रीगा. स्थानीय किसान भवन में संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा की बैठक प्रखंड अध्यक्ष पारसनाथ सिंह की अध्यक्षता हुई. बैठक में मुख्यमंत्री गन्ना विकास योजना में भारी लूट- खसोट पर चिंता व्यक्त की गई. वक्ताओं ने कहा कि क्षेत्र के किसानों ने इस योजना के तहत 37 हजार क्विंटल गन्ना बीज के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, जिससे करीब दो हजार एकड़ गन्ने की खेती हो सकती थी. लेकिन जानकारी के अनुसार मात्र 25 एकड़ ही गन्ने की खेती हो सकी है जो काफी दुखद है. अध्यक्ष ने कहा कि नियमानुसार गन्ना विभाग एवं चीनी मिल के अधिकृत कर्मचारी के संयुक्त देखरेख में मिल क्षेत्र से जुड़े किसानों का चयन किया जाना था, पर गन्ना विकास विभाग द्वारा मनमाने ढंग से किसानों का चयन कर अनुदान का वितरण किया गया है. गन्ना विकास विभाग के द्वारा सूचीबद्ध किसानों ने खेती किया ही नहीं. इसकी जांच कराकर सच्चाई सामने लाने की जरूरत है. मोर्चा नेता डॉ आनंद किशोर ने कहा कि गन्ना विकास विभाग पूर्व से ही फर्जी किसानों की सूची बनाकर अनुदान की आधी राशि पहले हीं नगद लेकर शेष राशि किसानों के खाते में डालती रही है. इस विभाग को गन्ना की खेती से कोई मतलब नहीं रही है. मोर्चा ने मांग की है कि लगातार तीन वर्षों के अनुदान वितरण की जांच कराई जाए. यह राशि करोड़ों में होगी. इसका बुरा असर चीनी मिल के भविष्य पर पड़ रहा है. जहां गन्ना की खेती नहीं हो रही है, वहां भी अनुदान का वितरण विभाग द्वारा लगातार प्रतिवर्ष की जा रहा है. गन्ना विभाग के कर्मचारी रणधीर वर्मा ने बताया कि गन्ना की खेती करने वाले किसानों को 150 रुपए प्रति क्विंटल व बीज आपूर्ति करने वाले किसानों को 50 रुपए प्रति क्विंटल अनुदान राज्य प्रशासन की ओर से दी जाती है. मौके पर बड़ी संख्या में किसान व किसान नेता मौजूद थे.
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