Iran Israel War | Cluster Bomb: इजरायल और ईरान के बीच युद्ध के हालत बन आए हैं. दोनों ही देश एक-दूसरे पर जबरदस्त मिसाइल दाग रहे हैं. एक तरफ जहां इजरायल ईरान के परमाणु हथियार से जुड़े ठिकानों को निशाना बना रही है, तो वहीं दूसरी तरफ ईरान इजरायल के मुख्य शहरों तेल अवीव और यरुशलम को निशाना बनाया है. वहीं, इसी बीच इजरायल ने ईरान पर आरोप लगाया है कि ईरान की तरफ से मिसाइल के साथ-साथ क्लस्टर बम में दागे गए हैं. ये बम इजरायल के घनी आबादी वाले क्षेत्र गुश दान क्षेत्र में गिराए गए हैं. आपको बता दें कि, यह क्लस्टर बम बड़े पैमाने पर आम लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए जाना जाता है. ऐसे में इजरायल-ईरान के बीच चल रहे इस संघर्ष में पहली बार हुआ है जिसमें क्लस्टर बम का इस्तेमाल किया गया है. आइए जानते हैं कि कितना खतरनाक होता है क्लस्टर बम और क्यों लगाया गया है इसपर बैन.
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क्लस्टर बम क्या है?
एक क्लस्टर बम सैकड़ों छोटे बमों का संग्रह होता है. जिसे एक बड़े क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है. जब क्लस्टर बम को दागा जाता है तो यह सीधे अपने लक्ष्य पर फटने की बजाय बीच हवा में खुलकर पूरे इलाके में छोटे-छोटे बम गिराता है. ऐसे में ये छोटे बम जब नीचे गिरने के दौरान किसी चीज से टकराते हैं तो ये फट जाते हैं. इसलिए बड़े क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने के लिए इस क्लस्टर बम को ऊंचाई पर ही विस्फोट किया जाता है.
कैसे काम करते हैं क्लस्टर बम?
क्लस्टर बम को जमीन से हवा में हाइपरसॉनिक या सुपरसॉनिक मिसाइल के जरिए लॉन्च किया जाता है. जिसके बाद जैसे ही मिसाइल अपने लक्ष्य तक पहुंचती है, वैसे ही हवा में मिसाइल का वारहेड यानी विस्फोटक हिस्सा फट जाता है. जिससे छोटे-छोटे बम निकल कर एक बड़े क्षेत्र में फैल जाते हैं और जमीन पर गिरकर या किसी चीज से टकरा कर फट जाते हैं. इसके अलावा बम, तोप के गोले में भरकर, रॉकेट, एयरक्राफ्ट के जरिए भी क्लस्टर बम को गिराया जाता है. वहीं, अगर मल्टीपल लॉन्चिंग वाले रॉकेट सिस्टम से क्लस्टर बमों को गिराया जाए तो ये एक बार में ही बड़ी तबाही मचा देंगे.
क्यों खतरनाक है क्लस्टर बम?
क्लस्टर बम को किसी चीज से टकराकर फटने के लिए बनाया जाता है. ऐसे में जिस क्षेत्र में इसे गिराया जाता है वहां बड़ी संख्या में लोगों के भी मारे जाने या गंभीर रूप से घायल होने की ज्यादा आशंका होती है. ये बम लगभग 8-10 किमी के दायरे में फैल सकते हैं और वहां तबाही मचा सकते हैं. वहीं, कई बम गिरने के बाद फटने में असफल रहते हैं. ऐसे में ये बम लंबे समय तक लोगों के खतरा बन सकते हैं. ये दशकों बाद भी फट कर लोगों को मारने, घायल करने व अपंग करने में सक्षम है.
क्लस्टर बम है प्रतिबंधित
क्लस्टर बम के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए डबलिन में साल 2008 में अंतरराष्ट्रीय संधि की गई थी. इस संधि में क्लस्टर बमों के उत्पादन, रखने, बेचने या इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दी गई थी. इस दौरान कुल 111 देशों और 12 अन्य संस्थाओं ने इस संधि को स्वीकार कर लीय तो वहीं कई देशों ने इसका विरोध किया. इनमें ईरान, हिंदुस्तान, अमेरिका, चीन, पाकिस्तान, इजरायल, और रूस शामिल थे.
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