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Success Story: कभी दो वक्त रोटी के लिए थीं मोहताज, खेतीबाड़ी की इस तकनीक से बदली किस्मत, शीला उरांव की कमाई पर नहीं होगा यकीन

Success Story: रांची-शीला उरांव को देखकर आप उनकी कमाई का अंदाजा नहीं लगा सकेंगे. सामान्य-सी दिखनेवाली गांव की स्त्री ने आधुनिक खेती ने अपनी जिंदगी बदल ली. एक वक्त था, जब आर्थिक तंगी की वजह से परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. अब इतनी शानदार कमाई हो रही है कि लोग उन्हें लखपति दीदी के नाम से पुकारते हैं. पढ़िए झारखंड के लोहरदगा जिले के कुड़ू ब्लॉक के कोंकर गांव की स्त्री की प्रेरक कहानी.

परंपरागत खेती पर निर्भर था परिवार

शीला उरांव का परिवार वर्षों तक परंपरागत खेती पर निर्भर था. संसाधनों की कमी थी. तकनीकी जानकारी और पैसों की तंगी की वजह से परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था. रोजमर्रा का खर्च चलाना भी मुश्किल हो जाता था. 2016 में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) के कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद शीला को स्वयं सहायता समूह (SHG) के लाभ के बारे में पता चला. इससे प्रेरित होकर वह जय मां सरना स्त्री मंडल समूह की सदस्य बनीं और उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया.

आधुनिक खेती से बढ़ी आमदनी

स्त्री समूह से जुड़ने के बाद शीला उरांव को खेती की ट्रेनिंग मिलने लगी. धीरे-धीरे उन्होंने आधुनिक खेती के नए तरीके सीखे. उन्होंने समूह से 15,000 रुपए का लोन लिया. फिर 10,000, 40,000 और 23,000 का लोन लिया और खेती में लगाया. इससे पैदावार बढ़ी और आमदनी भी अधिक होने लगी. सबसे बड़ी सफलता उन्हें बैंगन की खेती से मिली. उन्होंने एक ही सीजन में 1.5 लाख का शुद्ध मुनाफा कमाया. इस कमाई से उन्होंने स्कूटी खरीदी. उससे अब वह खुद ही सब्जियां बाजार तक ले जाती हैं और बेचती हैं. उनके परिवार ने अब पूरी तरह से कृषि को मुख्य आजीविका बना लिया है. हर सीजन में 40000-50000 तक की कमाई हो जाती है.

पॉली नर्सरी से भी होने लगी कमाई

शीला उरांव ने पॉली नर्सरी भी शुरू की, जहां वह बिचड़े से पौध तैयार करती हैं. इससे उन्हें सालाना 30,000-40,000 की अतिरिक्त कमाई होने लगी. शीला उरांव अब सिर्फ खुद तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आजीविका कृषि सखी बनकर दूसरे किसानों को भी सिखा रही हैं. इस भूमिका से उन्हें हर महीने 1,000-1,500 तक की आमदनी होती है. आज शीला की सालाना आमदनी 2 लाख से अधिक हो रही है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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