Motihari: चकिया. स्थानीय कुंअवा रोड स्थित शनि मंदिर जिरात में आयोजित नौ दिवसीय रूद्र महायज्ञ मे श्रद्धालुओं की भीड देखी गई.महायज्ञ के तीसरे दिन प्रवचन के दौरान कथा वाचक बनारस से पधारे आचार्य धर्मेन्द्र शास्त्री ने शिव और शिव तत्व पर विस्तार से चर्चा की.उन्होंने कहा कि सृष्टि में प्रकृति और जीव के बीच अंतर मिटा जो एकरूपता,एकात्मता व सहज साम्य स्थापित करे वही शिव तत्व है, जो संपूर्ण ब्रह्मांड में समान रूप से व्याप्त है. इसलिए कहा गया है कि शेते अनेन इति शिवम् कल्याणमित्यर्थ: अर्थात सृष्टि में नित्य सुखमय आह्लाद व सहज विश्रांति के प्रदाता शिव ही हैं. उसी शिव तत्व की साकार मूर्ति को शंकर,हर जैसे अनेक संकटहर्ता नामों से संबोधित किया जाता है. शं तनोतु इति शंकर: अर्थात संकटों का हरण करे वही शंकर है. उन्होंने कहा कि पांच तत्वों पृथ्वी,जल, वायु, अग्नि और आकाश के बाद छठा तत्व शिव तत्व है, जो आदि, अनादि, अनंत,अखंड और बुद्धि की समझ से परे है. शक्ति के 108 विविध स्वरूपों के साथ शिव ने संसार की क्रिया को आगे बढ़ाया है. शिव जीवन के हर क्षेत्र में हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं. इस दौरान बाहर से आए कलाकारों द्वारा कृष्णलीला की मनमोहक प्रस्तुति दी गयी. मौके पर महायज्ञ आचार्य शशिरंजन पांडे, आचार्य कमलेश्वर दास, मुख्य यजमान राधेश्याम प्रसाद,अवध प्रसाद,लालदेव प्रसाद, विश्वनाथ प्रसाद, रमेश प्रसाद, उपेन्द्र कुमार, रंजीत ठाकुर,राजन कुमार, लखिन्द्र कुमार, सत्यनारायण प्रसाद,नवल प्रसाद सहित अन्य लोग मौजूद थे.
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