Hot News

कोई नहीं जानता रेमंड के लिए ऐतिहासिक गेमचेंजर कैसे बना किंग्स कॉर्नर?

Kings Corner: हिंदुस्तान की टेक्सटाइल इंडस्ट्री दिग्गज कंपनी रेमंड 10 सितंबर, 2025 को पूरे 100 साल की हो जाएगी. इस कंपनी की स्थापना आज से 100 साल पहले 10 सितंबर 1925 को हुई थी. लेकिन, देश के अधिकांश लोग यह नहीं जानते होंगे कि रेमंड को नामी-गिरामी टेक्सटाइल कंपनी बनाने के पीछे जिसकी अहम भूमिका रही है, उसका नाम किंग्स कॉर्नर है. यही रेमंड का वह पहला एक्सक्लूसिव रिटेल शोरूम है, जो उसके लिए ऐतिहासिक गेमचेंजर बना. आइए, जानते हैं कि किंग्स कॉर्नर रेमंड के लिए गेमचेंजर कैसे बना?

कब हुई थी किंग्स की स्थापना

रेमंड लिमिटेड की वर्ष 2000 में प्रकाशित सालाना रिपोर्ट के अनुसार,आजादी के करीब 10 साल बाद वर्ष 1958 में हिंदुस्तान तेजी से बदल रहा था. मिडिल और अपर क्लास में स्टाइलिश और गुणवत्तापूर्ण कपड़ों की मांग बढ़ रही थी. इस समय तक रेमंड टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग में अपनी पहचान बना चुकी थी. उसने इस अवसर को भुनाने के लिए मुंबई के बैलार्ड एस्टेट में अपने पहले एक्सक्लूसिव रिटेल शोरूम किंग्स कॉर्नर की स्थापना की. मुंबई उस समय ब्रिटिश औपनिवेशिक इमारतों और कॉर्पोरेट दफ्तरों का केंद्र था. जेके बिल्डिंग में शोरूम का उद्घाटन रणनीतिक था, क्योंकि यह इलाका अमीर और प्रभावशाली लोगों का गढ़ था. यह रेमंड का मैन्युफैक्चरिंग से रिटेल की ओर पहला कदम था.

किंग्स कॉर्नर का डिजाइन और खासियत

वर्ष 1985 में प्रकाशित बिजनेस इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, किंग्स कॉर्नर का नाम और डिजाइन रॉयल्टी से प्रेरित था. “किंग्स” शब्द प्रीमियम और विशिष्टता का अहसास कराता था, जो रेमंड के हाई-क्वालिटी वूलन और वूल-ब्लेंडेड फैब्रिक्स से मेल खाता था. इस शोरूम में लकड़ी की फर्निशिंग, बड़े शीशे और सॉफ्ट लाइटिंग थी, जो उस समय के हिसाब से आधुनिक थी. यहां सूटिंग, शर्टिंग और एक्सेसरीज की रेंज उपलब्ध थी, जो रेमंड के झारखंड और महाराष्ट्र के मिलों से आती थी. पर्सनलाइज्ड सर्विस, जैसे कस्टम टेलरिंग और स्टाइल सलाह, इसकी यूएसपी थी. शोरूम ने रेमंड के “चेस किंग” कैंपेन को बढ़ावा दिया, जो पुरुषों के लिए स्टाइल और आत्मविश्वास का प्रतीक था.

हिंदुस्तानीय रिटेल में क्रांति

किंग्स कॉर्नर ने हिंदुस्तानीय रिटेल में क्रांति लाई. 1950 के दशक में टेक्सटाइल खरीदारी असंगठित दुकानों या दर्जियों तक सीमित थी. किंग्स कॉर्नर ने ब्रांडेड रिटेल का कॉन्सेप्ट पेश किया, जिसने मिडिल और अपर क्लास को आकर्षित किया. इसने रेमंड को ग्राहकों से डायरेक्ट कनेक्ट करने में मदद की, जिससे फीडबैक और ट्रेंड्स को समझना आसान हुआ. इसकी सफलता ने रेमंड को 1960 के दशक में और स्टोर्स खोलने के लिए प्रेरित किया, जिसने इसके नेटवर्क को मजबूत किया.

रेमंड के सामने चुनौतियां और रणनीति

किंग्स कॉर्नर को शुरू में ब्रांडेड रिटेल की नई अवधारणा के कारण स्वीकार्यता की चुनौती मिली. बैलार्ड एस्टेट में हाई रेंट भी एक मुद्दा था. रेमंड ने प्रिंट मीडिया और रेडियो के जरिए कैंपेन्स चलाए, जिनमें “रेमंड: द कम्प्लीट मैन” जैसे स्लोगन्स शामिल थे. सीजनल डिस्काउंट्स और लॉयल्टी प्रोग्राम्स ने ग्राहकों को आकर्षित किया.

इसे भी पढ़ें: ट्रंप के सामने नहीं झुकेगा ड्रैगन, अमेरिका पर ठोक दिया 125% टैरिफ

किंग्स कॉर्नर ने दिखाई रिटेल इनोवेशन की राह

किंग्स कॉर्नर ने रेमंड को रिटेल इनोवेशन की राह दिखाई. इसके बाद 1986 में पार्क एवेन्यू और 1990 में विदेशी शोरूम्स शुरू हुए. आज रेमंड के 1100 अधिक स्टोर्स हैं, लेकिन किंग्स कॉर्नर इसकी नींव था. यह गुणवत्ता और स्टाइल की रेमंड की सोच को दर्शाता है.

इसे भी पढ़ें: आधा हिंदुस्तान नहीं जानता BATA किस देश की कंपनी है? जान जाएगा तो घर में लगा देगा जूते-चप्पलों की लाइन

The post कोई नहीं जानता रेमंड के लिए ऐतिहासिक गेमचेंजर कैसे बना किंग्स कॉर्नर? appeared first on Naya Vichar.

Spread the love

विनोद झा
संपादक नया विचार

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.

About Us

नयाविचार एक आधुनिक न्यूज़ पोर्टल है, जो निष्पक्ष, सटीक और प्रासंगिक समाचारों को प्रस्तुत करने के लिए समर्पित है। यहां राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, तकनीक, शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण खबर को विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाता है। नयाविचार का उद्देश्य पाठकों को विश्वसनीय और गहन जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे सही निर्णय ले सकें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

Quick Links

Who Are We

Our Mission

Awards

Experience

Success Story

© 2025 Developed By Socify

Scroll to Top