Hot News

Deoghar news : आने वाली पीढ़ियों के लिए पुरखों के ज्ञान को संरक्षित करने की आवश्यकता : कुलपति

वरीय संवाददाता, देवघर. रमा देवी बाजला स्त्री महाविद्यालय, देवघर में दो दिवसीय (22 व 23 मई) बहुविषयक राष्ट्रीय सेमिनार की शुरूआत हुई. दो सत्रों में आयोजित इस बहुविषयक राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका की कुलपति प्रो. (डॉ.) कुनुल कंदीर, आरडी बाजला स्त्री महाविद्यालय की प्राचार्या सह संरक्षक डॉ सुचिता कुमारी के अलावा मुख्य अतिथि सह टीएमबीयू के पूर्व वीसी प्रो (डा) विभाष चंद्र झा, स्पीकर बीएचयू की सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर प्रो(डॉ) स्वेता प्रसाद आदि ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया.

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए एसकेएमयू, दुमका की कुलपति प्रो.(डॉ.) कुनुल कंदीर ने कहा कि संताल परगना में कुपोषण, मलेरिया, कालाजार सहित कई संक्रामक बीमारियां ने पैर जमाया हुआ है. मगर आज से पहले हमारे पुरखे कौन सी वनस्पति का उपयोग कर इन बीमारियों का इलाज करते थे. उस विधि व नॉलेज को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता है. इसमें साइंस व टेक्नलॉजी की अहम भूमिका है. इतना ही नहीं चीजें तेजी से बदल रही है, अब चिकित्सक व विशेषज्ञ लोगों को मोटा अनाज खाने की सलाह देते हैं. जबकि झारखंड व संताल परगना के आदिवासी वर्षों पहले से खाद्य पदार्थों की उपयोगिता की समझ रखते थे. जैविक खाद का प्रयोग ज्यादा करने की जरूरत है. ताकि खेतों की गुणवता को बरकरार रखा जा सके. इसका मुख्य उद्देश्य कृषि उन्नत हो, मगर विज्ञान व तकनीक का प्रयोग कर मशीनों का प्रयोग करें तो कृषि के क्षेत्र में गुणात्मक विकास हो सकता है. इससे स्थानीय लोगों का लाभ बढ़ सकेगा.

झारखंड में खनिज पदार्थों का भंडार, तकनीक के प्रयोग से गुणात्मक विकास संभव: डॉ झा

सेमिनार के मुख्य अतिथि सह टीएमबीयू के पूर्व वीसी प्रो (डा) विभाष चंद्र झा ने अपने सबोधन में कहा कि आज के संदर्भ को देखते हुए सेमीनार का विषय झारखंड में सामाजिक व आर्थिक व कलात्मक बदलाव के लिए विज्ञान व तकनीक की भूमिका काफी उपयुक्त है. झारखंड में खनिज पदार्थों का भंडार है, मगर कई स्थलों पर आज भी पुराने तकनीक से खनिज पदार्थों की खुदाई से लेकर उसकी ढुलाई होती चली आ रही है. जबकि जमाना एआई के साथ चल रहा है. ऐसे में तकनीक का सही इस्तेमाल कर विकास के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया जा सकता है. सेमीनार में इस विषय पर चिंतन व शोध तैयार करने पर जोर दिय, जिसे प्रशासन के सामने रखा भी जाना चाहिये. इससे प्रशासन के स्तर से सामाजिक बदलाव की संभावना बनेगी व जीवन स्तर उन्नत हो सकेगा.

झारखंड में विविधताएं के बावजूद जीवन स्तर पिछड़ा : डॉ श्वेता

सेमीनार में की-नोट स्पीकर सह बीएचयू की सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर प्रो ( डॉ ) श्वेता प्रसाद ने कहा कि झारखंड का 29 फीसदी हिस्सा वन आच्छादित क्षेत्र है, जबकि प्राकृतिक संपदाओं का भंडार है. सांस्कृतिक रूप से भी उन्नत होने के बावजूद जीवन स्तर काफी पिछड़ा है. हमसे जुड़े कई शोधार्थी आज झारखंड के कल्चरल एक्टिविटी सरहुल व बंधना जैसे प्रकृति पर्व पर शोध कर रहे हैं. वहीं यहां के नृत्य संताल डांस, पायका, छऊ आदि आम लोगों से जुड़े हैं. ह्यूमन रिसोर्स भी पर्याप्त, बावजूद क्या परिस्थितियां हैं, जो झारखंडियों को इतनी चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है. झारखंड में खनिज एक बड़ा उद्योग, फिर भी देश के जीडीपी में यहां की भूमिका मात्र 20 फीसदी. इसमें विज्ञान व तकनीक का सही इस्तेमाल कर विकसित राज्य का ओहदा पाया सकता है.

इन अतिथियों ने भी रखे अपने विचार

सेमिनार में इन लोगों के अलावा एसकेएमयू के प्रो(डॉ) जयनेंद्र यादव व फाइनांस ऑफिसर डॉ संजय कुमार सिन्हा, प्राचार्य डॉ सुचिता कुमारी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी,रांची के प्रो. सोमेन डे सहित अन्य ने भी अपने विचार रखे.

सोविनियर व दो पुस्तकों का हुआ विमोचन

इस अवसर पर विशेष वक्ता के रूप में कल्याणी विश्वविद्यालय की फोल्कलोर डिपार्टमेंट की निदेशक प्रो(डॉ) काकोली धारा मंडल, रिसोर्स पर्सन प्रो(डॉ) राजीव कुमार के अलावा सेमिनार में झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश से रिसोर्स पर्सन प्रमुख वक्ता के रूप में शामिल होकर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किया. सेमिनार का मुख्य विषय झारखंड की सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विविधता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं की भूमिका रखा गया है. सेमिनार का आयोजन राज्य प्रशासन के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग रांची द्वारा प्रायोजित किया गया है. इस अवसर पर महाविद्यालय की अंग्रेजी विभाग की छात्रा राजनंदिनी ने अपने हाथों से बनाये तैलीय चित्र को कुलपति को भेंट किया. महाविद्यालय प्रबंधन की ओर से सोविनयर के विमोचन के साथ महाविद्यालय की संस्कृत विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. नृपांशु लता की दो पुस्तकों का विमोचन कुलपति व अतिथियों ने किया.

द्वितीय सत्र में शोधार्थियों ने अपने पेपर प्रस्तुत किये

द्वितीय सत्र के चेयरपर्सन कल्याणी विवि की मंडल निदेशक प्रो.(डॉ.) काकोली धारा मंडल, पेनिलीस्ट डा.पीके वर्मा, सहित 120 शोधार्थियों ने अपना पेपर प्रस्तूत किया. इस बहु-विषयक राष्ट्रीय सेमिनार को सफल बनाने में डा. पीसी दास, डा.किसलय सिन्हा, डॉ.रेखा कुमारी गुप्ता, निमिषा रिचर्ड होरो, डॉ.नृपांशुलता, रजनीकुमारी, डॉ.सीमा सिंह, डॉ करूणाकर, डा. बिपिन कुमार ,जैनीस इरी टिगा ,सुनिला इक्का, हेलना किस्कू एवं शिखा सोनली एक्का,सबा परवीन, नीमा कुमारी, डा श्याम सुंदर महतो सहित सभी शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की भूमिका अहम रही. मंच का संचालन डॉ.सीमा सिंह, डॉ करूणाकर व ममता कुजूर ने संयुक्त रूप से किया.

डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

The post Deoghar news : आने वाली पीढ़ियों के लिए पुरखों के ज्ञान को संरक्षित करने की आवश्यकता : कुलपति appeared first on Naya Vichar.

Spread the love

विनोद झा
संपादक नया विचार

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.

About Us

नयाविचार एक आधुनिक न्यूज़ पोर्टल है, जो निष्पक्ष, सटीक और प्रासंगिक समाचारों को प्रस्तुत करने के लिए समर्पित है। यहां राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, तकनीक, शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण खबर को विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाता है। नयाविचार का उद्देश्य पाठकों को विश्वसनीय और गहन जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे सही निर्णय ले सकें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

Quick Links

Who Are We

Our Mission

Awards

Experience

Success Story

© 2025 Developed By Socify

Scroll to Top