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खुलने लगा भागलपुर के पासिंग गिरोह का राज, आधा दर्जन लोगों पर केस दर्ज, ट्रकों से करते हैं अवैध वसूली

भागलपुर में बीते कुछ वर्षों में इंट्री पासिंग गिरोह तेजी से फला-फूला. पूर्व में इसको लेकर पुलिस से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने सख्ती दिखायी. कानूनी कार्रवाई भी की गयी. इसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. पर एक बार फिर से मामले ने तूल पकड़ा. इंट्री पासिंग कराने के कई मामले सामने आने और ऑडियो/वीडियो वायरल होने के बाद एसएसपी ने पूरे मामले की जांच कराने का निर्देश दिया. इसकी जांच की जिम्मेदारी सिटी डीएसपी अजय कुमार चौधरी को दी गयी. मामले में बरारी थानाध्यक्ष एसआइ बिट्टू कुमार कमल के बयान के आधार पर केस दर्ज किया गया है.

व्हाइट कॉलर लोग, थाना के निजी चालक, कथित पत्रकार भी शामिल

कई मोबाइल नंबरों, ऑनलाइन पेमेंट आइडी, बैंक खाता नंबरों के धारकों को इस मामले में अभियुक्त बनाया गया है. मामले में प्राथमिकी दर्ज किये जाने की बात सामने आने के बाद कई लोगों की सांसे फूलने लगी हैं. आशंका जतायी जा रही है कि इस पूरे प्रकरण में कई व्हाइट कॉलर लोग, कुछ जनप्रतिनिधि, कुछ बड़े व्यापारी और ट्रांसपोर्टरों सहित थाना के निजी चालकों ओर खुद को पत्रकार बताने वाले लोग भी शामिल हैं.

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बैंक खातों में ट्रांजेक्शन का खुलासा

दिये गये आवेदन में पंकज कुमार नामक व्यक्ति के खाता होने और कमालचक निवासी कृष्णानंद भगत के ऑनलाइन पेमेंट आइडी पर छोटे-बड़े दर्जनों ट्रांजेक्शन किये जाने की बात सामने आयी है. मामले में पांच फोन नंबरों को भी केस में शामिल किया गया है. वहीं जिस ऑनलाइन पेमेंट आइडी वाले फोन नंबरों को जांच में लाया गया है उनमें पंकज कुमार नाम के व्यक्ति का नंबर शामिल है. वहीं कृष्णानंद भगत के अकाउंट नंबर जिसके आखिर में 8918 है, एफआइआर के आवेदन में उसका जिक्र किया गया है.

पंकज और उसके सिंडिकेट की हुई जांच को कई चौंकाने वाले तथ्य आये सामने

मामले में पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जांच में यह बात सामने आयी है कि पंकज और उसके सिंडिकेट के द्वारा जबरदस्ती ट्रक ड्राइवर और ट्रक मालिकों से अवैध वसूली होती थी. दस्तावेज का गलत तरीके से इस्तेमाल करके अवैध ओवरलोडिंग गाड़ी का पासिंग कराते थे. अवैध वसूली नहीं देने वाले ट्रक ड्राइवर और मालिकों को मारते-पीटते और डराते-धमकाते हुए अवैध वसूली के लिए मजबूर करते थे.

पुलिस व प्रशासनिक पदाधिकारियों के नाम से सेव करते थे नंबर

मामले में की गयी जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि जिन मोबाइल नंबरों से पूरी इंट्री पासिंग का पूरा स्पोर्ट्स चलाया जा रहा था, वह पुलिस व प्रशासनिक पदाधिकारियों के नाम से सिंडिकेट के लोगों के मोबाइल में सेव होता था. इनमें न्यू एमवीआइ, न्यू मोबाइल अफसर, पुराना एमवीआइ, आइटीओ सेक्रेटरी, टीओपी बरारी आदि नाम शामिल हैं.

10 ट्रकों के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर हुई जांच तब जाकर हुआ खुलासा

मामले में पुलिस की ओर से की गयी जांच में सबसे पहले पुलिस को कुछ ट्रक के रजिस्ट्रेशन नंबर मिले थे. जांच करते हुए पुलिस ने कुल 10 ट्रक के रजिस्ट्रेशन नंबरों को निकाला और उनके ड्राइवर और मालिकों से बातचीत की.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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