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Lata Mangeshkar Death Anniversary: सफेद साड़ी, सोने के पायल, जानें हेमा से लता बनी ‘स्वर सम्राज्ञी’ की अनसुनी बातें

Lata Mangeshkar Death Anniversary: ‘स्वर सम्राज्ञी’, ‘कोकिला’ और ‘बुलबुले हिंद’ से पुरे देश में विख्यात लीजेंडरी सिंगर लता मंगेशकर की आज पुण्यतिथि है. 28 सितंबर 1929 में इंदौर में हेमा नाम से जन्मीं लता मंगेशकर ने 6 फरवरी 2022 को 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली थी. आज भले वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी मधुर आवाज आज भी हमारे कानों में मिश्री घोलने का काम करती है. आज उनकी तीसरी डेथ एनिवर्सरी पर हम आपको उनसे जुड़े कुछ ऐसे दिलचस्प किस्सों से रूबरू कराएंगे, जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे.

‘लता समग्र’ में दर्ज है 14 भाषाओं में गाए गानों का ब्योरा

लता मंगेशकर बहुमुखी प्रतिभाओं की धनी थीं. उन्होंने ना सिर्फ हिंदी गाने गाए, बल्कि देश की बुलबुल ने 14 भाषाओं में गानों को अपनी आवाज दी. साथ ही अपने करियर में उन्होंने 50 हजार से ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए, जिसके बाद उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया. लता मंगेशकर के साल 2014 तक गाए लिस्ट सुमन चौरसिया की किताब ‘लता समग्र’ में शामिल है. इसके मुताबिक, गायिका ने 5328 हिंदी फिल्मी गाने, 198 गैर फिल्मी गाने और 127 गाने ऐसे गाए जो कभी रिलीज नहीं हुए. साथ ही इस किताब में उनके 2014 तक अलग-अलग भाषाओं में गाए गए गानो की भी लिस्ट है. इसमें 405 मराठी गाने, 206 बंगाली, 69 पंजाबी, 48 गुजराती और 24 संस्कृत गानों शामिल है.

क्यों पहनती थीं सफेद साड़ी?

लता मंगेशकर अपने हर इवेंट या पुरस्कार समारोह में सफेद साड़ी पहनती थीं. गायिका को बचपन से ही सफेद रंग बहुत था. यतींद्र मिश्र ने लता मंगेशकर की बायोग्राफी ‘सुर गाथा’ में बताया था है कि जब उन्होंने लता से पूछा था कि वह सफेद साड़ी क्यों पहनती हैं तो गायिका ने कहा, ‘रंग मुझे अच्छे लगते हैं और वे सब साड़ियों में खूब फबते भी हैं, लेकिन दूसरों पर. खुद मुझे रंगीन कपड़े पहनना अटपटा सा लगता है. इसकी कोई वजह नहीं है, लेकिन अगर मैं कभी लाल या ऑरेंज कलर की साड़ी पहनती हूं तो मुझे लगता है कि किसी ने मुझ पर होली के रंग डाल दिए हैं, इसलिए मुझे सफेद या चंदन जैसे रंग पसंद आते हैं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘साड़ी जितनी सफेद होती है, मेरा मन उतना ही खुश हो जाता है. आप सोच रहे होंगे कि ऐसा भी क्या रंगों से परहेज करना, लेकिन मैं क्या करूं, मुझे गहरे रंग के कपड़े जंचते ही नहीं हैं.’

सोने के पायल पहनती थीं लता मंगेशकर

‘सुर गाथा’ किताब में ही इस बात का भी जिक्र किया गया था कि लता मंगेशकर अपने पैरों में कभी चांदी की पायल नहीं पहनती थीं. वह हमेशा सोने के पायल ही पहनना पसंद करती थीं क्योंकि उन्हें एक ज्योतिषी ने पैरों में साने की पायल पहनने की सलाह दी थी.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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