World Book And Copyright Day 2025 : विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस विश्व साहित्य के लिए एक प्रतीकात्मक दिन है. वर्ष 1995 ई में फ्रांस में आयोजित यूनेस्को के एक सम्मेलन में, 23 अप्रैल को पुस्तक और कॉपीराइट का वैश्विक दिवस घोषित किया गया था. इसका उद्देश्य लिखित शब्दों को जीवित और स्वस्थ रखना और कॉपीराइट के माध्यम से पठन, प्रकाशन और बौद्धिक संपदा के संरक्षण को बढ़ावा देना है. यह दिन साहित्य के प्रति प्रेम को बढ़ावा देता है और लोगों को हर दिन पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है. किताबों की जब बात चलती है, तो पुस्तकालयों का जिक्र भी लाजिम है. सार्वजनिक पुस्तकालय यानी एक जगह, जो सभी के लिए है.
वाशिंगटन डीसी में है सबसे बड़ी लाइब्रेरी
पुस्तकालयों को सदियों से ज्ञान और सांस्कृतिक भंडार के रूप में देखा जाता रहा है, जो शोध और शिक्षा के लिए आवश्यक संस्थानों के रूप में कार्य करते हैं. दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी का खिताब आम तौर पर लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस ( एलओसी ) को दिया जाता है, जो अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में स्थित है. इसकी स्थापना संयुक्त राज्य अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति जॉन एडम्स के कार्यकाल में 24 अप्रैल, 1800 को हुई थी, जब अमेरिकी की राजधानी फिलाडेल्फिया, पेनसिल्वेनिया से वाशिंगटन डीसी में स्थानांतरित हुई थी.
मोरक्को में है सबसे पुराना पुस्तकालय
मोरक्को में नौवीं शताब्दी के एक पुस्तकालय अल-करावियिन को दुनिया का सबसे पुराना पुस्तकालय माना जाता है. इस पुस्तकालय का पुनरुद्धार किया जा रहा है, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसे संरक्षित किया जा सके. मोरक्को की पूर्व राजधानी फेस में एक स्त्री द्वारा स्थापित अल-करावियिन पुस्तकालय दुनिया की कुछ सबसे दुर्लभ और अनोखी पांडुलिपियों का घर है.
हिंदुस्तान का सबसे उल्लेखनीय पुस्तकालय
तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित सरस्वती महल पुस्तकालय हिंदुस्तान का सबसे पुराना ज्ञात पुस्तकालय है और यह एशिया के सबसे पुराने पुस्तकालयों में से एक है. यह पुस्तकालय ताड़पत्र पांडुलिपियों, संस्कृत और तमिल पांडुलिपियों एवं देशी भाषा की पुस्तकों के संग्रह के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है. इस पुस्तकालय में 49,000 से अधिक वॉल्यूम उपलब्ध हैं और इसे हिंदुस्तान का सबसे उल्लेखनीय पुस्तकालय भी कहा गया है.
आपने देखी है पटना की यह लाइब्रेरी !
इतिहास और संस्कृति से भरपूर शहर पटना में स्थित है एशिया की सबसे पुरानी लाइब्रेरियों में से एक खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी. खान बहादुर खुदा बख्श द्वारा 1891 में स्थापित इस पुस्तकालय में लगभग 21,000 से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियों और 250,000 मुद्रित पुस्तकों का उत्कृष्ट संग्रह है.
लोगों तक चलकर पहुंचे पुस्तकालय
किताब हर किसी के लिए हो, इस उद्देश्य से दुनिया भर में लाइब्रेरियां बनायी गयीं. बाद में दूर-दराज के इलाकों में लोगों तक किताबों की पहुंच बनाने के लिए चलती फिरती लाइब्रेरियां भी बनीं. ऐसी ही एक भ्रमणशील पुस्तकालय 1956 में झारखंड के दुमका स्थित संथाल परगना में स्थापित किया गया. कुल 76000 किलोमीटर की यात्रा के बाद वर्ष 2022 में इसे विरासत का दर्जा दे दिया गया.
कोलकाता में हुगली नदी पर हिंदुस्तान की पहली बोट लाइब्रेरी है. पश्चिम बंगाल परिवहन निगम एक हेरिटेज बुक स्टोर के साथ मिलकर यंग रीडर्स बोट लाइब्रेरी को संचालित करता है. इसमें हिंदी, अंग्रेजी और बंगाली में कई विधाओं की 500 से अधिक संग्रहित पुस्तकें हैं.ऐसे तैरते पुस्तकालय मैनहट्टन एवं बांग्लादेश में गुमानी नदी में भी मौजूद हैं.
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