Thursday Rules: हिंदू धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन का संबंध किसी न किसी ग्रह और देवता से जुड़ा होता है. गुरुवार का दिन देवगुरु बृहस्पति को समर्पित होता है, जिन्हें ज्ञान, धर्म, संतान, सदाचार और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. इस दिन व्रत-पूजा करने और सात्त्विक जीवनशैली अपनाने से गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरुवार को कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए, जिनमें भूंजा या भुना हुआ अन्न प्रमुख है. आइए जानें इस बारे में ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा क्या कहते हैं.
इस कारण से गुरुवार को भूंजा खाना है मना
भूंजा जैसे चना, मुरमुरा, मक्का या पोहा को तामसिक व शुष्क आहार माना गया है. ये पदार्थ शरीर में रूखापन, सुस्ती और असंतुलन पैदा कर सकते हैं, जो कि गुरुवार की सात्त्विक ऊर्जा के विपरीत है. इसके अलावा, भूंजा अक्सर बासी या कई बार पहले से तैयार किया गया होता है, जिससे उसकी ताजगी और पौष्टिकता कम हो जाती है. यही कारण है कि इस दिन इसे खाने से मना किया गया है.
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गुरुवार के व्रत में पीली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है. लोग इस दिन पीले वस्त्र पहनते हैं और चने की दाल, हल्दी, केसर या बेसन से बनी ताजगीयुक्त सात्त्विक चीजों का सेवन करते हैं. पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक है, और इससे संबंधित आहार ग्रह को मजबूत करने में सहायक माने जाते हैं.
ऐसे पड़ता है नकारात्मक प्रभाव
आध्यात्मिक दृष्टि से, गुरुवार को किया गया हर कार्य गुरु ग्रह के प्रभाव में आता है. इसलिए ऐसा माना गया है कि तामसिक या बासी भोजन ग्रह की कृपा को बाधित कर सकता है. इससे बुद्धि, निर्णय क्षमता और जीवन की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
अतः निष्कर्ष रूप में, गुरुवार को भूंजा न खाना सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धता और मानसिक संतुलन को बनाए रखने का एक गूढ़ प्रयास है, जिससे गुरु की कृपा बनी रहती है और जीवन में सकारात्मकता आती है.
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