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World Theatre Day 2025 : रंगमंच में दें भविष्य को दिशा

World Theatre Day 2025 : थिएटर में काम करने को आमतौर पर लोग अभिनय से जोड़कर देखते हैं. लेकिन, मंच पर स्पोर्ट्से जा रहे नाटक में विभिन्न भूमिकाएं निभा रहे कलाकारों की प्रस्तुति का जो दृश्य हम देखते हैं, उसे तैयार करने में परदे के पीछे से कई अन्य भूमिकाएं अहम योगदान देती हैं. बेशक अभिनय में करियर बनाने की पहली अहम पाठशाला रंगमंच को माना जाता है. इसके अलावा भी थिएटर की दुनिया में कई रचनात्मक भूमिकाएं मौजूद हैं, आप अपनी पसंद की भूमिका के साथ आगे बढ़ सकते हैं.

नाट्य लेखन

नाट्य प्रस्तुतियों के लिए मुख्य कहानी लिखने, कलाकारों के बीच के संवाद की सभी पंक्तियां बनाने और प्रत्येक दृश्य का वर्णन करने का काम नाटककार करते हैं, फिर नाट्य निर्देशक और कलाकार उस नाटककार के लिखे गये के आधार पर मंच पर उसका लाइव प्रदर्शन करते हैं.

नाट्य निर्देशन

नाटक के मंचन के सभी प्रमुख पहलुओं, जैसे कौन सा नाटक मंचित किया जायेगा, विभिन्न पात्रों के लिए कलाकारों का चयन, उनकी वेशभूषा और उनके प्रदर्शन की योजना सब कुछ में निर्देशक की दृष्टि शामिल होती है. किसी कहानी को मंच पर कैसे प्रदर्शित करना है, इसमें निर्देशक अहम भूमिका निभाते हैं. अधिकांश थिएटर निर्देशक थिएटर प्रोडक्शन या संबंधित विषय में स्नातक की डिग्री हासिल करके शुरुआत करते हैं.

आर्ट डायरेक्शन

नाटक की पृष्ठभूमि के आधार पर मंच सेट-अप को तैयार करने में आर्ट डायरेक्टर अहम भूमिका निभाते हैं. नाटकों में जो भी पृष्ठभूमि दिखाई देती है, वह एक आर्ट डायरेक्टर और उनकी टीम तैयार करती है, ताकि नाटक में दिखाया जा रहा घटनाक्रम, विषय, अनुभव आदि वास्तविक लगें.

अभिनय

रंगमंच को अभिनय की दुनिया में आगे बढ़ने की पहली और सबसे अहम पाठशाला माना जाता है. हिंदी सिनेमा के कई प्रसिद्ध कलाकारों ने अभिनय के गुर रंगमंच से ही सीखे हैं. नाटक में काम करने से अभिनय की बारीकियां सीखने के साथ ही कलाकार एक तरह आत्मविश्वास हासिल करते हैं और अपने लिए काम करने के नये मौके बनाते हैं.

लाइट्निंग एवं साउंड टेक्नीक

नाटकों के मंचन में अगर रोशनी और आवाजें क्रम में न हों, तो दृश्य और संवाद का संयोजन सही तरीके से नहीं बन सकता. रंगमंच में रोशनी और ध्वनि के सही संयोजन में लाइट्निंग एवं साउंड टेक्नीशियन अहम भूमिका निभाते हैं.

अपनी रुचि पहचान कर बढ़ें आगे

आपमें अगर रंगमंच में काम करने को लेकर जुनून है, तो शुरुआत स्कूल या कॉलेज में आयोजित होने वाले नाटकों से कर सकते हैं. आगे चलकर कॉलेज के थिएटर ग्रुप से जुड़ सकते हैं अथवा शहर में सक्रिय किसी अन्य थिएटर समूह में शामिल हो सकते हैं. इसके बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) या किसी अन्य मान्यताप्राप्त नाट्य संस्थान से नाट्य कला यानी ड्रैमेटिक आर्ट की पढ़ाई कर स्वयं को थिएटर की दुनिया में आगे बढ़ा सकते हैं. देश भर में बीते कुछ वर्षों से कमर्शियल थियेटर ग्रुप अच्छा काम कर रहे हैं. आप इस विधा में काम करते हुए एक खास पहचान भी हासिल कर सकते हैं.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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