Success Story: “जब इरादे बुलंद हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती…”, ये लाइन दीपेश केवलानी की जिंदगी पर एकदम सटीक बैठती है. एक समय चौकीदारी की नौकरी करने वाले दीपेश ने आज IIM शिलॉन्ग में एमबीए में दाखिला लेकर मिसाल कायम की है.उनका सफर संघर्षों से शुरू होकर सफलता तक पहुंचा है और यही उन्हें खास बनाता है.
बचपन में उठाई बड़ी जिम्मेदारी
दीपेश की जिंदगी में मुश्किलें बचपन से ही शुरू हो गई थीं. जब वह सिर्फ 11 साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया. इसके बाद उनका परिवार जयपुर से अहमदाबाद आ गया. एक कमरे के मकान में मां और छोटे भाई के साथ रहकर दीपेश ने छोटी उम्र से ही घर की जिम्मेदारी संभालनी शुरू कर दी. सातवीं क्लास में उन्होंने जूते की दुकान पर काम करना शुरू किया, जहां उन्हें 1500 रुपये महीना मिलता था. स्कूल के बाद काम पर जाना और बिना ट्यूशन के खुद पढ़ाई करना उनकी दिनचर्या थी. लेकिन मेहनत रंग लाई और उन्होंने 10वीं में 85% और 12वीं में 89% अंक हासिल किए. वे स्कूल टॉपर भी बने.
नौकरी के साथ पढ़ाई
12वीं के बाद दीपेश को अहमदाबाद कैंट में चौकीदार की प्रशासनी नौकरी मिल गई. 18,000 रुपये की सैलरी से उन्होंने घर का खर्च चलाया और साथ ही B.Com और M.Com की पढ़ाई भी डिस्टिंक्शन से पूरी की. लेकिन उनका सपना IIM में पढ़ाई करने का था, जो दिल में कहीं छुपा रह गया था.
CAT की तैयारी और सफलता
जब उनके छोटे भाई दिनेश को IIM लखनऊ में एडमिशन मिला, तब दीपेश का सपना फिर से जागा. उन्होंने मई 2024 से CAT की तैयारी शुरू की. दिन में ढाई बजे तक नौकरी और शाम को कोचिंग जाना उनका रूटीन बन गया. रोजाना 50-60 किलोमीटर का सफर तय करके 4 घंटे पढ़ाई करना आसान नहीं था, लेकिन दीपेश ने हार नहीं मानी. दिसंबर 2024 में CAT का रिजल्ट आया और उन्होंने 92.5 पर्सेंटाइल हासिल की. इंटरव्यू में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और अब उन्हें IIM शिलॉन्ग में MBA में एडमिशन मिल गया है.
इनवेस्टमेंट बैंकर बनने का सपना
दीपेश अब IIM से पढ़ाई पूरी कर इनवेस्टमेंट बैंकर बनना चाहते हैं. वे कहते हैं, “अभावों को मैंने अपनी ताकत बनाया. आज जहां खड़ा हूं, वहां पहुंचने में मेरी मेहनत और परिवार के विश्वास का बड़ा हाथ है.”
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