Jal Samadhi: आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर को पालकी में रखकर उनके निवास स्थान से सरयू नदी के तट पर ले जाया गया. फिर उन्हें तुलसीदास घाट पर जल समाधि दी गयी. इससे पहले दोपहर बाद सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर को रथ पर रखकर नगर भ्रमण कराया गया. इससे पहले उनके उत्तराधिकारी प्रदीप दास ने बताया था कि रामानंदी संप्रदाय की परंपराओं के अनुसार दास को जल समाधि दी जाएगी.

ऐसे दी गई जल समाधि
प्रदीप दास ने बताया था कि जल समाधि के तहत शव को नदी के बीच में प्रवाहित करने से पहले उसके साथ भारी पत्थर बांधे जाते हैं. रामानंदी संप्रदाय की परंपराओं के अनुसार, जल समाधि देने से पहले रामलला के मुख्य पुजारी के पार्थिव शरीर को जुलूस के रूप में घुमाया गया, ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें. अयोध्या नगरी का भ्रमण कराते हुए सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान पर पहुंचा, फिर पालकी में रखकर नदी में ले जाया गया. जल समाधि से पहले उनके पार्थिव शरीर को हनुमानगढ़ी और राम जन्मभूमि के दर्शन के लिए ले जाया गया. बैंड-बाजों के साथ सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा शुरू हुई. इस दौरान लोगों ने पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि दी. अयोध्या के मुख्य पुजारी के अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग सरयू तट पर खड़े थे.
#WATCH | Acharya Satyendra Das, the chief priest of Ayodhya Ram temple, who passed away yesterday, given ‘Jal Samadhi’ in Saryu river in UP’s Ayodhya pic.twitter.com/zrYkaLZUrT
— ANI (@ANI) February 13, 2025
20 वर्ष में सत्येंद्र दास ने ले लिया था संन्यास
सत्येंद्र दास (85) को फरवरी की शुरुआत में ब्रेन स्ट्रोक के बाद संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में भर्ती कराया गया था, जहां बुधवार को उनका निधन हो गया. सत्येंद्र दास ने 20 वर्ष की आयु में ‘संन्यास’ ले लिया था. उन्होंने छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दौरान भी पुजारी के रूप में सेवा की थी. बाद में जब प्रशासन ने परिसर को अपने नियंत्रण में ले लिया, तो उन्हें अस्थायी मंदिर का मुख्य पुजारी बना दिया गया. उन्होंने बताया था कि उनके सामने बाबरी मस्जिद गिराया गया था. उन्होंने कहा था, “मैं वहां था. यह मेरे सामने हुआ. मैं इसका गवाह था.”
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