नहीं किया जाता.
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झुग्गी पुनर्विकास और भूमि नीति की वकालत
हरि बाबू ने यह भी कहा कि प्रशासन को बड़े और मझोले शहरों में झुग्गियों के पुनर्विकास के लिए नई नीति लानी चाहिए, जिससे डेवलपरों को निर्माण के लिए ज्यादा भूमि उपलब्ध हो सके. उन्होंने बताया कि कोविड महामारी के बाद भूमि की कीमतों में तेज़ वृद्धि से किफायती आवास परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं और डेवलपरों के लिए लागत प्रबंधन चुनौती बन गया है.
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