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बारिश में भी प्यासी है तिलावे नदी

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही उत्तर बिहार की प्रमुख नदी सौरबाजार . उत्तर बिहार में कोसी के बाद सबसे बड़ी नदी मानी जाने वाली तिलावे आज खुद अपने अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद में जुटी है. तिलावे नदी की धारा में प्रवास करने वाले जीव जन्तु ,पशु पक्षी भी विलीन हो चुके हैं और यह ऐतिहासिक नदी अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. करीब 85 किलोमीटर लंबी यह नदी नेपाल के रास्ते सुपौल से निकलकर सहरसा के विभिन्न प्रखंडों सौरबाजार, बैजनाथपुर ,सत्तरकटैया, सिमरी बख्तियारपुर, बनमा इटहरी और सलखुआ से गुजरते हुए खगड़िया में कोसी नदी में समाहित हो जाती है. इनमें से करीब 54 किलोमीटर लंबा मार्ग सहरसा जिले में पड़ता है. लेकिन आज स्थिति यह है कि बारिश के मौसम में भी नदी में पानी नहीं रहता है. तिलावे नदी का अधिकांश हिस्सा सूखा पड़ा है और कई हिस्सों में स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमण कर खेती की जा रही है. कुछ क्षेत्रों में तो लोगों ने मिट्टी भरकर घर भी बना लिए हैं. इससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो गया है और उसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. स्थानीय किसान कहते हैं कि पहले सुखाड़ के समय भी तिलावे के पानी से वे फसलों की सिंचाई करते थे. लेकिन अब खुद नदी पानी के लिए तरस रही है. गाद जमा होने के कारण नदी का प्रवाह रुक गया है, जिससे जल संचय और बहाव दोनों प्रभावित हुए हैं. प्रशासनी आंकड़ों की मानें तो मनरेगा समेत अन्य योजनाओं से तिलावे की उड़ाही और गाद सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. न गाद हटी, न बहाव लौटा. नतीजा यह कि करोड़ों खर्च के बावजूद नदी की हालत जस की तस बनी हुई है. गाद की सफाई है जरूरी स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते प्रशासन और प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो तिलावे का नाम इतिहास के पन्नों तक ही सीमित रह जायेगा. लोगों की मांग है कि नदी की गाद की समुचित सफाई की जाए, इसके किनारों पर अतिक्रमण हटाया जाए और एक व्यापक योजना बनाकर नदी को फिर से जीवंत किया जाए. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तिलावे नदी का प्रवाह सामान्य हो तो इसके किनारे लघु एवं कुटीर उद्योग विकसित किए जा सकते हैं. साथ ही सहरसा शहर के सभी नालों को इससे जोड़कर जल निकासी की स्थायी व्यवस्था भी की जा सकती है, जिससे हर वर्ष होने वाले जलजमाव से शहर को राहत मिल सकती है. तिलावे अब केवल एक नदी नहीं, बल्कि यह सहरसा और इसके आसपास के क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक धारा की जीवनरेखा है, जिसे बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है. वर्तमान समय में तिलावे नदी में जिला प्रशासन द्वारा गाद सफाई का काम शुरू किया गया है. जिस पर लोगों ने इस काम की सराहना करते हुए कहा कि इसके मुहाने तक सफाई कराकर कोसी नदी के पानी को इधर मोड़कर तटबंध के अंदर पानी के दबाव को कम किया जा सकता है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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