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Prabhat Khabar Legal Counselling: नॉमिनी ना हो, तो मृत पति की जीवन बीमा राशि में पत्नी और बच्चों का क्या है हक?

Naya Vichar Legal Counselling: धनबाद-भूमि, संपत्ति, दुर्घटनाओं के लिए बीमा कंपनियों से क्लेम और पारिवारिक विवादों में कानूनी रास्ता अपनाने से पहले आपसी सहमति से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. कई बार ऐसे मामले केवल बातचीत और समझौते से हल हो सकते हैं. अदालतों के चक्कर में पड़ने से समय और धन दोनों की हानि होती है. यह सुझाव रविवार को नया विचार ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज प्रसाद ने दिया. उन्होंने कहा कि पहले आपसी संवाद और मध्यस्थता के माध्यम से समस्याओं का समाधान तलाशने का प्रयास करना चाहिए. इससे न केवल मानसिक शांति बनी रहती है, बल्कि आर्थिक नुकसान से भी बचाव होता है. नया विचार लीगल काउंसलिंग के दौरान धनबाद, बोकारो व गिरिडीह से 25 से अधिक लोगों ने कानूनी सलाह ली.

बोकारो से अंजु कुमारी का सवाल

मेरे पति एसएसबी में कार्यरत थे. दो वर्ष पहले उनका निधन हो गया. उस समय मेरी बेटी केवल एक माह की थी. अब मेरी ससुराल पक्ष के लोग मुझे प्रताड़ित कर रहे हैं. मेरे पति के जीवन बीमा की राशि 40 लाख रुपये थी. वह पैसे मेरे ससुराल वालों ने अपने पास रख लिये. यह बीमा पॉलिसी मेरी शादी से पहले की थी और उस समय नॉमिनी मेरी सास थी. अब वे मुझसे ही मेंटेनेंस (पालन-पोषण) की मांग कर रहे हैं, जबकि मुझे अभी तक पति के स्थान पर नौकरी नहीं मिली है. इसके अतिरिक्त, मेरे सास-ससुर का एक और पुत्र है और मेरे ससुर अब भी कार्यरत हैं. ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह

जीवन बीमा से प्राप्त राशि में आपका भी कानूनी अधिकार है. इसके लिए आपको उस जिले की सिविल अदालत में, जहां पॉलिसी से संबंधित शाखा स्थित है, एलआइसी को भी पक्षकार बनाते हुए मुकदमा दायर करना चाहिए. इस राशि में आपका और आपकी पुत्री का दो-तिहाई हिस्सा बनता है. यदि आपके ससुराल वाले आपको प्रताड़ित कर रहे हैं, तो आप उनके खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करा सकती हैं. जहां तक आपकी आय से मेंटेनेंस की मांग का प्रश्न है, यह पूरी तरह परिस्थितियों पर निर्भर करता है. कोर्ट प्रत्येक मामले की परिस्थिति और साक्ष्यों के आधार पर निर्णय लेती है.

धनबाद से मुरारी प्रसाद वर्मा का सवाल

मेरे घर के पीछे एक प्लॉट है. यह प्लॉट मेरी पुश्तैनी जमीन की चौहदी में है. हमारा परिवार इस प्लॉट का इस्तेमाल रास्ता के रूप में करता है. लेकिन प्लॉट मालिक ने किसी और जमीन बेचने के लिए एग्रीमेंट कर लिया है. मैं इस एग्रीमेंट को रद्द करवाने के लिए किस प्रकार का कानूनी पहल कर सकता हूं.?

अधिवक्ता का जवाब

अगर प्लॉट मालिक जमीन किसी और बेचना है, तो उसे रोका नहीं जा सकता है. लेकिन आप कह रहे हैं कि आपका परिवार इस प्लॉट का इस्तेमाल, रास्ते के तौर पर रहा है. तब ऐसे मामले में आप एसडीओ के यहां शिकायत कर सकते है. आप एग्रीमेंट रद्द करने के लिए भी केस कर सकते हैं.

गिरिडीह से अशोक चौधरी का सवाल

गिरिडीह में नये समाहरणालय परिसर से पिछले दिनों मेरी मोटरसाइकिल चोरी हो गयी थी. पुलिस के पास शिकायत करने गया था, लेकिन पुलिस शिकायत नहीं ले रही है. पुलिस कह रही है, इस मामले में गवाह लेकर आइए. फिर मामला दर्ज किया जायेगा. इस मामले में मुझे अब क्या करना चाहिए ?

अधिवक्ता की सलाह

पुलिस का यह कहना कि गवाह लेकर आइए, तभी शिकायत दर्ज करेंगे, यह कानूनन गलत है. चोरी जैसे मामलों में गवाह की जरूरत एफआइआर दर्ज करने के लिए नहीं होती, बल्कि जांच के दौरान गवाहों की भूमिका होती है. इसके बाद भी थाना मामला दर्ज नहीं कर रहा है, तो आप गिरिडीह के एसपी से शिकायत करें.

बोकारो से प्रदीप सिंह का सवाल

तेनुघाट में मेरा एक प्लॉट है. यह प्लॉट हमें पद्मा राजा के हुकुमनामा से 1942 में मिला था. इस प्लॉट पर मेरे गांव का ही एक व्यक्ति दावेदारी कर रहा है. इससे संबंधित मामला तेनुघाट कोर्ट में चल रहा है. लेकिन सुनवाई के दौरान वह व्यक्ति कोर्ट में नहीं आ रहा है. दो बार समन नोटिस भी भेजा है, लेकिन वह हाजिर नहीं हो रहा है? क्या इस मामले में कोर्ट एक पक्षीय फैसला सुना सकता है.

अधिवक्ता की सलाह

सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि संबंधित व्यक्ति ने कोर्ट का नोटिस प्राप्त किया है या नहीं. इसकी जानकारी आप नजारत शाखा से प्राप्त कर सकते हैं. वहां संबंधित फाइल में नोटिस प्राप्ति की स्थिति का उल्लेख होगा. उस पृष्ठ की एक प्रमाणित प्रति निकलवा लें. यदि नोटिस स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजा गया है, तो उसकी ऑनलाइन ट्रैकिंग रिपोर्ट निकालकर संलग्न करें. इन सभी दस्तावेजों के साथ, अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत करें. यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि नोटिस विधिवत रूप से भेजा गया और प्राप्त भी किया गया, किंतु फिर भी प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुआ, तो कोर्ट इस आधार पर एकतरफा निर्णय (एक्स पार्टी डिसिजन) पारित कर सकता है.

धनबाद से गणेश महतो का सवाल

तेतुलमारी शक्ति चौक के पास मेरी एक जमीन (प्लॉट) है, जो मेरे परिवार को 1943 में झरिया राजा के हुकुमनाम के माध्यम से मिली थी. लेकिन नये सर्वे में इस जमीन को ”गैर-मजरूआ” घोषित कर दिया गया है. मैं अपनी इस पुश्तैनी जमीन को पुनः अपने नाम पर दर्ज (नामांतरण) करवाना चाहता हूं. इसके लिए मुझे क्या कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह

आपको अपनी जमीन के खतियान में सुधार के लिए टाइटल सूट दायर करना होगा. यह एक सिविल वाद होगा, जिसमें आप जमीन पर अपने स्वामित्व का दावा करेंगे. इससे पहले आपको राज्य प्रशासन को प्रतिवादी बनाते हुए एक कानूनी नोटिस भेजना आवश्यक होगा. यह नोटिस सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 80 (सीपीसी) के अंतर्गत भेजा जाता है, जिसकी अवधि 60 दिन होती है. नोटिस भेजने के बाद, निर्धारित अवधि पूरी होने पर आप सिविल कोर्ट में वाद दायर कर सकते हैं. कोर्ट में आपके पास मौजूद दस्तावेजों जैसे, हुकुमनामा, पुराने रसीद/दाखिल खारिज के प्रमाण और आपके कब्जे से संबंधित साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए अपना पक्ष रखें. यदि आपके पक्ष में पर्याप्त प्रमाण होंगे, तो कोर्ट आपके नाम पर खतियान सुधार (म्यूटेशन) का आदेश दे सकता है.

धनबाद के केंदुआ से सुरेन्द्र सिंह का सवाल

2024 में मेरे ऊपर आउटसोर्सिंग कंपनी में मारपीट का एक केस दर्ज हुआ था. इस मामले में मैंने पहले अग्रिम जमानत के लिए के लिए हाइकोर्ट तक अर्जी दी थी. लेकिन तब यह खारिज हो गया था. इधर पुलिस की जांच में यह बात सामने आयी है कि मैं घटना के समय वहां मौजूद नहीं था. इसके आधार पर क्या मैं फिर से अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में दे सकता हूं?

अधिवक्ता की सलाह

जी हां, आप दोबारा अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर सकते हैं, क्योंकि अब मामले में परिस्थितियों में बदलाव आया है. हालांकि, मेरी सलाह यह है कि यदि पुलिस की जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि घटना के समय आप घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसी स्थिति में बेहतर होगा कि आप पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने दें. यदि जांच में आपका नाम क्लीन चिट के साथ बाहर किया गया है, तो आपके विरुद्ध कोई अभियोग नहीं बन पायेगा और मामला स्वतः ही समाप्त हो जाएगा.

धनबाद से विवेक कुमार का सवाल

मेरा परिवार पिछले 50 वर्षों से एक किराये की प्रॉपर्टी का उपयोग कर रहा है. मेरे पिताजी का इसके लिए मकान मालिक से एग्रीमेंट था. लेकिन अब मेरे पिता जी का निधन हो गया है. मैं अब अपने नाम से यह एग्रीमेंट करना चाह रहा हूं. लेकिन मकान मालिक इसके लिए तैयार नहीं हो रहा है. मुझे क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह

यह एक टेनेंसी विवाद का मामला है. सबसे पहले आपको अपने क्षेत्र के एसडीओ के समक्ष लिखित शिकायत प्रस्तुत करनी चाहिए. राज्य के नियमानुसार, किराया विवाद से संबंधित मामलों में एसडीओ किराया नियमन अधिकारी होते हैं और ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए अधिकृत होते हैं. आप शिकायत के साथ पुराने एग्रीमेंट की प्रति, किराया भुगतान से संबंधित दस्तावेज और अपने निवास व उपयोग की जानकारी प्रस्तुत करें. यदि मामला उचित पाया गया तो एसडीएम मकान मालिक को निर्देश दे सकते हैं कि वह आपके साथ एग्रीमेंट करने से इंकार न करे, विशेषकर जब आप वर्षों से उसी संपत्ति में निवास कर रहे हैं और पूर्व किरायेदार (आपके पिता) के कानूनी उत्तराधिकारी हैं.

बोकारो से रामविलास महतो का सवाल

गैर मजरुआ जमीन कितने प्रकार की होती है, इन में से कौन सी जमीन सार्वजनिक उपयोग के लिए होती है. मेरे गांव एक आम गैरमजरुआ जमीन है. इस पर अवैध निर्माण हो रहा है. इसे रोकने के लिए क्या करना चाहिए ?

अधिवक्ता की सलाह

गैर मजरुआ जमीन दो प्रकार की होती है. गैर मजरुआ आम और गैर मजरुआ खास. गैर मजरुआ आम जमीन सार्वजनिक संपत्ति होती है और इसका किसी भी व्यक्ति द्वारा निजी उपयोग अवैध है. आप इसे रोकने के लिए अंचलाधिकारी, एसडीओ और जिला प्रशासन को लिखित रूप में शिकायत दें.

बगोदर से अमित कुमार का सवाल

कुछ समय पहले यूनिसेफ में नौकरी दिलाने के नाम पर एक व्यक्ति ने मुझसे एक लाख रुपये लिया था. मैंने यूपीआइ से पैसा दिया था. अब मैं अपना पैसा वापस मांग रहा हूं. लेकिन वहीं नहीं दे रहा है. मुझे पैसा वापस लेने के लिए क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह

यदि आप संबंधित व्यक्ति से अपना पैसा वापस लेना चाहते हैं, तो आपको अदालत में सीपी केस के तहत मनी सूट दायर करना चाहिए. इस प्रक्रिया से आप कानूनी रूप से अपनी राशि की वसूली का दावा कर सकते हैं. हालांकि, यदि आप थाना में शिकायत दर्ज कराते हैं, तो उसके खिलाफ धोखाधड़ी का आपराधिक मामला बन सकता है. इस आधार पर उसे सजा तो हो सकती है, लेकिन इससे आपके पैसे की वापसी की गारंटी नहीं होती. इसलिए, पैसे की वसूली के लिए सिविल कोर्ट में मनी सूट दायर करना अधिक प्रभावी और उपयुक्त उपाय होगा.

इन्होंने भी पूछे सवाल

धनबाद से प्रतीक प्रसाद, संजय सिंह, विकास कुमार मिश्रा, विरेन्द्र कुमार सिंह. गिरिडीह से निरंजन सिंह, नित्यानंद महतो, गोपाल तिवारी, बोकारो से अनुप सिंह, संग्राम चौधरी, विकास प्रसाद, आलोक शर्मा.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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