सीतामढ़ी. साल दर साल अब चैती छठ का भी ट्रेंड बढ़ रहा है. यही कारण है कि इस वर्ष शहर समेत जिले भर में चैती छठ पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि देखने को मिला है. शहर के बीच से गुजरने वाली लखनदेई नदी के विभिन्न घाटों पर इस बार छठ पूजा करने को लेकर छठ व्रतियों व आम श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बन रहा था. कार्तिक मास के छठ की तरह सड़कों पर नये-नये रंग-बिरंगे परिधानों में सजी-धजी स्त्रीएं, युवतियां व शिशु छठ घाट की ओर जाते दिखे. शहर से लेकर जिले भर के छठ घाटों पर इस बार व्रतियों की अच्छी संख्या देखने को मिला. पुरुष तो पुरुष, कई स्त्रीयें भी दंड प्रणाम करते हुए छठ घाट जाती दिखीं. कोई ठेला पर, तो कोई सिर पर डाला लेकर छठ घाट पहुंचे. सैकड़ों स्त्री एवं पुरुष छठ व्रतियों समेत आम श्रद्धालुओं ने घंटों तक छठ घाट पर पानी के अंदर खड़ा रहकर सूर्य के अस्त होने का इंतजार किया और सूर्यास्त की बेला में छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को पहला अर्घ दिया. इस दौरान तमाम छठ व्रति छठी मइया व भगवान भास्कर की आराधना में ध्यान मग्न दिखे. छठ घाटों पर स्त्रीओं द्वारा छठी मइया के पारंपरिक गीतों का दौर चलता रहा. स्त्रीयें छठी मइया की पारंपरिक गीत गाकर छठी मइया व भगवान भास्कर को प्रसन्न करने में जुटीं रही. बच्चों व युवाओं में छठ को लेकर काफी उत्साह देखा गया. कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. वहीं, आज चैत्र शुक्ल सप्तमी तिथि के अवसर पर तमाम छठ व्रती अपने-अपने छठ घाटों पर ब्रह्म मुहूर्त की बेला से ही दीपक जलाकर व प्रसाद का डाला सजाकर छठी मइया व भगवान भास्कर की आराधना करते हुए सूर्योदय होने का इंतजार करेंगे और सूर्योदय होते ही तमाम छठ व्रती उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ अर्पित करेंगे. इसके बाद छठ मइया की कथा श्रवण करने के बाद पारण के संग चैती छठ पूजा का समपान करेंगे. नगर निगम क्षेत्र में करीब 50 छठ घाटों पर छठ पूजा की गयी थी. वहीं, दर्जनों आवासीय परिसरों एवं छतों पर कृतिम तालाब का निर्माण करवाकर छठ व्रतियों ने छठ पूजा की. ग्रामीण इलाके में भी विभिन्न नदियों एवं पोखर-तालाबों में धूमधाम से चैती छठ पूजा की गयी.
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