PM Modi Bihar Visit : खगड़िया: खगड़िया जिले के लिए 24 अप्रैल का दिन ऐतिहासिक है. 26 साल पहले रामविलास पासवान ने इस रेल परियोजना को मंजूरी दी थी, जो आज बनकर तैयार हो गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के गृह क्षेत्र खगड़िया के अलौली में गुरुवार को पहली बार ट्रेन दौड़ेगी. यह बहुप्रतीक्षित रेल सेवा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्चुअल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर शुरू की जाएगी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और बिहार प्रशासन के प्रतिनिधि वर्जुअली उद्घाटन कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. यह रेल सेवा खगड़िया के उन क्षेत्रों को जोड़ेगी जो अब तक रेलवे की सुविधा से वंचित थे, खासकर अलौली प्रखंड को इसका सबसे अधिक लाभ मिलने वाला है.
स्थानीय लोगों में उत्साह का माहौल
रेल कनेक्टिविटी की यह सुविधा न केवल यातायात की दृष्टि से बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी इस क्षेत्र के लिए एक बड़ा परिवर्तन साबित हो सकती है. स्थानीय लोगों में इस ऐतिहासिक पल को लेकर खासा उत्साह है. रामविलास पासवान के समर्थकों और ग्रामीणों के लिए यह एक सपने के सच होने जैसा है. इस रेल सेवा की शुरुआत से शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यवसाय और रोजगार के क्षेत्र में नए अवसर खुलेंगे. खासकर युवा वर्ग के लिए यह रेल लाइन एक नई उम्मीद लेकर आई है. यह कदम क्षेत्रीय विकास को नई गति देगा और खगड़िया को देश के अन्य हिस्सों से बेहतर ढंग से जोड़ेगा.
रामविलास पासवान की स्मृति में एक सम्मान
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान, जो वर्षों तक खगड़िया और बिहार के अन्य हिस्सों के विकास के लिए कार्य करते रहे, उनके गृह क्षेत्र में यह रेल सेवा उनके सपनों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. रामविलास पासवान का वर्षों पुराना सपना कल 24 अप्रैल दिन गुरुवार को साकार होने जा रहा है. खगड़िया जिला स्थित उनके गृह प्रखंड अलौली में कल से ट्रेन का परिचालन शुरू हो जाएगी. पीएम नरेंद्र मोदी कल मधुबनी से नव निर्मित खगड़िया-अलौली रेलखंड का उदघाटन करेंगे, जिसके बाद स्थानीय सांसद राजेश वर्मा स्पेशल मेमू ट्रेन को अलौली स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे, जिसके साथ ही अलौली से सहरसा के बीच ट्रेन का परिचालन शुरू हो जाएगा.
1950 में पहली बार रेल बजट में हुआ था शामिल
खगड़िया दरभंगा रेलखंड की मांग आजादी से पहले से हो रही है. इसके निर्माण को लेकर पहली बार 1950 के रेल बजट में उल्लेख हुआ था. रेल मंत्रालय ने इस रेलखंड का सर्वे भी कराया था. 1951 में इस रेलखंड को पर्यावरण के दृष्टिकोण से खारिज कर दिया गया. उसके बाद 70 के दशक में एक बार फिर इस रेलखंड के निर्माण की बात हुई, लेकिन तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र की मौत के बाद इस परियोजना पर काम आगे नहीं बढ़ पाया. 26 साल पूर्व यानी 1998 में तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान ने खगड़िया- कुशेश्वरस्थान रेल परियोजना की मंजूरी दिए थे, जो 26 साल बाद साकार हुआ है. हालांकि इस परियोजना के तहत खगड़िया से कुशेश्वर के बीच 44 किलोमीटर तक रेल ट्रैक बनना है, लेकिन अभी केवल 18 किलोमीटर तक का ही काम पूरा हुआ है.
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