मधुबनी.
शारदीय नवरात्र में मां कूष्मांडा की पूजा दो दिनों तक वैदिक विधि विधान से की गई. घरों से लेकर मंदिरों तक हर जगह आदि शक्ति जगदंबा मां दुर्गा की पूजा अर्चना से माहौल भक्तिमय एवं आध्यात्मिक बना हुआ है. भक्त अपने अनुकूल दुर्गा माता को मनाने में जुटे हुए हैं. इस बार नवरात्र के दौरान चौठ तिथि दो दिनों तक रही. जिसके कारण माता कूष्मांडा की पूजा दो दिन गुरुवार और शुक्रवार को की गई. देवी का वास सूर्यमंडल लोक में है. सूर्य लोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है. इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है. इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं. ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है. मंदिरों व पूजा पंडालों से निकल रहे दुर्गासप्तशती के पाठ व जयकारे से संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक रस से सराबोर हो रहा है.
मां स्कंदमाता की पूजा आज :
नवरात्र के पांचवें दिन शनिवार को मां स्कंदमाता की उपासना एवं पुजा अर्चना की जाएगी. मां स्कंदमाता को अत्यंत दयालु माना जाता है. साथ ही माता का यह स्वरूप मातृत्व को परिभाषित करता है. कार्तिकेय ने अपनी मां की दी हुई शिक्षा और अपने पराक्रम से तारकासुर का वध कर दिया. उन्होंने तीनों लोकों को उसके अत्याचार से मुक्त किया. भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण ही देवी पार्वती के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा गया. मां स्कंदमाता सदैव अपने भक्तों पर अपने पुत्र की तरह ही ममता लुटाती है. स्कंदमाता का संदर्भ पौराणिक कथाओं, धार्मिक ग्रंथों और आध्यात्मिक साधना से जुड़ा है. पं. पंकज झा शास्त्री ने कहा कि जीवन में आध्यात्मिक शक्ति व्यक्ति को आंतरिक शांति, अर्थ, उद्देश्य और कठिन परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता प्रदान करती है. इससे वह नैतिक रूप से स्थिर रह पाता है और एक सार्थक जीवन जी पाता है.
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