Vidur Niti: महाहिंदुस्तान के महान पात्रों में से एक महात्मा विदुर न केवल एक धर्मनिष्ठ और ज्ञानी पुरुष थे, बल्कि वे नीति, न्याय और सत्य के प्रतीक भी माने जाते हैं. उनके विचार इतने गहन और व्यावहारिक थे कि उन्होंने हस्तिनापुर जैसे शक्तिशाली राज्य में प्रधानमंत्री का पद अपनी योग्यता से प्राप्त किया. उन्होंने हमेशा सच्चाई को निर्भय होकर कहा, चाहे सामने राजा ही क्यों न हो. यही वजह थी कि वे हर युग में आदर्श नीति-ज्ञानी माने जाते हैं. विदुर और धृतराष्ट्र के बीच हुए संवाद को ‘विदुर नीति’ कहा जाता है, जो सिर्फ एक शास्त्रीय ग्रंथ नहीं, बल्कि आज के समय के लिए भी दिशा दिखाने वाला प्रकाश स्तंभ है. विदुर ने बताया कि अगर इंसान कुछ जरूरी सिद्धांतों को अपनाता है, तो वह न सिर्फ व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बना सकता है, बल्कि अपने पेशेवर जीवन में भी ऊंचाइयां छू सकता है. विदुर की नीतियां आज भी हमें सिखाती हैं कि कठिन हालात में भी सही राह कैसे पकड़ी जाती है. ऐसे ही विदुर नीति में कुछ चीजों को अकेले करने से मना किया गया है.
- महात्मा विदुर कहते हैं कि जब को स्वादिष्ट भोजन हो, तो उसे अकेले नहीं खाना चाहिए. स्वादिष्ट भोजन को हमेशा दूसरों के साथ मिल बांट के ही खाना चाहिए.
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- विदुर नीति के अनुसार, जब किसी विषय को निश्चित करना हो, तो किसी से इस विषय में पूछ लेना ही उचित होता है. अकेले किसी विषय या कोई फैसला नहीं लेना चाहिए. ऐसा करने से इंसान को बचना चाहिए.
- विदुर नीति के मुताबिक, व्यक्ति को अकेला रास्ता नहीं चलना चाहिए. इससे इंसान को जितना हो सके बचना चाहिए.
- विदुर नीति के अनुसार, जहां बहुत से लोग हों और सभी सोए हुए हो, तो वहां अकेले जागते रहना व्यर्थ होता है. ऐसे में इंसान को बिल्कुल भी अकेले जागने से बचना चाहिए.
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