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Mauritius Tax Haven: मॉरीशस क्यों कहलाता है ‘टैक्स हैवन’? जानिए पर्दे के पीछे की कहानी

Mauritius Tax Haven: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों मॉरीशस की यात्रा पर हैं. मॉरीशस का हिंदुस्तान के साथ एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहा है. यह खूबसूरत द्वीप न केवल हिंदुस्तानीय पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है, बल्कि दुनियाभर के यात्रियों के लिए भी एक आकर्षक पर्यटन स्थल है. इसके अलावा, मॉरीशस को अक्सर ‘टैक्स हैवन’ के रूप में भी जाना जाता है, जो इसे वैश्विक निवेशकों के बीच चर्चा का विषय बनाता है.

पिछले वर्ष, अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने उस समय की हिंदुस्तानीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का नाम एक विवाद में जोड़ा था, जिसमें मॉरीशस का जिक्र प्रमुख रूप से किया गया था. आरोपों के अनुसार, मॉरीशस स्थित कंपनियों के माध्यम से संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के मामले सामने आए थे, जिससे हिंदुस्तान में वित्तीय पारदर्शिता और विनियमन को लेकर सवाल उठे थे.

क्या होता है टैक्स हेवन

मॉरीशस एक छोटा द्वीपीय देश है, जिसे दुनियाभर में “टैक्स हेवन” के रूप में जाना जाता है. टैक्स हेवन उन देशों को कहा जाता है जहां कर (टैक्स) की दरें बहुत कम होती हैं या कई मामलों में कर का भुगतान करना ही आवश्यक नहीं होता. इस कारण से बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय कंपनियां और निवेशक अपने धन को इन देशों में निवेश करते हैं.

मॉरीशस को टैक्स हेवन क्यों माना जाता है?

मॉरीशस की कर व्यवस्था निवेशकों को कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान करती है. यहां के कानून निवेशकों को गोपनीयता (सीक्रेसी) की गारंटी देते हैं और धन को आसानी से स्थानांतरित करने की सुविधा देते हैं. इसके अलावा मॉरीशस में कंपनियों को लाभांश (डिविडेंड), पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) और अन्य प्रकार की आय पर कर से छूट मिलती है.

मॉरीशस ने कई देशों के साथ दोहरे कराधान से बचाव (Double Tax Avoidance Agreement – DTAA) समझौते किए हैं. इसके तहत कंपनियां मॉरीशस के माध्यम से हिंदुस्तान जैसे देशों में निवेश करती हैं और टैक्स में भारी बचत करती हैं.

हिंदुस्तान पर प्रभाव

मॉरीशस को हिंदुस्तान में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है. कई बड़ी कंपनियां मॉरीशस के माध्यम से हिंदुस्तान में निवेश करती हैं ताकि उन्हें कर में छूट का लाभ मिल सके. हालांकि, इस व्यवस्था का नकारात्मक प्रभाव यह है कि कई बार “राउंड-ट्रिपिंग” (Round Tripping) यानी हिंदुस्तान का ही काला धन मॉरीशस के रास्ते वापस हिंदुस्तान में निवेश के रूप में लौटता है. हिंदुस्तान प्रशासन ने मॉरीशस के माध्यम से होने वाली कर चोरी को रोकने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं. वर्ष 2016 में हिंदुस्तान और मॉरीशस के बीच हुए नए समझौते के तहत अब मॉरीशस से आने वाले निवेश पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) लागू कर दिया गया है.

मॉरीशस की भूमिका

मॉरीशस की वित्तीय स्थिति का एक बड़ा हिस्सा फाइनेंसियल सर्विसेज (वित्तीय सेवाओं) पर आधारित है. यहां की प्रशासन अपने टैक्स-फ्रेंडली कानूनों को जारी रखते हुए विदेशी निवेश को आकर्षित करने में सफल रही है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर टैक्स हेवन देशों के खिलाफ सख्ती बढ़ने से मॉरीशस पर भी दबाव बढ़ा है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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