नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर:पूर्व मध्य रेलवे के समस्तीपुर मंडल में 69वाँ रेल सेवा पुरस्कार समारोह अत्यंत गरिमामय वातावरण में आयोजित किया गया। यह समारोह अमर शहीद कैप्टन दिलीप कुमार झा (कीर्ति चक्र) की पुण्य स्मृति को समर्पित था। समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसे शहीद के पिता एवं अति विशिष्ट अतिथि नथुनी झा तथा अति विशिष्ट अतिथि शिवन पासवान (पद्म श्री) (मिथिला पेंटिंग के विश्वप्रसिद्ध चित्रकार जिन्होंने इस पारंपरिक कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है) ने मंडल रेल प्रबंधक विनय श्रीवास्तव, अपर मंडल रेल प्रबंधक आलोक झा एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में संपन्न हुआ।विदित हो कि नथुनी झा अमर शहीद कैप्टन दिलीप कुमार झा , कीर्ति चक्र के पिता हैं। कैप्टन झा वर्ष 2002 में कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे।
क्षेत्र के हरिपुर गांव के शहीद कैप्टन दिलीप कुमार के शहादत के डेढ़ दशक बाद आज भी बेनीपुर के लोग अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। 2 जनवरी 1977 को बेनीपुर प्रखंड के हरिपुर गांव में जन्म लिए शहीद कैप्टन दिलीप कुमार झा के पिता नथुनी झा रेलवे कर्मचारी थे। मात्र 3 वर्ष के उम्र में ही मां का साया उठ गया और पिता नथुनी झा की देखरेख में उनका लालन-पालन हुआ।1995 में उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा पास की और 3 वर्षों तक पुणे के खड़गवासला मे एवं 1 वर्ष राष्ट्रीय मिलिट्री अकादमी देहरादून से प्रशिक्षण प्राप्त कर 11 नवंबर 1999 को उन्होंने 7 जाट रेजीमेंट के लेफ्टिनेंट के रूप में देश की सेवा देना प्रारंभ की। लेकिन मात्र 2 वर्षों के कुशल क्रियाकलाप के बदौलत 2001 में कैप्टन के पद पर प्रोन्नति पाकर घातक दस्ता में शामिल हुए और 2 अक्टूबर 2002 को राष्ट्र के लिए अपने आप को न्योछावर कर दिया। 2 अक्टूबर की रात अचानक संवाद आया की मंडार और पूंछ के बीच कुछ आतंकवादी घुसपैठ करने को तत्पर हैं। उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ उक्त स्थल पर पहुंचकर पोजीशन ले ली। 6 घंटे तक चली कड़ी मुठभेड़ में 8 आतंकवादी मौत के घाट उतार दिए गए।लेकिन, इस दौरान वह भी आतंकवादी के निशाने के शिकार हो गए। मेडिकल टीम द्वारा एंबुलेंस से अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया। 15 अगस्त 2003 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय है कि इसी तरह शिवन पासवान ने गोदना डिजाइनों को कागज़ और कपड़े पर चित्रित करके मिथिला पेन्टिंग में एक नया आयाम जोड़ा है। उन्होंने अपने समुदाय के नायक राजा सलहेस को केंद्र में रख कर पेंटिंग्स बनाई, जिससे मिथिला कला में विविधता आई। उनकी कलाकृतियां अमेरिका, जापान, इटली, फ्रांस जैसे देशों में प्रदर्शित हुई है। जिससे इस कला को वैश्विक मंच मिला। उन्होंने इस कला को सहेजने और प्रचारित करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाई है।शिवन पासवान ने मधुबनी, और आसपास के क्षेत्रों में गरीब परिवारों के बच्चों को मिथिला पेंटिंग सिखाने के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किये हैं। इससे इस पारंपरिक कला का संरक्षण और प्रचार संभव हो सका ।2024 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हिंदुस्तान प्रशासन ने शिवन पासवान को और उनकी पत्नी को गोदना पेंटिंग में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया।समारोह में मंडल के उत्कृष्ट कार्य करने वाले रेलकर्मियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर 6 राजपत्रित अधिकारियों और 46 अराजपत्रित कर्मचारियों सहित कुल 52 रेल कर्मियों को उत्कृष्ट सेवाओं के लिए प्रशस्तिपत्र प्रदान किए गए। यह सम्मान समर्पण, अनुशासन और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक है, जो रेलकर्मियों को भविष्य में भी प्रेरणा देता रहेगा।समारोह के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति हुई, जिनमें संगीत, नृत्य तथा देशभक्ति से ओतप्रोत गीत इत्यादि शामिल थे। इन कार्यक्रमों ने समारोह को और अधिक जीवंत और प्रेरणादायी बनाया।मंडल रेल प्रबंधक विनय श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में समस्तीपुर मंडल की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में मंडल ने 210 से ज्यादा रैक मक्के की ढुलाई करके एक रिकार्ड बनाया है। मंडल ने समस्त हिंदुस्तानीय रेल में सबसे ज्यादा रैक लोड करने में टॉप दस में अपना स्थान बनाया है। जो कि पूर्व मध्य रेल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि रेलवे कर्मचारियों की मेहनत और समर्पण के कारण ही मंडल निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। उन्होंने सभी सम्मानित कर्मचारियों को शुभकामनाएँ दीं और बेहतर सेवा के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इसका यह अर्थ कदापि नही है कि बाकी कर्मचारियों ने अच्छा काम नही किया है। लेकिन चुने जाने वाले कर्मचारियों की निश्चित सीमा के कारण हम सभी को शामिल नही कर सकते। लेकिन बारी बारी से हम सभी कार्य के प्रति समर्पित कर्मचारियों को सम्मानित करते रहते हैं।