Panchayati Raj: भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आदिवासी हेरिटेज को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार को राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा. केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय और झारखंड प्रशासन का पंचायती राज विभाग मिलकर ‘हमारी परंपरा हमारी विरासत’ पहल के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के रंग भवन ऑडिटोरियम में आयोजित करेगा. कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल करेंगे.
इस दौरान पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज, मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सुशील कुमार लोहानी, संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर, झारखंड पंचायती राज विभाग की निदेशक नेशा उरांव और अन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे.
झारखंड के आदिवासी प्रतिनिधि रहेंगे मौजूद
कार्यक्रम में झारखंड के 560 आदिवासी प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे. यह प्रशासन की आदिवासी संस्कृति, गवर्नेंस में भागीदारी और समग्र विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. प्रमुख आदिवासी नेता, विभिन्न आदिवासी समूहों के सामुदायिक प्रतिनिधि कार्यक्रम में जमीनी शासन, परंपरागत ज्ञान व्यवस्था और सामुदायिक स्तर पर हेरिटेज बचाने के उपायों पर अपनी बात रखेंगे.
एक अप्रैल 2025 को सरहुल उत्सव मनाया गया और इसी उत्सव ने इस पहल की नींव रखी. झारखंड के आदिवासी प्रतिनिधि सांस्कृतिक और शासन पर होने वाले संवाद में भाग लेंगे.
भावी पीढ़ी के लिए विरासत बचाने की पहल
कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुति पेश की जायेगी, जिसमें संथाली डांस और मुंडा आदिवासियों की कहानी कहने की कला का प्रदर्शन होगा. इस दौरान हेरिटेज संरक्षण में ग्राम सभा की भूमिका पर चर्चा, आदिवासी परंपरा को संरक्षित करने के प्रशासनी उपाय और आदिवासी नेता जमीनी शासन और सांस्कृतिक संरक्षण पर अपनी बात करेंगे.
‘हमारी परंपरा हमारी विरासत’ की पहल पंचायती राज मंत्रालय की आदिवासी विरासत को देश के संस्कृति और शासन से जोड़ने की प्रतिबद्धता को दिखाता है. पंचायती राज मंत्रालय द्वारा तैयार इस पहल को झारखंड प्रशासन के पंचायती राज विभाग ने 26 जनवरी 2025 को शुरू किया.
गांवों के इतिहास और सांस्कृतिक तरीकों का दस्तावेजीकरण
पंचायती राज मंत्रालय अभियान में राज्य प्रशासन की सहायता कर रहा है और 2800 से अधिक गांवों ने परंपरागत स्वशासन और सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए सहमति जताई है. ‘हमारी परंपरा हमारी विरासत’ का मकसद सांस्कृतिक विरासत, त्यौहार, स्थानीय गाने, परंपरागत पूजा पद्धति को बचाना, सशक्त बनाना और इसे भावी पीढ़ी को सौंपना है. आदिवासी समाज के परंपरागत शासन व्यवस्था का यह अहम हिस्सा है. इस पहल के तहत झारखंड के 20300 गांवों के इतिहास और सांस्कृतिक तरीकों का दस्तावेजीकरण करना है.
यह पहल पेसा कानून के अनुसार है, जिसमें ग्राम सभा को आदिवासी परंपरा, तरीके और स्वशासन को सुरक्षित और सशक्त बनाने की बात कही गयी है. मंत्रालय ने इस पहल के सफल क्रियान्वयन के लिए एक उच्च-स्तरीय कमेटी का गठन किया है.
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