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Israel Iran Conflict: दोस्त से दुश्मन कैसे बन गए इजरायल और ईरान, क्यों जारी है प्रॉक्सी वॉर

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Israel Iran Conflict: इरायल ने ईरान पर शुक्रवार रात 12 जून को अचानक हमला कर दिया. ईरान की राजधानी तेहरान सहित फोर्दो, नतांज पर इजरायल ने मिसाइल हमले किए. इजरायल ने इसे ऑपरेशन राइजिंग लॉयन नाम दिया है. इसमें ईरान के सैन्य ठिकानों, परमाणु हथियारों से जुड़ी जगहों को निशाना बनाया है. इजरायल का मानना है कि ईरान के पास इतना प्लूटोनियम है कि वह नौ परमाणु बम बना सकता है. इजरायल नहीं चाहता है कि उसके किसी दुश्मन देश के पास परमाणु बम रहे. इसके लिए वह किसी भी सीमा तक जाने को तैयार है. ये हमले उसी कड़ी में किए गए.

नया राष्ट्र बनते ही शुरू हुआ युद्ध

संयुक्त राष्ट्र ने 1947 में फिलिस्तीन के विभाजन की घोषणा की थी और इजरायल को नए राष्ट्र का दर्जा दिया था. तब फिलिस्तीन और ईरान सहित 13 देशों ने इसका विरोध किया था. इसके बावजूद इजरायल के नए राष्ट्र के रूप में जन्म की आधारशिला रखी जा चुकी थी. 14 मई 1948 इजरायल ने स्वयं को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी. इससे नाराज फिलिस्तीन ने अरब देशों के साथ मिलकर इजरायल पर आक्रमण कर दिया. लेकिन उसे इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा. हार के बाद 1949 में फिलिस्तीन तीन हिस्सों बंट गया वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी. साथ ही सात लाख फिलिस्तीनी विस्थापित हो गए. तभी से आज तक फिलिस्तीन और इजरायल में दुश्मनी चल रही है.

ऐसे टूटी दोस्ती

इजरायल और ईरान के बीच 1950 से 1979 तक दोस्ती रही. क्योंकि ईरान के शाह रजा पहलवी के पश्चिम से अच्छे संबंध थे. शाह ने आयतुल्ला खोमनेई को देश से निकाल दिया था. खोमनेई इराक, तुर्की व फ्रांस में अपना समय बिताया लेकिन ईरान की सत्ता में उसकी दखल खत्म नहीं हुई थी. शाह की राजशाही और निरंकुशता के कारण ईरान की जनता में नाराजगी बढ़ती जा रही थी. जब 1978 में वहां एक सिनेमा हॉल में आग लगी और 400 लोगों की मौत हो गई तो उसमें आरोप शाह की सेना पर आया. इसी के बाद शाह के विरुद्ध आंदोलन शुरू हो गया. ये आंदोलन इतनी तेजी से जनआंदोलन में बदल गया कि शाह को देश छोड़कर भागना पड़ा. इस तरह 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हो गई और अयातुल्लाह खोमनेई वापस आ गए. उन्होंने ईरान में इस्लामिक शासन की स्थापना की. शरिया पर आधारित शासन शुरू किया. साथ पश्चिम से दूरियां बनानी शुरू कर दी. इसमें इजरायल से दूरियां बनाना भी शामिल था.

इजरायल के पासपोर्ट की मान्यता रद्द की

अयातुल्लाह खोमनेई के नेतृत्व में ईरान में एक कट्टरपंथी शिया इस्लामी गणराज्य की स्थापना हो गई थी. इसके बाद वहां की प्रशासन ने इजरायल को शैतान घोषित कर दिया. यहां तक कि ईरान ने इजरायली नागरिकों के पासपोर्ट को मान्यता देना बंद कर दिया. इजरायली दूतावास को बंद करके उसे फिलिस्तीन लिब्रेशन आर्गेनाइजेशन को सौंप दिया गया. इससे ही दोनों देश दोस्त से दुश्मन बन गए. ईरान के शासक इजरायल को अवैध और कब्जा किया हुआ देश मानते हैं. उनका मानना है कि इजरायल ने फिलिस्तीन पर जबरदस्ती कब्जा किया हुआ है. इसलिए उसे खत्म करके फिर से फिलिस्तीनी राज कायम करना चाहिए.

ईरान का परमाणु संपन्न बड़ा मुद्दा

इजरायल का सबसे बड़ा मुद्दा ईरान का परमाणु कार्यक्रम है. ईरान कहता है कि उसका न्यूक्लियर कार्यक्रम शांतिपूर्ण है. लेकिन पश्चिमी देश और इजरायल का मानना है कि ईरान परमाणु बम बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है. इजरायल का कहना है कि वह किसी भी हाल में ईरान को परमाणु हथियार बनाने नहीं देगा. इजरायल ने 1981 में इराक के परमाणु रिएक्टर और 2007 में सीरिया के रिएक्टर को तबाह किया था. इसके अलावा ईरान पर आरोप है कि वह ऐसे कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठनों का सपोर्ट करता है जो इजरायल के खिलाफ काम करते हैं. इसमें हमास, हिज्बुल्लाह, इस्लामिक जिहाद मूवमेंट और शिया मिलिशिया शामिल हैं.

इसलिए बढ़ा तनाव

अप्रैल 2024 में इजरायल ने दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमला किया था. इसमें कई अधिकारियों की मौत हो गई. जवाब में ईरान ने इजरायल पर 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइल से हमलाकर दिया. लेकिन इनमें से अधिकतर को इजरायल ने मार गिराया. इसके बाद से दोनों देशों में प्रॉक्सी वॉर जारी रहती है. इजरायल के यूरोप और अमेरिका का सपोर्ट है. जबकि ईरान को रूस और चीन मदद करते हैं. यदि दोनों देशों में युद्ध छिड़ता है तो ईरान से तेल और गैस की आपूर्ति बाधित होगी. जो कई देशों के लिए आर्थिक दिक्कतें पैदा करेगा.

हमास के हमले के तनाव चरम पर

7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर जमीन, हवा और समुद्र के रास्ते हमला किया था. इस हमले में इजरायल के नागरिकों को बुरी तरह से मारा गया था. इसका जवाब इजरायल ने गाजा पर हमलाकर दिया और जो आज तक जारी है. इजरायल के ताजा हमले में ईरान के परमाणु विज्ञानियों और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर-इन-चीफ हुसैन सलामी की मौत की सूचना है. उनकी जगह जनरल अहमद वहीदी को नए कमांडर की जिम्मेदारी दी गई है. नूरन्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद बाघेरी की मृत्यु के बाद हबीबोल्लाह सय्यारी को ईरानी सेना के जनरल स्टाफ का अस्थाई प्रमुख नियुक्त किया गया है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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