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बिहार की तरह मध्य प्रदेश में भी जाम छलकाने वालों पर अब कानून की नजर, इन जगहों से हो रही शुरुआत, जानें

नया विचार पटना- शराब के मामले में मध्य प्रदेश अब बिहार की राह चलने को तैयार है। 1 अप्रैल 2025 से 19 जगहों पर शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लागू किया जाएगा। हालांकि, एमपी प्रशासन थोड़ी राहत दे रही, कहा गया है कि प्रतिबंध लागू होने के बावजूद कोई भी व्यक्ति बाहर से शराब लाकर पी सकेगा। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इस प्रतिबंध से प्रशासन को लगभग 450 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा।

एमपी के 17 धार्मिक शहरों में शराब पर प्रतिबंध

मध्य प्रदेश में 17 ‘धार्मिक नगरों’ सहित 19 स्थानों पर 47 ‘संयुक्त शराब की दुकानें’ (जहां ‘हिंदुस्तान में निर्मित विदेशी शराब और देशी शराब दोनों बेची जाती हैं) 1 अप्रैल से बंद कर दी जाएंगी। नाम न बताने की शर्त पर आबकारी विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इन स्थानों पर शराब पीना अपराध नहीं होगा और इसके लिए कोई दंड नहीं दिया जाएगा।

राज्य मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को इस निर्णय की घोषणा की। अधिकारियों ने बताया कि इन स्थानों पर शराब ले जाने और पीने पर रोक लगाने के लिए बिहार मद्य निषेध अधिनियम, 2016 जैसा कानून आवश्यक है। मध्य प्रदेश में ऐसा कोई कानून नहीं है। हालांकि, हिंदुस्तानीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा हिंदुस्तानी इसके लिए अभियान चला रही हैं।

बिहार की तरह नहीं लागू होगा पूर्ण शराबबंदी

एक अधिकारी ने कहा, ‘विशुद्ध कानूनी दृष्टि से यह प्रतिबंध शराब की बिक्री और बार में बैठकर शराब पीने पर रोक लगाता है। व्यक्तियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लोग व्यक्तिगत रूप से शराब रख सकते हैं और उसका सेवन कर सकते हैं, लेकिन समूह में नहीं।’ पूरे मध्य प्रदेश में 3,600 शराब दुकानें हैं, जिनसे हर साल लगभग 15,200 करोड़ रुपये का अनुमानित राजस्व प्राप्त होता है।

मध्य प्रदेश के आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की और कहा कि 47 दुकानें बंद करने से राज्य को 450 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। जिन स्थानों पर शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाएगा उनमें एक नगर निगम, छह नगर पालिका, छह नगर परिषद और छह ग्राम पंचायतें शामिल हैं। इन क्षेत्रों में उज्जैन, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मंडलेश्वर, चित्रकूट और अमरकंटक जैसे धार्मिक केंद्र शामिल हैं। हालांकि, बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है।

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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