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Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ भगवान का एकांतवास समाप्त, आज नेत्रदान, कल निकलेगी रथयात्रा

Jagannath Rath Yatra 2024: रांची स्थित ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मंदिर में 26 जून को भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान अनुष्ठान भक्तों के लिए आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम लेकर आया है. 15 दिनों के एकांतवास (अनासर) के बाद भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा, गुरुवार को भक्तों को दर्शन देंगे.

अनुष्ठान की दिनभर की रूपरेखा

  • सुबह: स्नान मंडप में भगवान की नित्य पूजा और अर्चना होगी. इसके बाद ब्लुए भोग अर्पित किया जाएगा.
  • दोपहर 12 बजे: अन्न भोग के साथ मंडप का पट बंद होगा.
  • दोपहर 3 बजे: पट पुनः खोले जाएंगे, राधा-कृष्ण व अन्य देवताओं के दर्शन होंगे.
  • शाम 4 बजे: दर्शन बंद कर भगवान को स्नान मंडप में विराजमान किया जाएगा.
  • शाम 5 बजे: नेत्रदान अनुष्ठान प्रारंभ होगा, पूजन के उपरांत धूप आरती और मालपुआ का भोग लगेगा.
  • शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक: 108 दीपों से भव्य मंगल आरती के साथ भगवान के दर्शन व पूजा आम श्रद्धालुओं के लिए सुलभ रहेंगे.
  • 27 जून: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
  • अगले दिन, 27 जून को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी. यह दिन विशेष इसलिए होता है क्योंकि केवल इसी दिन भगवान को सुबह अन्न भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें चावल, दाल, सब्ज़ी, मोठा पुलाव और खोर शामिल होते हैं.
  • सुबह 4 बजे: विशेष पूजा की शुरुआत
  • 4:30 बजे: अन्न भोग अर्पित
  • 5 बजे से: सर्वदर्शन सुलभ
  • दोपहर 12 बजे: पट बंद
  • 2:30 बजे तक: भगवान के विग्रहों को रथ पर विराजमान किया जाएगा
  • 3 बजे: श्रृंगार-पूजन
  • 3:30 से 4:30 बजे तक: विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
  • 5 बजे: रथ यात्रा का शुभारंभ
  • 6 बजे: रथ मौसीबाड़ी पहुंचेगा
  • 6:45 बजे: स्त्री श्रद्धालुओं द्वारा पूजा
  • 7 बजे: दर्शन बंद व विग्रहों की प्रतिष्ठा
  • 8 बजे: 108 दीपों से शयन आरती

कल निकाली जाएगी रथयात्रा, भक्‍त रथों को खींचेंगे

मौसीबाड़ी में होगा विशेष पूजन

रथ यात्रा के दौरान जयकारों के बीच भगवान को खींचकर मौसीबाड़ी ले जाया जाएगा. वहां स्त्रीओं द्वारा रथ पर विशेष पूजा होगी. आरती, भोग और ‘जगन्नाथ अष्टकम’ का पाठ होगा. रात 9 बजे के बाद पट बंद कर भगवान विश्राम करेंगे.

रथ खींचने की विशेष मान्यता

हर साल रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं. रांची, रामगढ़, खूंटी, गुमला, हजारीबाग, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से भारी संख्या में श्रद्धालु रथ खींचने आते हैं. मान्यता है कि रस्सी खींचने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. स्त्रीएं भी बड़ी संख्या में इस अनुष्ठान में भागीदारी निभाती हैं.

333 वर्षों की परंपरा

रथ यात्रा की यह परंपरा 333 वर्षों से निरंतर चली आ रही है. रांची की यह यात्रा ओडिशा के पुरी के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी और भव्य रथ यात्रा मानी जाती है.

सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चाक-चौबंद

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए रांची जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं. खुद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार सिन्हा सुरक्षा की निगरानी कर रहे हैं.

स्त्रीओं और बुजुर्गों के लिए विशेष इंतजाम

स्त्री और बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए अलग कतारें, विश्राम स्थल और हेल्प डेस्क बनाए गए हैं. साथ ही, स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाएं भी प्रशासन का सहयोग कर रही हैं ताकि हर श्रद्धालु सुरक्षित और शांतिपूर्वक दर्शन कर सके.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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