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शादी के लिए गुण से गुण नहीं पहले दिल से दिल तो मिलाओ !

शादी के लिए लड़के वाले लड़की देखने जाते हैं। यह परंपरा आज भी कई जगह है। फिर भले ही अपने लड़के की शकल देखने लायक भी ना हो। नया विचार ( विनोद कुमार झा ) हमारे देश में दो तरह की शादियां होती हैं। जैसे कुछ लड़के-लड़कियों के लिए लव मैरिज है और दूसरी बाकी सभी लड़के-लड़कियों के लिए, अरेंज मैरिज है। लव मैरिज हो तो लड़का-लड़की एक-दूसरे को पसंद करके लाइफ के सारे प्लान कर लेते हैं। लेकिन अगर शादी अरेंज है, तो शादी होने से पहले लड़की देखने का रिवाज आज भी छोटे शहरों में है। लड़के वाले…

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शादी के लिए लड़के वाले लड़की देखने जाते हैं। यह परंपरा आज भी कई जगह है। फिर भले ही अपने लड़के की शकल देखने लायक भी ना हो।

नया विचार ( विनोद कुमार झा )

हमारे देश में दो तरह की शादियां होती हैं। जैसे कुछ लड़के-लड़कियों के लिए लव मैरिज है और दूसरी बाकी सभी लड़के-लड़कियों के लिए, अरेंज मैरिज है। लव मैरिज हो तो लड़का-लड़की एक-दूसरे को पसंद करके लाइफ के सारे प्लान कर लेते हैं। लेकिन अगर शादी अरेंज है, तो शादी होने से पहले लड़की देखने का रिवाज आज भी छोटे शहरों में है। लड़के वाले लड़की देखने जाते हैं। भले ही अपने लड़के की शकल देखने लायक भी ना हो!

रिश्ते करवाने वाले बिचौलिए भी इसमें मीडिएटर की भूमिका निभाते हैं। लड़के के घर वाले लड़की की फोटो देखते ही तुरंत हां कर देते हैं, क्योंकि शादी के लिए लड़के की उम्र तीन-चार बार निकल चुकी है। लड़की वाले भी लड़के की फोटो देखकर तुरंत हां कर देते हैं और ‘दामाद जी’ बहुत अच्छे हैं’ कह देते हैं।

लड़के वाले फिर लड़की को देखने का एक दिन तय करते हैं। लड़के वाले लड़की को देखने आ रहे हैं। इसके लिए लड़की वालों के यहां एक दिन पहले से स्वागत की तैयारी शुरू हो जाती है और मासूम लड़की को समझाया जाता है कि किसी बात को लेकर गड़बड़ ना कर दे। 8-10 साल पुरानी 5 सीटर कार में 11-12 लोग पहुंचते हैं, उनमें लड़के की बहन भी होती है, जिसकी अपनी शादी पिछली 9 सालों से नहीं हो पा रही होती! लड़के वालों के आते ही लड़की वालों के घर में एक ऐसा माहौल क्रिएट हो जाता है जैसे आयकर विभाग वाले घर में छापा मारने आए हैं।

सभी लोग सोफे और कुर्सी पर जाकर बैठते हैं, सेंटर टेबल पर समोसा, नमकीन, बिस्किट और कप में चाय होती है। चाय कम मीठी हो तो बंदा एक बिस्किट की जगह दो खा लेता है, लेकिन अगर चाय जरूरत से ज्यादा मीठी हो, तो लड़की की मां या बहन बोल पड़ते हैं, ‘चाय बिटिया ने बनाई है क्या…?’ वो चीनी थोड़ी ज्यादा डाल दी!

फिर सिलसिला शुरू होता है एक-दूसरे की तारीफ करने का। लड़की वाले शुरू होते हैं, ‘हमारी लड़की तो ऐसी है, हमारी लड़की तो वैसी है।’ फिर लड़के वाले उधर से ‘हमारा लड़का तो ऐसा है, हमारा लड़का तो वैसा है।’ कुंडली में 36 में से 35 गुण मिल रहे हैं।

बाद में पता चलता है कि लड़का भी गुटखा खाता है और लड़की भी खाती है। दोनों के काफी अवगुण मिलते हैं, लड़का भी सुबह देर से उठता है लड़की भी। सारे गुण यहीं सब मिलते हैं। फिर जिनकी किस्मत अच्छी होती है उनका रिश्ता नहीं होता। लेकिन जिनकी किस्मत खराब होती है उनका हो जाता है, मजाक की बात है!

कुल मिलाकर राज की बात ये है कि रिश्ता कोई भी हो ना कुंडली में गुण मिलने से चलता है ना एक- दूसरे की तारीफ करने से। रिश्ता चलता है तो एक- दूसरे को समझने से। इसलिए जब भी कोई रिश्ता करें तो दिल से दिल मिलाएं ना कि गुण से गुण… प्रणाम वालेकुम।

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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