Suhag Rituals: हिन्दू धर्म में स्त्रीएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए कई तरह की परंपराओं को निभाती हैं. शादीशुदा स्त्रीओं को मांग में सिंदूर, हाथों में चूड़ियां और गले में मंगलसूत्र पहनना जरूरी हो जाता है. इसके अलावा, स्त्रीएं अपने पतियों के स्वास्थ्य और आयु के लिए कई तरह के व्रत रखती हैं. हिन्दू धर्म के शास्त्रों में स्त्रीओं के लिए 16 श्रृंगार की बात कही गई है, जिसमें चूड़ी का विशेष महत्व है. हालांकि, रोजमर्रा के काम में अक्सर चूड़ियां टूट जाती हैं. ऐसे में कई स्त्रीएं टूटी हुई चूड़ियों को फेंक देती हैं. लेकिन स्त्रीओं को चूड़ी को फेंकने से बचना चाहिए.
क्यों नहीं फेंकना चाहिए टूटी चूड़ियां?
हिन्दू धर्म में चूड़ियों का विशेष महत्व होता है. सोलह श्रृंगार में चूड़ी एक पवित्र श्रृंगार का सामान है. ऐसे में अगर चूड़ियां टूट भी जाए, तो उसे फेंकने से बचना चाहिए. इसे यूं ही किसी भी जगह पर फेक नहीं देना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि यह सुहाग की वस्तु का अपमान माना जाता है.
टूटी हुई चूड़ियों का क्या करें?
अगर चूड़ियां टूट भी जाती हैं, तो उन्हें कूड़े के ढेर के बजाय एक लाल कपड़े में बांधकर रख दें. फिर इसे कपड़े सहित पीपल या किसी अन्य पवित्र पेड़ की जड़ में दबाकर रख देना चाहिए. ऐसा इसलिए करना चाहिए, क्योंकि टूटी हुई चूड़ियों को कोई तांत्रिक प्रयोगों के लिए उपयोग न कर पाएं. टूटी चूड़ियों का इस्तेमाल नकारात्मक शक्तियों के लिए भी किया जा सकता है.
स्त्रीओं की सेहत से भी है खास संबंध
धार्मिक मान्यता के अनुसार, चूड़ियों को स्त्रीओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है. यह एक आभूषण तो होता है, लेकिन चूड़ी की खनखनाहट सकारात्मक ऊर्जा को भी बढ़ाने का काम करता है. चूड़ियों से जो कंपन निकलती है, वह स्त्रीओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालने का काम करता है.
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