Income Tax Bill:13 फरवरी को नया आयकर विधेयक संसद में पेश होने की संभवना है उसे पहले बिल का ड्राफ्ट सामने आ चुका है. यह बिल 622 पन्नों का है और इसमें कई महत्वपूर्ण संशोधन और प्रावधान जोड़े गए हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं कि इस नए बिल में क्या-क्या बदलाव किए गए हैं.
नया टैक्स ईयर और कर योग्य आय
इस बिल में “टैक्स ईयर” की परिभाषा स्पष्ट की गई है, जिससे करदाताओं को यह समझने में आसानी होगी कि किस अवधि की आय पर कर लगेगा.
नया टैक्स ईयर मुख्य बिंदु (New Tax Year Key Points)
- कर योग्य आय की परिभाषा को विस्तारित किया गया है.
- हिंदुस्तान में रहने वाले और विदेशों से आय अर्जित करने वाले नागरिकों के लिए नए टैक्स नियम लागू होंगे.
- किसी संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर कराधान की नई शर्तें लागू की गई हैं.
कर-मुक्त और छूट प्राप्त आय
प्रशासन ने कुछ आय स्रोतों को पूरी तरह कर-मुक्त रखने का प्रस्ताव रखा है.
कर-मुक्त आय के प्रकार (Types of Tax-Exempt Income)
- नेतृत्वक दलों और इलेक्टोरल ट्रस्ट की आय को टैक्स में छूट दी गई है.
- कृषि आय को कुछ शर्तों के तहत कर-मुक्त रखा गया है.
- विशेष व्यवसायों, स्टार्टअप्स और एसएमई सेक्टर को टैक्स में रियायतें दी गई हैं.
- धार्मिक ट्रस्ट, सामाजिक कल्याण संस्थाएं और दान में दी गई राशि पर कर छूट मिलेगी.
टैक्स की गणना के नए नियम
इस बिल में आय की गणना और कर की दरों में बदलाव किया गया है, जिससे करदाताओं के लिए नियम अधिक स्पष्ट होंगे.
मुख्य बदलाव
वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए नया टैक्स ढांचा पेश किया गया है.
- गृहस्वामी (House Owners) के लिए किराये से प्राप्त आय पर छूट और कटौती के नए नियम बनाए गए हैं.
- पूंजीगत लाभ (Capital Gains) पर कराधान के नए नियम लागू किए गए हैं, जिससे शेयर बाजार और संपत्ति निवेशकों पर प्रभाव पड़ेगा.
- व्यवसाय और पेशेवर करदाताओं के लिए नई कटौती और टैक्स छूट प्रदान की गई है.
व्यापार और प्रोफेशनल इनकम पर नए नियम
व्यवसायियों और प्रोफेशनल्स के लिए कराधान के नए प्रावधान जोड़े गए हैं.
महत्वपूर्ण बदलाव
- स्टार्टअप्स और लघु उद्योगों के लिए कर में छूट और आसान कराधान प्रक्रिया.
- ऑनलाइन और डिजिटल कारोबार से होने वाली आय पर नए टैक्स नियम.
- बीमा, बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर के लिए विशेष कर लाभ.
- व्यापारिक खर्चों और कटौती के लिए नए नियम जोड़े गए हैं.
टैक्स भुगतान में आसान प्रक्रिया और E-KYC अनिवार्य
प्रशासन ने टैक्स प्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए ई-केवाईसी (e-KYC) और ऑनलाइन टैक्स भुगतान को अनिवार्य कर दिया है.
मुख्य बदलाव
- ई-फाइलिंग (E-Filing) अनिवार्य होगी, जिससे टैक्स भुगतान में पारदर्शिता बढ़ेगी.
- ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेशन सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिससे करदाता अपने टैक्स की गणना खुद कर सकेंगे.
- GST और इनकम टैक्स को एकीकृत करने पर विचार किया जा रहा है.
टैक्स चोरी पर कड़े प्रावधान और जुर्माना
गलत जानकारी देकर टैक्स बचाने वालों के लिए कड़े दंडात्मक प्रावधान जोड़े गए हैं.
- गलत या अधूरी जानकारी देने पर भारी जुर्माना लगेगा.
- जानबूझकर टैक्स चोरी करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सकता है.
- बकाया टैक्स का भुगतान न करने पर अधिक ब्याज और पेनल्टी.
- आय छिपाने पर अकाउंट सीज़ और संपत्ति जब्त करने के अधिकार.
पेंशन और निवेश पर कर लाभ
- एनपीएस (NPS) और EPF पर टैक्स छूट को बढ़ाया गया.
- बीमा योजनाओं पर अधिक कर लाभ.
- रिटायरमेंट फंड और म्यूचुअल फंड में निवेश पर कर लाभ.
नया कर प्रशासन और टैक्स अधिकारियों की भूमिका
- कर अधिकारियों के लिए नई ट्रेनिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम.
- टैक्स निरीक्षण और छानबीन के नए नियम.
- करदाताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए “टैक्सपेयर चार्टर”.
इनकम टैक्स बिल 2025 का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और करदाता-अनुकूल बनाना है. इस बिल में डिजिटलीकरण, टैक्स भुगतान में सुधार, टैक्स स्लैब में बदलाव और टैक्स चोरी पर कड़े नियमों का प्रस्ताव किया गया है.
( यह लेखक की अपनी समझ है, ड्राफ्ट पीडीएफ को विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें)
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