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Mazi Saheli Charitable Trust: अंधत्व मुक्ति की ओर माजी सहेली की बड़ी पहल, 2024-25 में 9,825 लोगों तक पहुंचा ट्रस्ट

Mazi Saheli Charitable Trust: कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता… एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों. इस कहावत को महाराष्ट्र के Avinash Rajesh Chauhan बहुत हद तक सच कर दिखाया है. उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को आधार बनाकर 2023 में Mazi Saheli Charitable Trust की स्थापना की. महाराष्ट्र के ग्रामीण जिलों में सामाजिक परिवर्तन की दिशा में काम किया. माजी सहेली चैरिटेबल ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2024-25 में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं. संस्था ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और स्त्री सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में कुल 9,825 लाभार्थियों तक अपनी सेवाएं पहुचाईं. ट्रस्ट के संस्थापक…

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Mazi Saheli Charitable Trust: कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता… एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों. इस कहावत को महाराष्ट्र के Avinash Rajesh Chauhan बहुत हद तक सच कर दिखाया है. उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को आधार बनाकर 2023 में Mazi Saheli Charitable Trust की स्थापना की. महाराष्ट्र के ग्रामीण जिलों में सामाजिक परिवर्तन की दिशा में काम किया. माजी सहेली चैरिटेबल ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2024-25 में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं. संस्था ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और स्त्री सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में कुल 9,825 लाभार्थियों तक अपनी सेवाएं पहुचाईं. ट्रस्ट के संस्थापक अविनाश राजेश चौहान के नेतृत्व में यह संगठन अब राज्य के प्रमुख जिलों में जागरूकता और सेवा का पर्याय बन चुका है.

अंधत्व मुक्ति का चलाया अभियान

इस वर्ष का सबसे प्रमुख अभियान अंधत्व मुक्ति का रहा. साधु वासवानी ट्रस्ट और बुधरानी अस्पताल के सहयोग से रत्नागिरी, रायगढ़, सतारा और उस्मानाबाद जिलों में कुल 14 मुफ्त नेत्र शिविर आयोजित किए गए. इन शिविरों में 1,836 ग्रामीण मरीजों की आंखों की जांच की गई, जिनमें से 146 मोतियाबिंद मरीजों की नि:शुल्क सर्जरी कर दृष्टि बहाल की गई. ट्रस्ट का यह प्रयास न केवल चिकित्सा सेवा है, बल्कि सम्मान और आत्मनिर्भरता लौटाने की एक सामाजिक क्रांति भी है.

स्त्रीओं के लिए किए गए कई काम

ट्रस्ट की स्त्री सशक्तिकरण पहल के अंतर्गत 4,333 स्त्रीओं को वित्तीय साक्षरता से जोड़ा गया, वहीं 2,530 स्त्रीओं को मासिक धर्म स्वच्छता से संबंधित शिक्षा और रीयूज़ेबल पैड वितरित किए गए. 200 किशोरियों को मासिक धर्म पर आधारित कॉमिक्स भी दी गईं. इसके साथ ही, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में 11 घरों में रूफटॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और किचन गार्डन विकसित किए गए.

माजी सहेली की अन्य उपलब्धियों में 575 घरों का स्वच्छता सर्वेक्षण, 10 वृद्धजनों को व्हीलचेयर वितरण और 300 लोगों के लिए समावेशन व गरिमा विषय पर कार्यशालाओं का आयोजन शामिल है. संस्थापक अविनाश चौहान का मानना है कि “जब समाज के सभी वर्ग मिलकर सहयोग करते हैं, तभी व्यापक और स्थायी परिवर्तन संभव होता है.” माज़ी सहेली की यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प और साझा प्रयासों से अंधकार को प्रकाश में बदला जा सकता है.

कौन हैं अविनाश?

अविनाश का जन्म 23 जुलाई 1992 को भायंदर, मुंबई में हुआ. एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार में पले-बढ़े अविनाश ने ब्लॉसम हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की और मुंबई विश्वविद्यालय से बीएससी-आईटी की डिग्री पूरी की. अपने समाज की कमियों को नजदीक से देखने के बाद, उन्होंने ठान लिया कि वे एक ऐसा मंच तैयार करेंगे जो समाज के सबसे कमजोर तबकों की जरूरतों को पूरा करेगा. इसी उद्देश्य से उन्होंने माज़ी सहेली की शुरुआत की, जिसका मूल उद्देश्य है- शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और स्त्री स्वरोजगार.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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