Illegal Immigrants: अमेरिका से निर्वासित हुए हिंदुस्तानीय लोगों का तीन जत्था अब तक देश वापस आ चुका है. उन्हीं में से एक शख्स रोहित ने अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाई है. रोहित ने बताया कि जुलाई 2024 में अमृतसर के एक ट्रैवल एजेंट के जरिए उन्होंने अमेरिका का सफर शुरू किया था. एजेंट ने उन्हें कानूनी रूप से अमेरिका में प्रवेश दिलाने का वादा किया था. अमेरिका में बेहतर भविष्य की तलाश में रोहित एजेंट के झांसे में आते चले गए. पंजाब-हिमाचल प्रदेश सीमा पर कांगड़ा जिले के मिलवान गांव के निवासी रोहित ने अपने परिवार की किस्मत बदलने की उम्मीद में जुलाई 2024 में अमेरिका की यात्रा शुरू की थी, लेकिन महीनों की कठिनाई के बाद उन्हें वापस निर्वासित कर दिया गया है.
एजेंट ने वैध अमेरिकी वीजा का किया था वादा- रोहित
रोहित ने बताया कि वो अमृतसर के एक ट्रैवल एजेंट के संपर्क में थे. एजेंट ने उन्हें वैध अमेरिकी वीजा का वादा किया था. एजेंट ने रोहित से कहा था कि उन्हें पहले दुबई भेजा जाएगा. वहां से अमेरिका के लिए उनके वीजा की व्यवस्था की जाएगी. न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक रोहित ने बताया कि जब वह दुबई पहुंचे तो पहले से ही कई और उसी के जैसे युवा मौजूद थे. वे सभी वहीं फंसे हुए थे सभी बहुत लंबे समय से अपने वीजा का इंतजार कर रहे थे. रोहित ने बताया कि उनके पिता का देहांत पहले ही हो गया था, और वो अपनी मां को परेशान न करने के लिए उन्हें घटना के बारे में कुछ नहीं बताया.
दुबई से शुरू हुआ अमेरिका का जोखिम भरा अवैध सफर
रोहित ने बताया कि ट्रैवल एजेंट ने उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजने का वादा किया था, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. दुबई में कई सप्ताह बिताने के बाद एक दिन ट्रैवल एजेंट ने ग्रीस के लिए वीजा हासिल कर लिया. रोहित को दुबई से स्पेन के मैड्रिड भेज दिया गया. मैड्रिड में करीब दो सप्ताह गुजारने के बाद उन्हें मध्य अमेरिका के एक देश एल सेल्वाडोर ले जाया गया. यहां से अमेरिका में प्रवेश का अवैध और जोखिम भरा डंकी रूट शुरू हुआ. एल सेल्वाडोर से मैक्सिको तक की यात्रा में लगभग एक महीना लगा. यह यात्रा काफी परेशानियों वाला रहा. इस खतरनाक सफर के दौरान रोहित को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
भूखे रहना पड़ा, मारपीट की गई- रोहित
रोहित ने बताया की डंकी रूट इतना आसान नहीं है. जिन रास्तों से वो अमेरिका पहुंचने का सपना संजोए आगे बढ़ रहे थे उन रास्तों में डंकर्स अक्सर यात्रियों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार करते हैं. उनके साथ भी ऐसा हुआ. रोहित ने बताया कि उन्हें कई दिनों तक जमीन पर सोना पड़ा था. घने जंगलों से होकर गुजरने और भूख से तड़पने के लिए मजबूर होना पड़ता था. रोहित ने बताया कि अगर डंकर्स मेहरबानी दिखाकर खाना दे देते तो भोजन मिलता नहीं तो भूखे रहना पड़ता था. दूसरा कोई विकल्प नहीं था.
खर्च हो गए 40 से 50 लाख रुपये
रोहित वे बताया कि अमेरिका पहुंचने के इस प्रयास में करीब 40 से 50 लाख रुपये खर्च करने के बाद उनकी यात्रा अचानक से रुक गई. मैक्सिको में तिजुआना के रास्ते अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने के दौरान सीमा गश्ती दल ने उन्हें पकड़ लिया. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. अन्य कई लोग जो सीमा पार कर चुके थे उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया. सभी को सैन डिएगो की एक हिरासत केंद्र में ले जाया गया. उनके बायोमेट्रिक लिया गया. यहाँ मेडिकल जांच की गई. हिरासत संबंधित सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं. इस दौरान उन्हें बताया गया कि वो सभी अवैध रूप से आए हैं. उन्हें एक कोठरी में रखा गया.
निर्वासित होने तक हिरासत में रहे रोहित
रोहित ने बताया कि जब तक उन्हें निर्वासित नहीं किया गया तब तक वे हिरासत केंद्र में ही कैद रहे. रोहित ने बताया कि उन्हें सेंटर के अंदर ही रखा गया. 14 फरवरी को एक सूची लाई गई और उन्होंने नाम पढ़ना शुरू किया. कुछ समय बाद वे हमें दो बसों में कैलिफोर्निया के हवाई अड्डे पर ले गए. तब हमें पता चला कि हमें एक विमान में बिठाकर वापस हिंदुस्तान भेजा जा रहा है. रोहित ने कहा कि यात्रा के दौरान लोगों को हथकड़ी पहनाई गई थी.
एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं रोहित
रोहित की अमेरिका की दर्दनाक जर्नी का अंत हो गया. उन्हें वापस हिंदुस्तान भेज दिया गया. हिंदुस्तान लौटते ही रोहित और उसके परिवार ने ट्रैवल एजेंट से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उसका फोन बंद हो गया था. अमेरिका जाने के चक्कर में रोहित के 40 से 50 लाख रुपये खर्च हो चुके थे. अब उनकी आर्थिक हालत काफी खराब हो गई है. उन्होंने एजेंट के खिलाफ कार्रवाई और भुगतान की गई राशि वापस करने का अनुरोध कर रहे हैं.
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