Premanand Ji Maharaj Sayings, Chandra Dosh Remedies: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए रत्न को किसी धातु की अंगूठी में पहनने की सिफारिश की जाती है. सभी नवग्रहों का किसी न किसी रत्न या धातु से संबंध होता है. उदाहरण के लिए, सोने को गुरु ग्रह से जोड़ा जाता है, जबकि चांदी का संबंध शुक्र और चंद्रमा से होता है. कुछ लोग ज्योतिषीय उपायों के तहत चांदी की अंगूठी पहनते हैं, लेकिन कई लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि चांदी की अंगूठी किस अंगुली में पहननी चाहिए. आइए, जानते हैं इस विषय में आध्यात्मिक गुरु की क्या सलाह है.
प्रेमानंद महाराज ने बताया चांदी की अंगूठी के फायदे
आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज के अनुसार, चांदी की अंगूठी को बाएं हाथ की छोटी अंगुली (कनिष्ठा) में पहनना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. इस प्रक्रिया से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और भाग्य में सुधार की संभावना बढ़ती है. कई आध्यात्मिक गुरु भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि चांदी की अंगूठी को बाएं हाथ की कनिष्ठा में पहनना उचित है. बाएं हाथ को ग्रहण करने वाला (रीसेप्टिव) हाथ माना जाता है, जबकि दाएं हाथ को सक्रियता का प्रतीक माना जाता है. बायाँ हाथ मानसिक और भावनात्मक लाभ के लिए अधिक उपयुक्त है. इसके अतिरिक्त, चांदी चंद्रमा का प्रतीक है, जो मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और सकारात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है. इसे पहनने से आत्मविश्वास और मनोबल में वृद्धि होती है.
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हालांकि सभी गुरु इसे कनिष्ठा अंगुली में पहनने की सलाह नहीं देते, कुछ गुरु इसे अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) में पहनने की सलाह देते हैं, विशेष रूप से चंद्र दोष के निवारण के लिए. ज्योतिष में अनामिका अंगुली को सूर्य और शुक्र से संबंधित माना जाता है. चांदी की अंगूठी पहनने से शुक्र की ऊर्जा संतुलित होती है, जिससे समृद्धि, सौंदर्य और संबंधों में सुधार होता है.
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