Vat Savitri Vrat 2025: अखंड सौभाग्य की कामना के साथ, सुहागिन स्त्रीएं सोमवार को वट सावित्री पूजा करेंगी. इस अवसर पर सुहागिनों में काफी उत्साह है. बाजार में रविवार को भी स्त्रीओं ने खरीदारी की. उन्होंने पूजन सामग्री, श्रृंगार और दान सामग्री की खरीदारी की. मेहंदी लगाने के लिए पार्लर और शॉपिंग मॉल के बाहर अपनी बारी का इंतजार करती हुई दिखाई दीं. नवविवाहिताएं व्रत के लिए विशेष तैयारी में जुटी हुई हैं. दिल के 10:54 बजे तक चतुर्दशी है: सोमवार को वट सावित्री पूजा है. दिन के 10:54 बजे तक चतुर्दशी है. इसके बाद अमावस्या लग जाएगी, जो 27 मई को सुबह साढ़े आठ बजे तक रहेगी. यह स्नान-दान की अमावस्या है. इसके अलावा, इस दिन भगवान शनिदेव की जयंती भी मनाई जाएगी. 26 को फलहारिणी काली पूजा भी है. इसी दिन श्राद्ध की अमावस्या भी है.
बाजार में दिखी भीड़
बाजार में पूजन सामग्री की बिक्री व्रत के कारण रविवार को काफी भीड़ देखी गई. स्त्रीओं ने पूजन सामग्री के साथ-साथ बांस का पंखा आदि की खरीदारी की. इसके अतिरिक्त डलिया और फलों की भी बिक्री हुई. बाजार में पंखा, श्रृंगार सामग्री, टोकरी, डलिया में दान सामग्री, चूड़ी, बिंदी, आइना सहित अन्य वस्तुओं की बिक्री हुई. सजाए गए डलिया की कीमत 51-251 रुपये, ताड़ का पंखा 10-20 रुपये प्रति पीस और बांस का पंखा 30-50 रुपये प्रति पीस में बेचा गया. मौली धागा 10-50 रुपये, टोकरी 10-50 रुपये प्रति पीस, वट सावित्री कथा की किताब 20-30 रुपये और श्रृंगार सामान 10-150 रुपये आदि की कीमत पर बेचा गया. दुकानदारों के अनुसार, बांस का पंखा झारखंड के टाटा और ताड़ का पंखा बिहार के गया से मंगाया जाता है.
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वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत विवाहित स्त्रीएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं. इस अवसर पर वट वृक्ष की पूजा की जाती है. इस दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विशेष महत्व है, जो पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. पुराणों के अनुसार, वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास होता है. इसलिए इसके नीचे बैठकर पूजा और व्रत कथा सुनने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मान्यता है कि जो सुहागिन स्त्रीएं सावित्री का व्रत करती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का फल प्राप्त होता है.
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क्या है मान्यता
वट सावित्री व्रत की मान्यता यह है कि इसी दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी. इसलिए, यह तात्कालिक रूप से सुहागिन स्त्रीओं के लिए विशेष माना जाता है. इस दिन स्त्रीएं सोलह श्रृंगार करके बरगद के पेड़ में कच्चा सूत बांधती हैं. वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए वे अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं.
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