PRIP Scheme: केंद्र की मोदी प्रशासन ने फार्मा और चिकित्सा प्रौद्योगिकी (मेडटेक) क्षेत्र में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम उठाया है. पीआरआईपी योजना (प्रोमोशन ऑफ रिसर्च एंड इनोवेशन इन फार्मा-मेडटेक सेक्टर) के तहत नई परियोजनाओं के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. इस योजना का उद्देश्य देश को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और नवाचार-केंद्रित बनाना है.
योजना का उद्देश्य और फंडिंग
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी है कि 5,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. इसके माध्यम से लगभग 300 परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा. योजना में खास तौर पर नई दवाओं, जटिल जेनेरिक, बायोसिमिलर और अपग्रेडेड चिकित्सा उपकरणों के विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा.
रणनीतिक प्राथमिकता वाले शोध क्षेत्र
योजना के तहत रणनीतिक प्राथमिकता नवाचार (एसपीआई) क्षेत्रों को महत्व दिया गया है. इनमें विशेष दुर्लभ बीमारियों का इलाज, एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस से निपटना, टीका-रोकने योग्य बीमारियां, उष्णकटिबंधीय कीटजनित रोग और महामारी उत्प्रेरक रोगजनक शामिल हैं. इन क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास से स्वास्थ्य क्षेत्र में नई संभावनाएं खुलेंगी.
कुल निवेश और संभावित लाभ
पीआरआईपी योजना के तहत कुल 11,000 करोड़ रुपये का निवेश शोध और विकास में होगा. इसका लाभ न केवल फार्मा कंपनियों को मिलेगा, बल्कि स्टार्टअप्स और एमएसएमई को भी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा.
एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए अवसर
प्रशासन ने योजना में संशोधन कर स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए विशेष प्रावधान किए हैं.
- प्रारंभिक चरण की परियोजनाएं: 9 करोड़ रुपये तक की लागत वाली परियोजनाओं पर 5 करोड़ रुपये तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
- अंतिम चरण की परियोजनाएं: 285 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं के लिए 100 करोड़ रुपये तक सहायता प्रदान की जाएगी.
शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग
संशोधित योजना में उद्योग और स्टार्टअप्स को राष्ट्रीय स्तर की शैक्षणिक और शोध संस्थाओं के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहन दिया गया है. इससे इनोवेशन और रिसर्च को अधिक व्यावहारिक और प्रभावी बनाया जा सकेगा.
आवेदन प्रक्रिया और अंतिम तिथि
योजना के तहत आवेदन की प्रक्रिया 1 अक्टूबर से विशेष पोर्टल के जरिए शुरू हो चुकी है. इच्छुक स्टार्टअप्स, एमएसएमई और अन्य कंपनियां ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं.
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स्टार्टअप्स और एमएसएमई को मिलेगी वैश्विक पहचान
हिंदुस्तान प्रशासन की यह पहल दवा और मेडटेक सेक्टर में स्टार्टअप्स और एमएसएमई को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का सुनहरा अवसर है. इस योजना से न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में नई खोजों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि हिंदुस्तान को फार्मा और मेडिकल टेक्नोलॉजी हब बनाने का लक्ष्य भी पूरा होगा.
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