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बिहार में हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन, टेनिस जैसे खेलों के खिलाड़ी कैसे उभरेंगे

स्पोर्ट्स विभाग के गठन का एक साल – सबसे अधिक खर्च एथलेटिक्स, रग्बी और सेपक टाकरा पर, अन्य स्पोर्ट्सों के विकास पर ध्यान ही नहीं बिहार में हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन, टेनिस जैसे स्पोर्ट्सों के खिलाड़ी कैसे उभरेंगे नया विचार पटना-  बिहार में स्पोर्ट्स और खिलाड़ियों के विकास के लिए 9 जनवरी 2024 को स्पोर्ट्स विभाग का गठन हुआ। विभाग के गठन का एक साल पूरा हो गया, लेकिन फुटबॉल, बैडमिंटन, वॉलीबॉल, हॉकी, खो-खो जैसे चर्चित स्पोर्ट्स अब भी उपेक्षित हैं। विभाग की ओर से इन स्पोर्ट्सों के विकास के लिए कोई पहल नहीं हुई। विभाग बनने के बाद सबसे अधिक…

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स्पोर्ट्स विभाग के गठन का एक साल – सबसे अधिक खर्च एथलेटिक्स, रग्बी और सेपक टाकरा पर, अन्य स्पोर्ट्सों के विकास पर ध्यान ही नहीं बिहार में हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन, टेनिस जैसे स्पोर्ट्सों के खिलाड़ी कैसे उभरेंगे

नया विचार पटना-  बिहार में स्पोर्ट्स और खिलाड़ियों के विकास के लिए 9 जनवरी 2024 को स्पोर्ट्स विभाग का गठन हुआ। विभाग के गठन का एक साल पूरा हो गया, लेकिन फुटबॉल, बैडमिंटन, वॉलीबॉल, हॉकी, खो-खो जैसे चर्चित स्पोर्ट्स अब भी उपेक्षित हैं। विभाग की ओर से इन स्पोर्ट्सों के विकास के लिए कोई पहल नहीं हुई। विभाग बनने के बाद सबसे अधिक खर्च एथलेटिक्स, रग्बी और सेपक टाकरा पर किया गया। इनमें खिलाड़ियों ने मेडल भी जीते। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को नौकरी भी मिली। पहले साल के लिए स्पोर्ट्स विभाग को 482 करोड़ का बजट मिला था, जिसमें से अभी तक 63 प्रतिशत खर्च हुए हैं।

एथलेटिक्स में बिहार का परफॉर्मिस सुधरा है। हाल में कई मेडल आए हैं। अब पांच जगहों पर सिंथेटिक ट्रैक हैं। एक पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, दूसरा बीएमपी 5 कैंपस और तीसरा राजगीर स्पोटर्स एकेडमी कैंपस में है। दी और सिंथेटिक ट्रैक का पूर्णिया और छपरा में निर्माण फाइनल स्टेज में है। हालांकि पटना के बीएमपी-5 के सिंथेटिक ट्रैक पर आम खिलाड़ियों को प्रैक्टिस की अनुमति नहीं है। जबकि ट्रैक निर्माण के दौरान बिहार प्रशासन ने इसी शर्त पर पैसा दिया था कि बाहरी खिलाड़ी भी प्रैक्टिस के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। यही नहीं कभी स्पोर्ट्स- खिलाड़ियों से गुलजार रहने वाले बीएमपी-5 कैंपस में करीब चार साल से अधिकांश स्पोर्ट्स बंद हैं। सिंथेटिक ट्रैक का उपयोग कुछ अधिकारी मॉर्निंग और इवनिंग वॉक के लिए करते हैं।

अभी पांच जगहों पर ही सिंथेटिक ट्रैक, सभी जिलों में हो तो राह होगी आसान

अभी इन स्पोर्ट्सों की स्थिति बेहतर

रग्बी, सेपक टाकरा, कबड्डी, कुश्ती, बॉक्सिंग, बेटलिफ्टिंग और एथलेटिक्स की स्थिति अच्छी है। बिहार के कई खिलाड़ियों ने राज्य के बाहर और इंटरनेशनल लेवल के इवेंट्स में मेडल जीते। स्पोर्ट्स विभाग के अस्तित्व में आने के बाद बिहार में कई स्पोर्ट्सों की नेशनल चैंपियनशिप भी हुई। बीते नवंबर में राजगीर में वीमेंस एशियन चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन हुआ। बीते साल बिहार राज्य स्पोर्ट्स प्राधिकरण और बिहार एथलेटिक्स संघ की ओर से राष्ट्रीय अंडर-23 एथलेटिक्स चैंपियनशिप भी आयोजित हुई। अब मेंस एशियन हॉकी और वीमेंस वर्ल्ड कप कबड्डी होने वाली है। साथ ही अप्रैल में स्पोर्ट्सो इंडिया यूथ गेम्स समेत कई अन्य आयोजनों की भी तैयारी है। बिहार राज्य स्पोर्ट्स प्राधिकरण के डीजी रवींद्रण शंकरण के अनुसार इधर दो-तीन साल में काफी कुछ बदला है। कुछ वक्त और लगेगा बाकी स्पोर्ट्सों की स्थिति भी बेहतर होगी। सभी स्पोर्ट्स-खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए समग्रता में काम चल रहा है।

स्पोर्ट्स विभाग के गठन से राज्य में स्पोर्ट्स के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। राज्य भर में 6000 से अधिक स्पोर्ट्स मैदान शुरू हैं। वीमेंस एशियन हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी समेत कई बड़े आयोजनों से राज्य में स्पोर्ट्स का माहौल बना है। इस साल मार्च में वीमेंस वर्ल्ड कप कबड्डी, फिर स्पोर्ट्सो इंडिया यूथ गेम्स एवं पैरा गेम्स समेत कई आयोजन होंगे। बेगूसराय में राष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल चैंपियनशिप भी होगी। एक-दो साल में बिहार की गिनती भी स्पोर्ट्स के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में होगी। सुरेंद्र मेहता, स्पोर्ट्स मंत्री, बिहार

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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