Jharkhand High Court: रांची, राणा प्रताप-झारखंड हाईकोर्ट ने मुठभेड़ में मारे गए गैंगस्टर अमन साव की मां की चिट्ठी पर स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी व प्रशासन का पक्ष सुना. खंडपीठ ने मौखिक रूप से प्रशासन से पूछा कि परिजन की ओर से एफआईआर के लिए ऑनलाइन शिकायत दी गयी थी. उसे अब तक रजिस्टर्ड क्यों नहीं किया गया? एफआईआर दर्ज करने में क्यों देरी की जा रही है? खंडपीठ ने पूरे मामले में राज्य प्रशासन को जवाब दायर करने के लिए समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तिथि निर्धारित की.
ऑनलाइन शिकायत के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने फ्रेश हस्तक्षेप याचिका (आइए) याचिका दायर की. उन्होंने बताया कि परिजनों ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए ऑनलाइन शिकायत दी थी, लेकिन उसे अब तक रजिस्टर्ड नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के छह न्यायाधीशों के फैसले के बाद ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने से इनकार नहीं किया जा सकता है. अमन साव के मुठभेड़ को फर्जी बतानेवाली शिकायत पर प्रशासन प्राथमिकी दर्ज नहीं करना चाहती है. वह मामले में देरी कर रही है, ताकि उच्च पदस्थ आरोपी सबूतों को नष्ट कर सकें. मामले में देरी होने से कई साक्ष्य प्रभावित होंगे. कॉल ड्रॉप के रिकॉर्ड मिलने का समय समाप्त हो जाने से कंपनी से इस संबंध में जानकारी नहीं मिल पायेगी.
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अमन साव मुठभेड़ की सीबीआई जांच की मांग
अमन साव को रायपुर (छत्तीसगढ़) से लेकर जिस रास्ते से पुलिस झारखंड ला रही थी, वह रायपुर से आने का रास्ता नहीं है. मामले में जवाब दायर करने के लिए प्रशासन को बहुत समय मिल गया है. अब उसे अधिक समय नहीं देना चाहिए. वहीं राज्य प्रशासन की ओर से तीन सप्ताह का समय देने का आग्रह किया गया. अमन साव की मां ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था. उस पत्र पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रही है. 11 मार्च को पलामू में पुलिस द्वारा अमन साव के कथित मुठभेड़ की सीबीआई से जांच कराने की मांग की गयी है.
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