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Ranchi News : रांची मेरी जन्मभूमि, यहीं से सीखा, यहीं से पाया : डॉली जैन

सिर्फ 18.5 सेकेंड में साड़ी पहनाने वाली साड़ी ड्रेपिंग आर्टिस्ट पहुंचीं रांची

सातवीं तक की पढ़ाई, मुंबई की कई बड़ी सेलिब्रेटी क्लाइंट लिस्ट में हैं शामिल

रांची(लता रानी). मात्र 18.5 सेकंड में साड़ी पहनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली साड़ी ड्रेपिंग आर्टिस्ट डॉली जैन बुधवार को अपने शहर रांची पहुंचीं. वह एक फैशन और ब्राइडल एग्जिबिशन ब्राइडल स्टोरी के उदघाटन समारोह में शामिल होने आयी थीं. उन्होंने कहा रांची मेरी जन्मभूमि है. यहां आते ही मां की गोद का एहसास होता है. मैंने यहीं से सबकुछ पाया है. डॉली जैन का जन्म रांची के सेवा सदन में हुआ है. उन्होंने अपनी पढ़ाई महावीर चौक स्थित स्कूल से शुरू की, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वह सातवीं कक्षा के बाद आगे नहीं पढ़ सकीं. उन्होंने कहा पढ़ने की इच्छा थी, लेकिन हालात ने इजाजत नहीं दी. फिर भी जब आपके भीतर कुछ खास होता है, तो आप खुद को साबित कर ही देते हैं.

साड़ी को बनाया ग्लैमर का प्रतीक

बिना औपचारिक शिक्षा के डॉली ने साड़ी पहनाने की कला को प्रोफेशन में तब्दील किया और देश-विदेश में पहचान बनायी. आज 325 से अधिक तरह से साड़ी बांधने का रिकॉर्ड उनके नाम है. वे श्रीदेवी, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, सोनम कपूर, नीता अंबानी, कटरीना कैफ, सारा अली खान समेत कई बॉलीवुड और हाइ-प्रोफाइल हस्तियों के लिए साड़ी ड्रेपिंग कर चुकी हैं. डॉली के इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लाखों फॉलोअर्स हैं, जहां स्त्रीओं को स्टाइलिंग और ड्रेपिंग टिप्स साझा करती हैं.

श्रीदेवी ने दी थी प्रेरणा

डॉली ने बताया कि एक बार मुंबई में श्रीदेवी से मिलने का मौका मिला. जब उन्होंने श्रीदेवी की साड़ी ठीक की, तो श्रीदेवी ने तारीफ करते हुए कहा, साड़ी जैसे तुम्हारी उंगलियों पर स्पोर्ट्स रही हो. उन्होंने ही सलाह दी थी कि इसे पेशा बनाया जाये. उसी दिन से डॉली ने इसे गंभीरता से लेना शुरू कर दिया.

साड़ी से दूरी, फिर गहराई

शादी के बाद कोलकाता में रहने वाली डॉली ने बताया, मेरे ससुराल में केवल साड़ी पहनने की परंपरा थी. मुझे साड़ी पसंद नहीं थी. लेकिन, धीरे-धीरे इस परिधान से प्रेम हो गया. रात 11 बजे से लेकर डेढ़ बजे तक मैं खुद पर प्रैक्टिस करती थी. कैसे साड़ी पहनाएं, कैसे खुद पहनें. फिर इसे नेम, फेम और अर्निंग से जोड़ दिया.

समाज ने कहा पागल हो अब वही ताकत बना

डॉली बताती हैं कि इस सफर में उन्हें समाज से कई तरह की आलोचनाएं सुननी पड़ीं. लोग कहते थे, ‘साड़ी पहनाना कोई प्रोफेशन है?’ खासकर जैन समाज में ये काम स्वीकार्य नहीं था. लोगों ने कहा तुम टाइम वेस्ट कर रही हो, लेकिन आज वही समाज मेरी ताकत बन गयी है.

स्त्रीओं को दी प्रेरणा, आधा घंटा सिर्फ खुद के लिए निकालें

डॉली कहती हैं, स्त्रीएं सपने देखें, उन्हें पूरा करें. मगर परिवार को साथ लेकर चलें. 24 घंटे में सिर्फ आधा घंटा खुद के लिए निकालें, वही आपकी पहचान बनेगी. मैंने समाज की सोच बदली है, आप भी बदल सकती हैं.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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