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Maharashtra Politics : राज और उद्धव ठाकरे के साथ आने से एकनाथ शिंदे को होगा नुकसान?

Maharashtra Politics: एक दूसरे से अलग हो चुके चचेरे भाइयों उद्धव और राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलें हैं. इस बीच जब पत्रकारों ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मामले पर रिएक्शन मांगा तो वे नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि वह प्रशासन के काम के बारे में बात करें. जब शिंदे सतारा जिले में अपने पैतृक गांव दरे में थे, तो टीवी मराठी के एक पत्रकार ने उनसे शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच सुलह की चर्चा पर प्रतिक्रिया मांगी. इसपर शिंदे चिढ़ गए और उन्होंने पत्रकार की बात अनुसनी कर दी. शिवसेना नेता ने कहा, “काम के बारे में बात करें.”

दो दशक के बाद हाथ मिला सकते हैं राज और उद्धव

राज ठाकरे ने फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें अविभाजित शिवसेना में उद्धव के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं थी. इस बयान के बाद सुलह की अटकलें शुरू हुईं. राज ठाकरे ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उद्धव उनके साथ काम करना चाहते हैं. उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संभावित सुलह की अटकलों को हवा देते उनके बयानों से संकेत मिलता है कि वे मामूली मुद्दों” को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के कटु मतभेद के बाद हाथ मिला सकते हैं.

छोटी-मोटी लड़ाइयां भूलने के लिए तैयार : उद्धव ठाकरे

एक ओर, मनसे प्रमुख ने कहा है कि ‘मराठी मानुष’ के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है, तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां भूलने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को तरजीह न दी जाए. उद्धव का इशारा संभवत: हाल ही में राज ठाकरे आवास पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मेजबानी करने की ओर था.

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अपने चचेरे भाई का नाम लिए बिना उद्धव ठाकरे ने कहा था कि ‘चोरों’ की मदद करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला. उनका स्पष्ट इशारा बीजेपी और शिंदे नीत शिवसेना की ओर था. साल 2022 में उद्धव ठाकरे को उस समय बड़ा झटका तब लगा था जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़कर उनकी प्रशासन गिरा दी थी. इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से प्रशासन बनाई थी.

2024 के चुनाव में खाता भी नहीं खुला मनसे का

पिछले वर्ष 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए हुआ चुनाव शिवसेना (यूबीटी) ने विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी के तहत लड़ा था. पार्टी ने 95 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन 20 सीट पर ही उसे जीत मिली थी. शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ने जनवरी 2006 में पार्टी छोड़ दी थी और अपने फैसले के लिए उद्धव को जिम्मेदार ठहराया था. इसके बाद उन्होंने मनसे की स्थापना की जिसने शुरू में उत्तर हिंदुस्तानीयों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया. लेकिन 2009 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटें जीतने के बाद मनसे सिमटती चली गई. 2024 के विधानसभा चुनाव में उसका खाता भी नहीं खुला.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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