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First Indian Astronaut: जब इंदिरा गांधी ने पूछा भारत कैसा दिखता है… तो राकेश शर्मा ने दिया ये ऐतिहासिक जवाब

First Indian Astronaut in Hindi: हिंदुस्तान के दूसरे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए चुने जाने की समाचार से देश गौरव से भर गया है. लेकिन इस मौके पर उस शख्स को याद करना भी जरूरी हो जाता है, जिसने हिंदुस्तान के लिए सबसे पहले अंतरिक्ष की दहलीज पार की थी. हम बात कर रहे हैं विंग कमांडर राकेश शर्मा की, जिन्होंने 2 अप्रैल 1984 को सोवियत संघ के सोयूज टी-11 मिशन के जरिए अंतरिक्ष की यात्रा कर इतिहास रच दिया था. 

पटियाला में हुआ था जन्म, वायुसेना से बना उड़ान का रास्ता

राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था. बचपन से ही उनमें उड़ान भरने का सपना था. इसी सपने को पूरा करने के लिए वे साल 1966 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में शामिल हुए.  इसके बाद वर्ष 1970 में उन्हें हिंदुस्तानीय वायुसेना में पायलट के रूप में नियुक्त किया गया. 

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First Indian Astronaut in Hindi: कॉस्मोनॉट बनने की कहानी

साल 1982 में हिंदुस्तान और सोवियत संघ ने एक साझा अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की. इसी के तहत राकेश शर्मा का चयन हिंदुस्तान के पहले कॉस्मोनॉट के रूप में किया गया. इसके बाद उन्होंने यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में दो साल तक कड़ी ट्रेनिंग ली. अंततः 2 अप्रैल 1984 को वह सोयूज टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष की ओर रवाना हुए. इस मिशन में उन्होंने दो रूसी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ कुल 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट अंतरिक्ष में बिताए. 

अंतरिक्ष में योग और हिंदुस्तानीय खाना

अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में कई प्रयोग किए. उन्होंने वहां शून्य गुरुत्वाकर्षण (Zero Gravity) में योगाभ्यास भी किया. खास बात यह रही कि वह अपने साथ कई हिंदुस्तानीय व्यंजन भी ले गए थे, जिन्हें उन्होंने अपने रूसी साथियों के साथ साझा किया. 

इंदिरा गांधी से संवाद और वह ऐतिहासिक जवाब

अंतरिक्ष से लौटने के बाद राकेश शर्मा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बातचीत की. जब प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा कि अंतरिक्ष से हिंदुस्तान कैसा दिखता है, तो उनका जवाब था, “सारे जहां से अच्छा”. यह जवाब आज भी हिंदुस्तान के अंतरिक्ष इतिहास का सबसे भावनात्मक और गर्वभरा पल माना जाता है. उन्होंने बताया कि पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने का सबसे सुंदर समय सूर्योदय और सूर्यास्त होता है. 

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एक प्रेरणादायी विरासत

आज हिंदुस्तान जब अंतरिक्ष के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है, तब राकेश शर्मा की भूमिका और भी अहम हो जाती है. उन्होंने सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री की भूमिका नहीं निभाई, बल्कि हिंदुस्तान के सपनों को अंतरिक्ष तक पहुंचाया. उनकी यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. 

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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