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वायदा बाजार में कच्चे तेल का दाम बढ़ा, भारत में डिमांड! तो क्या महंगा होगा पेट्रोल?

Crude Oil Price: इजरायल और ईरान में चल रहे भीषण युद्ध के बीच विदेशी बाजारों में मांग बढ़ने से मंगलवार को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर कच्चे तेल के वायदा भाव में तेजी देखने को मिली. जुलाई डिलीवरी वाले क्रूड ऑयल का दाम 54 रुपये की बढ़त के साथ 6,225 रुपये प्रति बैरल पर पहुंच गया. इसमें कुल 8,864 लॉट्स का कारोबार हुआ. विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग और निवेशकों के सौदों में तेजी के कारण यह उछाल आया है.

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी कीमतों में बढ़ोतरी

न्यूयॉर्क में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 0.84% की तेजी के साथ 72.37 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि ब्रेंट क्रूड 0.86% बढ़कर 73.86 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया. इसका सीधा असर हिंदुस्तानीय वायदा बाजार पर भी पड़ा है.

हिंदुस्तान की तेल खपत में जबरदस्त बढ़ोतरी का अनुमान

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुस्तान 2030 तक वैश्विक तेल मांग वृद्धि का प्रमुख इंजन बन जाएगा. 2024 में हिंदुस्तान की तेल खपत जहां 56.4 लाख बैरल प्रतिदिन (BPD) है, वह 2030 तक 66.6 लाख BPD तक पहुंच सकती है. यानी इसमें 10 लाख BPD की बढ़ोतरी हुई है.

हिंदुस्तान पहले से ही अपनी तेल जरूरतों का 95% आयात के जरिये पूरा करता है. ऐसे में, यह वृद्धि देश की ऊर्जा नीति और कीमतों पर गहरा असर डाल सकती है. IEA के मुताबिक, हिंदुस्तान में औसत वार्षिक मांग वृद्धि दर 2.8% रहेगी, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक है.

तेल कीमतें बढ़ीं तो क्या महंगा होगा पेट्रोल?

वायदा बाजार और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में जारी तेजी का असर हिंदुस्तान के खुदरा ईंधन मूल्य पर भी देखने को मिल सकता है. हालांकि, घरेलू पेट्रोल-डीजल की कीमतें प्रशासन और तेल कंपनियों की रणनीति पर निर्भर करती हैं, लेकिन अगर आयात महंगा होता है, तो इसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है.

अमेरिका और चीन की मांग घटेगी

IEA की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की तेल मांग 2025 में 2.04 करोड़ BPD के शिखर पर होगी, लेकिन 2030 तक यह घटकर 2 करोड़ BPD रह जाएगी. वहीं, चीन की मांग 2027 में 1.69 करोड़ BPD के शिखर पर होगी, जो 2030 तक घटकर 1.66 करोड़ BPD हो सकती है.

आपूर्ति की स्थिति स्थिर रहने की संभावना

IEA का यह भी कहना है कि इस दशक के अंत तक तेल आपूर्ति पर्याप्त बनी रहेगी, जब तक कोई बड़ा भूनेतृत्वक व्यवधान न हो. इसका अर्थ यह है कि कीमतों में उतार-चढ़ाव मुख्य रूप से मांग और आर्थिक गतिविधियों पर निर्भर रहेगा.

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तेल बाजार का बड़ा खिलाड़ी बनेगा हिंदुस्तान

हिंदुस्तान की तीव्र आर्थिक वृद्धि और बढ़ती ऊर्जा जरूरतें देश को वैश्विक तेल बाजार का महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना रही हैं. वायदा बाजार में उछाल और IEA की रिपोर्ट संकेत देती हैं कि आने वाले वर्षों में कच्चे तेल की वैश्विक मांग का नेतृत्व हिंदुस्तान करेगा. हालांकि, अगर कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं, तो आम जनता को पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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