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Success Story: दीदी कैफे चलाकर आत्मनिर्भर बनीं गोमिया की 5 महिलाएं

Success Story|गोमिया (बोकारो), नागेश्वर : बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड में 5 स्त्रीएं मिलकर दीदी कैफे चला रहीं हैं. कभी गरीबी में जीवन यापन करने वाली ये स्त्रीएं दीदी कैफे चलाकर आत्मनिर्भर बन गयीं हैं. इन स्त्रीओं के नाम लीला देवी, प्रमिला देवी, कुसमी देवी, गीता देवी और सुशीला देवी हैं. इन्होंने मिलकर 8 वर्ष पहले गोमिया प्रखंड मुख्यालय के पास वाहन शेड में ‘दीदी कैफे’ शुरू की थी. ये सभी स्त्रीएं ‘कमल आजीविका सखी मंडल’ से जुड़ी हैं. इन स्त्रीओं ने बताया कि ‘दीदी कैफे’ के जरिये ये लोग अब आत्मनिर्भर बन गयीं हैं. हालांकि, इन्होंने यह नहीं बताया कि ये लोग आज कितना कमाई कर रहीं हैं, लेकिन इतना जरूर कहतीं हैं कि 10 हजार रुपये खर्च करके दीदी कैफे की शुरुआत की थी. अब परिवार का भरण-पोषण आराम से हो जाता है.

वाहन रखने वाले शेड में चलता है ‘दीदी कैफे’

लीला, प्रमिला, कुसमी, गीता और सुशीला कहतीं हैं कि प्रखंड कार्यालय के पास उनके लिए एक छोटे-से कमरे की व्यवस्था की गयी है. इसी कमरे में वे अपना सामान रखतीं हैं. वाहन रखने के लिए बने शेड में उन्होंने चूल्हा बना रखा है. उसी में खाना बनातीं हैं. इस कैफे में नाश्ता और भोजन का उत्तम प्रबंध करतीं हैं.

शेड में ग्राहकों के बैठने की उचित व्यवस्था नहीं

शेड में ग्राहकों को बैठाने की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अच्छी बात यह है कि इनके कैफे में आम आदमी से लकर प्रखंड कार्यालय के बड़ा बाबू तक भोजन करने आते हैं. यहां ग्राहकों को आसपास के अन्य होटल्स की तुलना में सस्ता भोजन मिलता है. भोजन की गुणवत्ता भी अच्छी होती है.

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अपने काम और कमाई से संतुष्ट हैं सभी स्त्रीएं

ग्राहकों के बैठने के लिए उचित प्रबंध नहीं होने की वजह से दीदी कैफे चलाने वाली स्त्रीओं को थोड़ी निराशा होती है, लेकिन अपने काम से सभी संतुष्ट हैं. उन्हें इस बात का सुकून है कि वह अपने कैफे में आने वाले लोगों को अच्छा भोजन परोसती हैं. अपनी कमाई से भी वह संतुष्ट हैं. ये स्त्रीएं चाहतीं हैं कि उनके कैफे में बैठने और खाने के लिए उचित व्यवस्था हो. अलग से रसोई बन जाये, तो वह और बेहतर सेवा दे सकतीं हैं.

बीडीओ से कैंटीन बनाने की समूह की दीदियों ने की मांग

स्त्री समूह की दीदियां कहतीं हैं कि प्रखंड विकास पदाधिकारी अगर उनकी समस्याओं का समाधान कर दें, तो ग्राहकों को और बेहतर सेवा दे सकेंगी. इस संबंध में पूछने पर प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) महादेव कुमार महतो ने कहा कि प्रयास होगा कि एक सुसज्जित कैंटीन बने, ताकि कार्यालय में आने वाले लोग यहां बैठकर जलपान और खाना खा सकें. इस संबंध में जिला प्रशासन से भी बात करेंगे और समस्याओं का समाधान करेंगे.

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दीदी कैफे को हर दिन हो जाती है 1500 रुपए की बचत

गरीब परिवारों से आने वाली इन स्त्रीओं ने कहा कि दीदी कैफे चलाकर वह खुद तो सशक्त हो ही रहीं हैं, अपने परिवार की भी आर्थिक मदद कर रहीं हैं. दीदी कैफे की हर दिन की कमाई 1500 रुपए के आसपास है. इस तरह एक स्त्री के हिस्से 250 से 300 रुपए आ जाते हैं. सभी स्त्रीएं अपनी कमाई से खुश हैं.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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