अस्सी घाट से लेकर फिरायालाल चौक तक फैलेगी रोशनी
अरविंद मिश्रा, रांचीरांची की दिवाली इस बार कुछ खास होने वाली है. मिट्टी के साथ-साथ गाय के गोबर से बने दीये से पूरा शहर जगमगा उठेगा. यही नहीं, रांची में तैयार गोबर के दीये से बनारस के अस्सी घाट भी गुलजार होंगे. कांके स्थित सुकुरहुटू गोशाला न्यास, अरसंडे और धुर्वा के सीठियो में गोबर से इकोफ्रेंडली दीये तैयार किये जा रहे हैं. इस काम में करीब 90 से 100 ग्रामीण स्त्रीएं जुड़ी हैं. केवल सुकुरहुटू प्लांट में एक दिन में 7000 दीये तैयार किये जा रहे हैं. दिवाली में केवल सुकुरहुटू प्लांट को दो से तीन लाख दीये की डिमांड मिली है.
पांच साल पहले शुरू किया स्टार्टअप
रांची के रोशन सिंह और सोनाली मेहता ने पांच साल पहले गाय के गोबर से प्रोडक्ट बनाने की शुरुआत की थी. कोरोना काल में दोनों के दिमाग में गोसेवा के साथ-साथ ग्रामीण स्त्रीओं को सशक्त करने का विचार आया. शुरुआत में उन्होंने स्त्रीओं को गोबर से प्रोडक्ट्स तैयार करने की ट्रेनिंग दी. आज सभी स्त्रीएं प्रशिक्षण प्राप्त कर घर बैठे अच्छी कमाई कर रही हैं.
स्त्रीओं को एक दिन में 400 रुपये से अधिक की कमाई
रोशन सिंह और सोनाली मेहता ने बताया, गोबर के दीये बनाकर ग्रामीण स्त्रीएं आत्मनिर्भर हो रही हैं. गांव की गरीब स्त्रीएं एक दिन में 400 से अधिक की कमाई कर रही हैं. सुकुरहुटू में 20, अरसंडे में 30 और धुर्वा में 30 से 40 स्त्रीएं काम कर रही हैं. सोनाली मेहता ने बताया, “वैसी स्त्रीओं को हमने जोड़ने का काम किया है, जो बाहर जाकर काम करना चाहती हैं. लेकिन, घर और बच्चों की जिम्मेदारी की वजह से बाहर नहीं निकल पाती हैं. इसमें अधिक समय देने की जरूरत नहीं पड़ती है. स्त्रीएं आसानी से खाली समय में इस काम को कर अपनी कमाई कर सकती हैं और कर रही हैं.
रांची की करीब 200 स्त्रीओं को दिया प्रशिक्षण
सोनाली बताती हैं कि सितंबर 2023 में गोबर क्राफ्ट का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद गोसेवा आयोग की ओर से हम लोगों ने केवल रांची में 200 स्त्रीओं को प्रशिक्षण दिया. 10 अलग-अलग ब्लॉक में हमने 20-20 स्त्रीओं को प्रशिक्षित किया है. गोसेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन की पहल है कि आने वाले दिनों में झारखंड के सभी जिलों में करीब साढ़े पांच हजार स्त्रीओं को गोबर से बने प्रोडक्ट्स तैयार करने की ट्रेनिंग दी जायेगी.
बनारस से दो लाख दीये की डिमांड
रांची के बने गोबर के दीये की डिमांड उत्तर प्रदेश के बनारस में भी है. सोनाली और रोशन सिंह की कंपनी को बनारस से करीब दो लाख दीयों की डिमांड आई है. रोशन सिंह ने बताया कि देश के अलग-अलग हिस्सों से भी उन्हें डिमांड मिल रही है.
गोबर से कौन-कौन से प्रोडक्ट हो रहे तैयार
गोबर से बने दीयों के साथ-साथ सुकुरहुटू, अरसंडे और धुर्वा में कई प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. गोबर से भगवान की मूर्ति तैयार की जा रही है. इसके अलावा, अलग-अलग साइज के दीये, की रिंग, सजावट के सामान और राखियां तैयार की जा रही हैं.
ऐसे तैयार होते हैं गोबर के दीये
गोबर से दीये तैयार करने के लिए प्लांट में मिक्सिंग और पीसने वाली मशीन लगाई गई है. सबसे पहले गोबर के उपले (गोइठा) को पहले मशीन में डालकर पाउडर बनाया जाता है. फिर उसे मिक्सिंग मशीन में डालकर अच्छे से मिलाया जाता है. मिक्सिंग मशीन में चिकनी मिट्टी और कच्चे गोबर को डाला जाता है. मिक्सिंग होने के बाद स्त्रीएं सांचे में डालकर प्रेशर मशीन के सहारे दीये तैयार किए जाते हैं.
मछली पालन में भी उपयोगी
रोशन सिंह और सोनाली मेहता ने बताया कि मिट्टी के दीये को आग में पकाना पड़ता है और इस्तेमाल के बाद उन्हें दोबारा मिट्टी में नहीं मिलाया जा सकता है. लेकिन, गोबर के बने दीये खाद का काम करेगा. नदी में प्रवाहित करने के बाद मछलियों का खाना बन जायेगा.
एक दीये की कीमत तीन से 10 रुपये
गोबर से बने दीये की कीमत तीन से 10 रुपये है. छोटे की कीमत तीन रुपये और बड़े आकार के दीये की कीमत 10 रुपये तक हैं. हालांकि, अधिक मात्रा में लेने पर रांची गोशाला या सुकुरहुटू प्लांट में संपर्क करना पड़ेगा.
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