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Prabhat Khabar Special: कोसी नदी की धारा को साधने के लिए पहली बार इस्तेमाल हो रहा टेट्रापॉड, जानें क्यों होता है खास

Naya Vichar Special, प्रमोद कुमार, सुपौल: कोसी नदी की तेज धारा और तटबंधों पर बढ़ते खतरे को देखते हुए अब तकनीकी समाधान की दिशा में एक नयी पहल की जा रही है. नेपाल प्रभाग के अंतर्गत पुल्टेगौड़ा और चतरा इलाके में पहली बार 4000 किलोग्राम वजनी टेट्रापॉड लगाये जा रहे हैं. यह टेट्रापॉड विशेष रूप से नदी की धारा को तोड़ने और तटबंध की मजबूती सुनिश्चित करने में सक्षम माने जाते हैं. पुल्टेगौड़ा में लगभग 1600 मीटर की लंबाई में इन टेट्रापॉड्स को स्थापित किया जा रहा है. इंजीनियरों का मानना है कि यह तकनीक पारंपरिक पत्थर या ईंट-जड़ाई की तुलना में अधिक कारगर साबित होगी.

प्रयोग सफल रहा तो अन्य संवेदनशील स्थानों पर भी

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो इसे अन्य संवेदनशील स्थानों पर भी अपनाया जायेगा. गौरतलब है कि कोसी नदी के 61 वर्षों के इतिहास में पहली बार इस वर्ष टेट्रापॉड का उपयोग तटबंधों और स्परों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है. पिछले वर्ष 2024 में कोसी नदी में जलस्तर 6.61 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया था, जिसके चलते कोसी बराज के ऊपर से पानी बहने लगा था. इसके बाद जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने कोसी बराज समेत तटबंधों और स्परों का व्यापक निरीक्षण किया था.

इस निरीक्षण के बाद कोसी हाई लेवल कमेटी ने विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ पूर्व सुरक्षा उपायों को लेकर अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपी थी. टेट्रापॉड्स का उपयोग करके, तटीय इंजीनियर ज्वारीय बलों और तूफानी लहरों के कारण होनेवाले कटाव से तटरेखाओं की रक्षा कर सकते हैं. वे अवरोधों के रूप में कार्य करते हैं, जो लहर ऊर्जा को अवशोषित करती है और नदी तट से दूर ले जाती है.

क्या है टेट्रापॉड और क्यों है खास ?

जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अभियंता बबन पांडेय ने बताया कि टेट्रापॉड एक चार पैरों वाला विशेष संरचनात्मक ब्लॉक होता है, जो जलधारा के वेग को तोड़कर कटाव को रोकने में कारगर होता है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि गिरने के बाद भी इसका आकार और संतुलन नहीं बदलता, जिससे यह अधिक स्थायित्व प्रदान करता है.

प्रयोगशाला स्तर पर होगी शुरुआत

पूर्वी कोसी तटबंध के कुसहा डिवीजन के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार सहनी ने बताया कि नेपाल स्थित पुल्टेगौड़ा के स्पर संख्या 12 में टेट्रापॉड का प्रयोगशाला स्तर पर उपयोग प्रस्तावित है. यह स्थान दो धाराओं के संगम स्थल पर स्थित है, जहां जल वेग अत्यंत तीव्र होता है. ऐसे में टेट्रापॉड के माध्यम से बाढ़ के समय उत्पन्न दबाव को कम किया जा सकेगा.

तकनीकी विस्तार और लागत

विभाग ने पुल्टेगौड़ा के स्पर संख्या 10 के पास 170 मीटर लंबी और 10 मीटर चौड़ी पट्टी पर दो लेन में टेट्रापॉड लगाने का प्रस्ताव तैयार किया है. एक टेट्रापॉड की ऊंचाई 1.8 मीटर होगी और इसकी अनुमानित लागत लगभग 30 हजार प्रति यूनिट है.

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पूर्व प्रयोग रहा सफल

पूर्वी कोसी तटबंध के कुसहा डिवीजन के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार सहनी ने बताया कि वर्ष 2023 में गंडक नदी परियोजना (गोरखपुर, उत्तर प्रदेश) में टेट्रापॉड का सफल उपयोग किया गया था. उस सफलता को देखते हुए अब इसे कोसी नदी में भी लागू किया जा रहा है. यह तकनीक भले ही खर्चीली हो, लेकिन यह बार-बार होने वाले मरम्मत कार्यों से राहत दिला सकती है. इसके चलते संभावित बाढ़ और कटाव से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकेगा. स्थानीय लोगों में इस पहल को लेकर खुशी देखी जा रही है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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