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Srijan Scam: सृजन घोटाला मामले में सीबीआई को पटना हाईकोर्ट से फटकार, एजेंसी से क्या हुई चूक?

Srijan Scam: बेऊर जेल में बंद सृजन घोटाले की आरोपी रजनी प्रिया की जमानत मामले में पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाई है. पटना हाईकोर्ट ने काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं करने पर सीबीआई के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने सीबीआई को चेतावनी भी दी. अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई की तारीख तक यदि काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं किया गया तो एजेंसी को पटना हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी में 10 हजार रुपये कॉस्ट के जमा करने पड़ेंगे. मामले पर अगली सुनवाई 16 मई (कल) को होगी.

काफी प्रयास के बाद हुई थी गिरफ्तारी

रजनी प्रिया के अधिवक्ता अजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि 26 मार्च की सुनवाई के दौरान ही सीबीआई को काउंटर एफिडेविट दाखिल करने का आदेश मिला था. लेकिन 25 अप्रैल तक सीबीआई ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. जबकि सीबीआई ने कोर्ट से कम समय की मांग करते हुए अनुरोध किया कि एफिडेविट दाखिल कर दिया जाएगा. बता दें कि रजनी प्रिया सृजन स्त्री विकास सहयोग समिति की सचिव थीं. उनके खिलाफ करीब डेढ़ दर्जन से अधिक मामलों में चार्जशीट दाखिल है. रजनी प्रिया को काफी प्रयास के बाद गिरफ्तार किया गया था.

क्या है सृजन घोटाला?

सृजन घोटाला बिहार में हुआ एक बड़ा वित्तीय घोटाला था जिसमें सृजन स्त्री विकास सहयोग समिति नाम के एक एनजीओ ने प्रशासनी धन की हेराफेरी की थी. इस एनजीओ ने कई प्रशासनी विभागों की रकम सीधे अपने खातों पर ट्रांसफर कर लिया था. इससे प्रशासनी खजाने को भारी नुकसान हुआ था. सृजन स्त्री विकास सहयोग समिति लिमिटेड संस्था के द्वारा समाज सेवा और स्त्रीओं के विकास से संबंधित विभिन्न कार्यों के नाम पर भारी राशि का दुरुपयोग किया गया. घोटाले की कहानी की शुरुआत 16 दिसंबर 2003 से हुई थी.

14 वर्षों तक चला घोटालों का सिलसिला

इस घोटाले का सिलसिला 14 वर्षों तक चला. सृजन संस्था की शुरुआत गरीब, नि:सहाय स्त्रीओं के उत्थान के उद्देश्य की गई. संस्था धीरे-धीरे कई गांवों तक पहुंचने लगी. स्त्रीओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया. 16 दिसंबर 2003 से सृजन का उद्देश्य बदल गया स्त्रीओं के लिए रोजगार सृजन के मकसद से शुरू हुए सफर का रास्ता बदल गया और प्रशासनी राशि हड़पने की तरफ बढ़ गया. सबसे पहले जिला प्रशासन की नजारत शाखा से घोटालेबाजों ने अपने नये सफर की शुरुआत की. 16 दिसंबर 2003 से लेकर 31 जुलाई 2017 तक नजारत के खजाने को लूटती रही. बता दें कि दंगा पीड़ितों को मिलनेवाली पेंशन और उर्दू भाषी विद्यार्थियों को राज्य प्रशासन की ओर से दी जानेवाली प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी की गयी.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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