Jaya Kishori Quotes: प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी अपने एक उद्बोधन में कहती है कि “असल में हम सब अर्जुन हैं, बाहर का युद्ध तो व्यक्ति जीत सकता है लेकिन आज यहां बैठे हर व्यक्ति के मन में एक महाहिंदुस्तान चल रही होती है… कोई अपनी भावनाओं से लड़ रहा है तो कोई अपने आप से, कहीं कोई अपनों से लड़ रहा है. हर व्यक्ति के मन के भीतर एक महाहिंदुस्तान चल रही होती है… कभी सच झूठ से लड़ता है, कभी मोह वैराग्य से और कभी अहंकार नम्रता से…” – जया किशोरी
Jaya Kishori Motivational Thoughts: क्या है इस कथन का मर्म

यह कथन जीवन की गहराई को दर्शाता है. हर व्यक्ति अपने भीतर एक अंतर्द्वंद्व (आंतरिक संघर्ष) से गुजर रहा होता है. यह संघर्ष बाहरी लड़ाई से कहीं अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है. व्यक्ति का मन अच्छाई और बुराई, सच और झूठ, मोह और वैराग्य तथा अहंकार और नम्रता के बीच निरंतर संघर्ष करता रहता है. यही संघर्ष मन की महाहिंदुस्तान है, जहां सही और गलत के बीच निर्णय लेना जीवन का सबसे बड़ा धर्म बन जाता है.
हम सभी अर्जुन क्यों हैं?

महाहिंदुस्तान के युद्ध में जब अर्जुन ने अपने ही अपनों के खिलाफ हथियार उठाने से इनकार कर दिया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश देकर धर्म और कर्तव्य का मार्ग दिखाया. अर्जुन का यह संघर्ष सिर्फ बाहरी युद्ध का नहीं था, बल्कि वह अपने भीतर के भावनात्मक और नैतिक संघर्ष से भी लड़ रहे थे.
ठीक उसी प्रकार, हम सभी अर्जुन हैं. हम भी अपने भीतर चल रही भावनाओं, इच्छाओं और संस्कारों के बीच फंसे रहते हैं. कभी मोह हमें सही निर्णय लेने से रोकता है तो कभी अहंकार हमारी नम्रता को दबा देता है.
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Mahabharat of Emotions Inside Mind: मन के भीतर की महाहिंदुस्तान

- व्यक्ति को कई बार जीवन में ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं, जहां सच और झूठ के बीच चयन करना होता है. सच का मार्ग कठिन होता है, लेकिन अंततः वही विजय दिलाता है.
- सांसारिक सुखों और मोह-माया में फंसा व्यक्ति वैराग्य की ओर बढ़ने से डरता है. यह मोह ही व्यक्ति को सही मार्ग से भटकाता है और उसे आत्मज्ञान से दूर करता है.
- अहंकार व्यक्ति को पतन की ओर ले जाता है जबकि नम्रता उसे ऊंचाई तक पहुंचाती है. अहंकारी व्यक्ति खुद को दूसरों से बड़ा समझकर विनम्रता को भूल जाता है, जिससे जीवन में संतुलन बिगड़ जाता है.
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Fight Between Truth and Lies: क्यों होता है यह संघर्ष?

मनुष्य का स्वभाव द्वंद्व से भरा हुआ है. हर व्यक्ति के भीतर अच्छाई और बुराई का संग्राम चलता रहता है. मोह, क्रोध, ईर्ष्या, और अहंकार से ग्रस्त मनुष्य सही और गलत के बीच फंस जाता है. यह संघर्ष तब तक चलता रहता है जब तक व्यक्ति अपने भीतर के कृष्ण तत्व को नहीं जागृत करता.
How to Win Inner Battle: मन की महाहिंदुस्तान पर विजय कैसे पाएं?
- सत्य और धर्म का मार्ग चुनें: झूठ और पाखंड से दूर रहकर सच्चाई की राह पर चलें.
- मोह-माया से दूरी बनाएं: सांसारिक सुखों को त्याग कर आत्मज्ञान और आत्ममंथन की ओर अग्रसर हों.
- अहंकार को त्यागें और नम्र बनें: अहंकार को त्यागकर विनम्रता और सहानुभूति अपनाएं.
- भगवद्गीता का अध्ययन करें: गीता के उपदेश व्यक्ति को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं.
- ध्यान और आत्ममंथन करें: मन को शांत करने के लिए ध्यान और आत्ममंथन करें ताकि सही मार्ग का चयन हो सके.
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