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महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान आज, जानें इसका महत्व

Mahakumbh Amrit snan 2025:महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी 2025 यानी मकर संक्रांति के दिन किया गया.इस दौरान साधु-संतों के साथ देशी और विदेशी श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी घाट में आस्था और श्राद्ध की डुबकी लगाई.इसके बाद भक्त अब दूसरे अमृत स्नान का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.हिंदू धर्म में अमृत स्नान को बड़ा ही महत्वपूर्ण और पुण्यदायक माना जाता है.यह दिन पवित्रता और पुण्य कमाने के लिए बेहद खास मान्यता रखता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमृत स्नान के दिन शुभ मुहूर्त में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.साथ ही बैकुंठ की भी प्राप्ति मिलती है. दूसरा शाही स्नान शुभ मुहूर्त महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी 2025 मौनी अमावस्या के दिन होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7:35 बजे शुभारंभ होगी और 29 जनवरी की शाम 6:05 बजे समर्पण होगी.ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से स्नान 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन किया जाएगा. इस दिन संगम घाट पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है, इसके बाद तीसरा अमृत स्नान 3 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी के दिन किया जाएगा. मौनी अमावस्या पर करें भगवान विष्णु के नामों का जप करें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सनातन धर्म में मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान का बेहद अधिक महत्व है.वैदिक पंचांग के अनुसार, 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा. ऐसे में इस दौरान स्नान और दान को बेहद शुभ माना गया है.अगर इस समय में स्नान नहीं कर पाएं, तो सूर्योदय से सूर्यास्त तक कभी भी स्नान और दान कर सकते हैं. अमृत स्नान का महत्व अमृत स्नान खास दिन, मुहूर्त और ग्रह-नक्षत्र के संयोग में किया जाता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमृत स्नान करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने जैसा पुण्य फल मिलता हैसाथ ही पितरों को तर्पण करने से पितर दोष से मुक्ति मिलती है,इसके साथ ही अमृत स्नान करने से मन की अशुद्धियां दूर होती हैं और बैकुंठ की मोक्ष प्राप्ति होती है, वहीं कुंभ में अमृत स्नान के दिन प्रथम स्नान का अधिकार नागा साधुओं को है, दरअसल, नागा साधुओं को ‘महायोद्धा साधु’ भी कहा जाता है, क्योंकि प्राचीन काल में वे धर्म और समाज की रक्षा के लिए सेना के रूप में कार्य करते थे. अमृत स्नान का नियम अमृत स्नान के दिन नागा बाबा और अन्य प्रमुख साधु-संतों के बाद ही आम श्रद्धालुओं को श्रद्धा भक्ति से स्नान करना चाहिए. अमृत स्नान के दिन संगम में डुबकी लगाने के बाद भगवान सूर्य देव को अर्घ्य अवश्य दें. अमृत स्नान करने के बाद गरीब और जरूरतमंदों को काला तिल,अन्न, धन, और वस्त्र का दान अवश्य करें. कुंभ स्नान के दौरान गृहस्थ लोग को गंगा में कम से कम 5 बार डुबकी लगाना चाहिए.साथ ही सूर्य मंत्रों का उच्चारण मन मे दोनों जोड़ो को करना चाहिए. अमृत स्नान के दिन महाकुंभ में स्नान करने जा रहे हैं तो स्वच्छता का ध्यान रखें. गंगा जी में स्नान करते समय साबुन, शैंपू का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें. The post महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान आज, जानें इसका महत्व appeared first on Naya Vichar.

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‘महाकुंभ में 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु मौजूद, लेकिन स्थिति नियंत्रण में; सीएम योगी ने लोगों से की ये अपील

नया विचार – महाकुंभ में हुई भगदड़ के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार कुंभ मेला क्षेत्र में मौजूद आला अधिकारियों से अपडेट ले रहे हैं। साथ ही उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे जिस घाट के पास हैं वहीं स्नान करें और संगम नोज की ओर जाने से बचें। उन्होंने कहा कि स्नान के लिए कई घाट बनाए गए हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है। सीएम योगी ने प्रशासन के निर्देशों का पालन करने को कहा है। सीएम योगी ने कहा- महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है। संगमनगरी में आज करीब 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु मौजूद हैं। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से एक दिन पूर्व 5.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रयागराज में महाकुंभ में श्रद्धालुओं के सकुशल स्नान करने के लिए, उनकी व्यवस्था के लिए पीएम मोदी सुबह से ही लगातार चार बार जानकारी ले चुके हैं। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी प्रातः से ही श्रद्धालुओं के बारे में लगातार जानकारी ले रहे हैं। उच्च स्तरीय मीटिंग जारी श्रद्धालुओं सुचारू रूप से स्नान कर सके, इसके लिए डीजीपी, प्रमुख सचिव समेत कई बड़े अधिकारियों के साथ हाई लेवेल की मीटिंग चल रही है। प्रयागराज में हालात वर्तमान में नियंत्रण में हैं लेकिन भीड़ का दबाव बहुत बना हुआ है। श्रद्धालुओं के बाद संत करेंगे स्नान मुख्यमंत्री ने अखाड़ा परिषद से जुड़े हुए पदाधिकारियों से बात की है। सीएम के निवेदन पर संतों ने कहा, पहले श्रद्धालु स्नान करके निकल जाएंगे उसके बाद ही हम स्नान के लिए संगम की तरफ करेंगे। सभी अखाड़े इसके लिए सहमत हैं। अफवाहों पर न दें ध्यान: सीएम योगी मुख्यमंत्री ने कहा, लगातार संगम, नागवासुकी और अखाड़ा मार्ग पर दबाव बना हुए है। लोगों से अपील है कि अफवाह पर ध्यान न दें। संयम से काम लें। ये आयोजन लोगों का है। प्रशासन उनकी सेवा के लिए लगा है। प्रशासन मजबूती के साथ हर प्रकार का सहयोग करने के लिए तत्पर है। आवश्यक नहीं है कि संगम नोज की तरफ ही आएं। 15-20 किलोमीटर के दायरे में अस्थायी घाट बनाए गए हैं, आप जहां पर हैं वहीं पर स्नान करें।”

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महाकुंभ में जब नेहरू के लिए 1954 में मची थी भगदड़, 1000 लोगों की हुई थी मौत

नया विचार – महाकुंभ 1954 संगम तट पर एक बार फिर से मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मच गई. इसमें कई लोगों की मौत हो गई है. इसमें पहले वर्ष 1954 और 2013 में भी मौनी अमावस्या के दिन ही भगदड़ मचने से कई लोगों की मौत हो गई थी. कहा जाता है कि वर्ष 1954 के महाकुंभ मे मची भगदड़ से करीब एक हजार लोगों की मौत हो गई थी. इसी प्रकार 2013 में कुंभ स्नान कर वापस लौट रहे 36 लोगों की मौत प्रयागराज स्टेशन पर मची भगदड़ में हुई थी. कई लोगों को तो कफन तक नसीब नहीं हुआ था. 1954 में मची थी भगदड़ 1000 लोगों की हुई थी मौत वर्ष 1954 के 3 फरवरी को मौनी अमावस्या था. इसको लेकर लाखों लोग संगम स्नान के लिए पहुंचे थे. इसी बीच सुबह करीब 8-9 बजे मेले में समाचार फैली कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू आ रहे हैं. इस समाचार के बाद संगम में स्नान करने आई भीड़ पंडित नेहरू को देखने के लिए उमड़ पड़ी. भीड़ उस ओर दौडी जस तरफ नागा साधु ठहरे हुए थे. भीड़ को अपनी तरफ भीड़ आती देख नागा साधुओं को लगा कि भीड़ उनपर हमले को आ रही है. इस कारण संन्यासी तलवार और त्रिशूल लेकर भीड़ पर हमला करने के लिए दौड़ पड़े. भगदड़ मच गई. जो एक बार गिरा, वो फिर उठ नहीं सका. जान बचाने के लिए लोग बिजली के खंभों से चढ़कर तारों पर लटक गए. कहा जाता है कि भगदड़ में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. यूपी प्रशासन इस हादसे से इंकार करती रही. उसका कहन था कि इस हादसा में किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन एक फोटोग्राफर की तस्वीर ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया और नेतृत्वक हंगामा खड़ा हो गया. पंडति नेहरू को संसद में इसपर बयान तक देना पड़ा था. इस हादसे में करीब एक हजार लोगों की मौत हुई थी. प्रशासन की ओर से की गई कई व्यवस्था आजाद हिंदुस्तान में पहली बार वर्ष 1954 में पहला महाकुंभ लगा था. यह कुंभ भी इलाहाबाद यानी अब के प्रयागराज में लगा था. वर्ष 1954 में 3 फरवरी को मौनी अमावस्या था. मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने के लिए लाखों लोग संगम पहुंचे थे. लेकिन, सुबह से हो रही बारिश के कारण चारों तरफ कीचड़ और फिसलन थी. हालांकि आजाद हिंदुस्तान का पहला महकुंभ होने के कारण तब की प्रशासन की ओर से बड़ी तैयारी की गई थी. संगम के करीब ही अस्थाई रेलवे स्टेशन बनाया गया था. बड़ी संख्या में टूरिस्ट गाइड अपॉइंट किए गए थे. उबड़-खाबड़ जमीनों को समतल कर दिया गया था. इसके साथ ही सड़कों पर बिछी रेलवे लाइनों के ऊपर पुल बनाए गए थे. पहली बार कुंभ में बिजली के खंभे लगाए गए थे. इसके साथ ही महकुंभ को लेकर 9 अस्पताल खोले गए थे, ताकि कोई बीमार पड़े या फिर हादसे होने पर उसका फौरन इलाज हो सके.

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महाकुंभ- संगम तट पर भगदड़, 14 की मौत:प्रयागराज में श्रद्धालुओं की एंट्री रोकी; सभी 13 अखाड़ों का अमृत स्नान रद्द

नया विचार – प्रयागराज के संगम तट पर मंगलवार-बुधवार की रात करीब डेढ़ बजे भगदड़ मच गई। हादसे में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है। स्वरूपरानी अस्पताल में मौजूद रिपोर्टर के मुताबिक, 14 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए जा चुके हैं। हालांकि, प्रशासन ने मौत या घायलों की संख्या को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है। मेला प्रशासन के अनुरोध पर सभी 13 अखाड़ों ने अमृत स्नान को रद्द कर दिया है। ग्राउंड जीरो पर मौजूद के रिपोर्टर्स के मुताबिक, अफवाह के चलते यह भगदड़ मची। कुछ स्त्रीएं जमीन पर गिर गईं और लोग उन्हें कुचलते हुए निकल गए। समाचार मिलते ही 50 से ज्यादा एंबुलेंस संगम तट पर पहुंच गई हैं। घायलों को अलग-अलग अस्पताल में भिजवाया जा रहा है। NSG कमांडो ने मोर्चा संभाल लिया है। संगम नोज इलाके को आम लोगों के लिए सील कर दिया गया है। यहां सिर्फ साधुओं को स्नान के लिए जाने की इजाजत है। मीडिया रिपोर्ट्स में अब मौके पर हालात सामान्य बताए जा रहे हैं। एंबुलेंस को भी घटनास्थल से लौटा दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रयागराज में लोगों की एंट्री बंद कर दी गई है। सीमा वाले सभी जिलों में अधिकारियों को श्रद्धालुओं को रोकने के लिए मुस्तैद कर दिया गया है। महाकुंभ में आज मौनी अमावस्या का स्नान है, जिसके चलते करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज में मौजूद होने का अनुमान है। श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला अब भी जारी है। प्रशासन के मुताबिक, संगम समेत 44 घाटों पर देर रात तक 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है। इससे ठीक, एक दिन पहले यानी मंगलवार को साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। सुरक्षा के लिए 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं।

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बिहार में जया किशोरी का प्रवचन सुनने का मौका, यहां 8 दिनों तक चलेगा कार्यक्रम

नया विचार – प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी आठ दिवसीय भागवत ज्ञान यज्ञ में प्रवचन देने बिहार आ रही हैं. यह आयोजन गया जिले के परैया प्रखंड के दखनेर गांव में एक फरवरी से आठ फरवरी तक हो रहा है. इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए पांच कमेटियां भी बनाई गई हैं जो पूरे जोर-शोर से कार्यक्रम की तैयारियों में जुटी हैं. इसको लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने शुक्रवार को कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया. आधिकारियों ने लिया तैयारियों का जायजा तैयारियों का निरीक्षण करने पहुंचे डीएसपी सुशांत कुमार चंचल, बीडीओ दीर्घकाल, सीओ केशव किशोर और थानाध्यक्ष सर्वनारायण ने कार्यक्रम स्थल पर मंच, पंडाल, यज्ञ स्थल, प्रवेश-निकास, पार्किंग, आवास व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. अधिकारियों ने आयोजन समिति के सदस्यों के साथ बैठक कर आयोजन को लेकर आवश्यक निर्देश दिए. 27 जनवरी तक सभी मानक पूरे करने का निर्देश अधिकारियों ने आयोजन समिति को आयोजन से संबंधित सभी तैयारियों की लिखित रिपोर्ट 27 जनवरी तक अनुमंडल कार्यालय को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर प्रशासनिक सहयोग दिया जाएगा. साथ ही मेला स्थल, वाहन पार्किंग, दुकानों व ठेलों को लेकर भी योजना बनाई गई है. हजारों की संख्या में पहुंचेंगे श्रद्धालु जया किशोरी का प्रवचन 8 दिनों तक चलेगा, जिसके लिए विशेष पंडाल और मंच तैयार किए जा रहे हैं. उम्मीद है कि प्रखंड क्षेत्र के साथ-साथ अन्य प्रखंडों और जिलों सहित पूरे देश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. कार्यक्रम को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर रहा है. अतिथियों के आगमन, आवास, भोजन आदि सभी आवश्यक व्यवस्थाएं समिति द्वारा की जा रही हैं. भक्तों में उत्साह जया किशोरी के प्रवचन को लेकर क्षेत्र के लोगों में काफी उत्साह है. ग्रामीणों का कहना है कि भागवत कथा के माध्यम से समाज में सकारात्मकता फैलेगी. श्रद्धालु कार्यक्रम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. निरीक्षण के दौरान भाजपा नेता अनिल शर्मा, मंडल अध्यक्ष संजय कुमार, राजेश पांडेय, आचार्य माधव, दिलीप मिश्रा, रोहित कुमार समेत कई ग्रामीण नेता व आयोजन समिति के सदस्य मौजूद थे.

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महाकुंभ में न खोएं बच्चे-बुजुर्गः बरतें 7 सावधानियां, जाने से पहले करें प्लानिंग, 5 बातों का रखें ख्याल

नया विचार – प्रयागराज में महाकुंभ, 2025 की शुरुआत हो चुकी है। हर रोज महाकुंभ में लाखों लोग स्नान करने पहुंच रहे हैं। सड़क से लेकर घाटों तक श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिल रही है। भीड़भाड़ वाली जगहों पर अक्सर लोगों की अपने परिजनों से बिछड़ने की आशंका रहती है। महाकुंभ के पहले ही दिन शुरू के पांच घंटे में ही तकरीबन साढ़े चार हजार लोग अपने परिजनों से बिछड़ गए। इनमें ज्यादातर शिशु और बुजुर्ग थे। ऐसे में अगर आप भी परिवार के साथ महाकुंभ में स्नान करने जा रहे हैं तो पहले से कुछ तैयारियां करने की जरूरत है। इससे महाकुंभ के दौरान किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और आपका परिवार सुरक्षित रहेगा। तो चलिए, आज जरूरत की समाचार में बात करेंगे कि बच्चों-बुजुर्गों के साथ महाकुंभ की यात्रा के दौरान क्या सावधानियां बरतें। साथ ही जानेंगे कि- • परिवार के साथ महाकुंभ की प्लानिंग कैसे करें? अगर महाकुंभ में कोई बिछड़ जाए तो क्या करें? सवाल- महाकुंभ में हर रोज कितने लोग अपने परिजनों से बिछड़ रहे हैं? जवाब– महाकुंभ में मकर संक्रांति के दिन • अमृत स्नान के समय सुबह 4 बजे से 9 बजे के बीच करीब 4500 लोग अपनों से बिछड़ गए। बाद में खोया-पाया केंद्र के जरिए उन लोगों को उनके परिवार वालों से मिलवाया गया। ये महज पहले दिन के कुछ ही घंटों का आंकड़ा है। इसी तरह वहां भीड़भाड़ के चलते हर रोज सैकड़ों लोग अपने परिजनों से बिछड़ते हैं। सवाल- अगर छोटे बच्चों-बुजुर्गों के साथ महाकुंभ जा रहे हैं तो क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? जवाब– अगर महाकुंभ स्नान के लिए बच्चों-बुजुर्गों के साथ जा रहे हैं तो उनका विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। शिशु समझदार हैं तो उन्हें अपना मोबाइल नंबर और एड्रेस याद कराएं। बच्चों-बुजुर्गों को एक पर्ची में एड्रेस व मोबाइल नंबर लिखकर दें, जिससे बिछड़ने पर वह तुरंत किसी की मदद से संपर्क कर सकें। • साथ ही उन्हें डार्क कलर के कपड़े पहनाएं। इससे वह दूर से ही पहचान में आ सकेंगे। इसके अलावा कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है। सवाल- बच्चों-बुजुर्गों को साथ लेकर महाकुंभ जाते हुए क्या सावधानियां बरतें? जवाब– महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है। इसमें हर रोज दुनियाभर से लाखों-करोड़ों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। • प्रयागराज मेला प्राधिकरण के मुताबिक, 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाले इस महाकुंभ में तकरीबन 40 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। • ऐसे में इतनी बड़ी संख्या के बीच सुरक्षित रहना और महाकुंभ का पूरा आनंद लेना अपने आपमें एक चुनौती है। इसलिए बच्चों-बुजुर्गों के साथ महाकुंभ जाने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। सवाल- अगर महाकुंभ में कोई परिजन बिछड़ जाए तो क्या करें? जवाब– महाकुंभ की लाखों-करोड़ों की • भीड़ में पलक झपकते ही शिशु या बुजुर्ग बिछड़ सकते हैं। अगर आपके सामने ऐसी स्थिति आती है तो बिल्कुल घबराएं नहीं, धैर्य से काम लें। तुरंत नजदीकी खोया-पाया केंद्र पर जाएं और अपने परिजन के खोने का अनाउंसमेंट करवाएं। • प्रयागराज मेला प्राधिकरण द्वारा महाकुंभ में 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र बनाए गए हैं, जो आपकी मदद करेंगे। इसके अलावा अपने नजदीकी पुलिस बूथ से संपर्क करें। • अगर ज्यादा भीड़ की वजह से आप खोया-पाया केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो कुंभ हेल्पलाइन नंबर 1920 पर कॉल करके भी मदद मांग सकते हैं। सवाल- महाकुंभ में जाने से पहले क्या तैयारियां करनी चाहिए? जवाब– ठंड का समय है। ऐसे में महाकुंभ जाने से पहले बहुत जरूरी है कि इसकी सही तरीके से प्लानिंग की जाए। अगर आप बस, ट्रेन या हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो इसके लिए टिकट की प्री-बुकिंग करा लें। इसके अलावा प्रयागराज में ठहरने के लिए होटल, लॉज, धर्मशाला या फिर टेंट सिटी की एडवांस बुकिंग कराएं। ताकि सर्दी के मौसम में परिवार के साथ किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। ध्यान रहे कि होटल की बुकिंग के समय सिर्फ ऑथराइज्ड वेबसाइट्स या मोबाइल नंबर्स का ही इस्तेमाल करें। कभी भी किसी व्यक्ति के जरिए सस्ते दामों में बुकिंग के चक्कर में न पड़ें। ऐसा करने से आप फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा महाकुंभ में अपने परिवार की सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें। जैसे कि- • स्नान के लिए हमेशा ऑथराइज्ड घाटों पर ही जाएं। • हमेशा बच्चों-बुजुर्गों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही रहें। घाट पर सभी एक ही जगह स्नान करें। • अगर घाट पर भीड़ ज्यादा है तो बच्चों को वहां ले जाने से बचें। • स्नान के लिए घाट पर पहुंचते समय अपने सामान को सुरक्षित स्थान पर रख दें। भीड़भाड़ वाली जगह पर सामान के चोरी होने का ज्यादा खतरा रहता है। • महाकुंभ में किसी भी अजनबी पर भरोसा न करें। इसके अलावा अनऑथराइज्ड जगह पर खाना खाने से भी बचें। • अपना पहचान पत्र, होटल या लॉज का नाम और बुकिंग से जुड़ी डिटेल्स साथ रखें। महाकुंभ के दौरान किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि दिखने पर तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दें।

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आज अयोध्या में `अयोध्या` होने का अहसास हैं, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर बोले सीएम योगी

आज अयोध्या में `अयोध्या` होने का अहसास हैं, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर बोले सीएम योगी नया विचार अयोध्या – हिंदू पंचांग अनुसार अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को एक साल पूरा होने जा रहा है. इसलिए इस मौके पर 11 जनवरी 2025 को प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ मनाई जा रही है. तीन दिवसीय उत्सव के पहले दन सीएम योगी अयोध्या पहुंच गए हैं. अयोध्या पहुंचकर सीएम योगी ने रामलला के दर्शन किए. उससे पहले रामलला की विशेष पूजा गई. पुजारियों ने रामलला का पंचामृत अभिषेक किया. पहले दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक किया गया और फिर गंगाजल से नहलाया. मुख्यमंत्री तकरीबन पांच घंटे तक अयोध्या में ही रहेंगे. 11,12,13 जनवरी को मंदिर परिसर ही नही पूरे अयोध्या में उत्सव का माहौल दिखेगा. जिसको लेकर एक बार फिर से पूरे विश्व की निगाहें राम मंदिर पर जा टिकी हैं. वार्षिक उत्सव के पहले दिन सीएम योगी रामलला का अभिषेक करेंगे और श्रद्धालुओं को संबोधित करेंगे. सीएम योगी के संबोधन की मुख्य बातें- अयोध्या में तीन दिन का भव्य कार्यक्रम है. इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि आज हर रामभक्त में उत्साह है. 500 साल का इंतजार खत्म हुआ था और एक साल पहले रामलला विराजमान हुए. सीएम योगी ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद सफलता मिली. अयोध्या पहली सोलर सिटी बन चुकी है. आज अयोध्या में अयोध्या होने का एहसास है.अयोध्या जैसी सुविधा प्रयागराज में भी होगी. सीएम ने कहा कि अयोध्या में सत्य उजागर हुआ है. कार्यक्रम का होगा लाइव प्रसारण प्रथम वर्षगांठ के कार्यक्रम को देखते हुए तीन दिन तक सभी तरह के पास को बंद कर दिया है. अधिक आए अधिक लोग रामलला का दर्शन कर सकें इसलिए दूरदर्शन पर लाइव प्रसारण किया जाएगा। 22 जनवरी 2024 को हुई थी प्राण प्रतिष्ठा हिंदी तिथि के अनुसार पौष शुक्ल द्वादशी 22 जनवरी 2024 को भगवान श्री राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ था. इस बार 11 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी तिथि पड़ रही है. इसलिए इस तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत 11 जनवरी को होगी और समापन 13 जनवरी को होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार तिथि वैसे तो 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का एक साल पूरा होगा तो फिर 11 जनवरी को प्रतिष्ठा द्वादशी उत्सव क्यों मनाया जा रहा है ऐसा आप सोच रहे होंगे तो आपको बता दें इस उत्सव को मनाने की तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार तय की गई है. जैसे दिवाली, होली, गणेश चतुर्थी आदि उत्सव हिंदू तिथि के हिसाब से मनाए जाते हैं ठीक वैसे ही प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ का उत्सव भी इसी अनुसार मनाया जा रहा है. श्रीराम के अभिषेक से कार्यक्रम की शुरुआत भगवान राम के अभिषेक महा आरती और 56 व्यंजनों के भोग लगाये जायेंगे. शनिवार, 11 जनवरी को सुबह करीब 10:00 बजे बालक श्रीराम के अभिषेक से कार्यक्रम की शुरुआत होगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रीराम के अभिषेक कार्यक्रम में शामिल होंगे. प्राण प्रतिष्ठा द्वादशी वार्षिक उत्सव कार्यक्रम में अंगद टीला में आयोजित कार्यक्रम में रामलला के दर्शन करने आए श्रद्धालु भी शामिल होंगे. इसके लिए ट्रस्ट ने अंगद टीला से निकास द्वार का निर्माण किया है. उत्सव में मौजूद होंगी कई नामचीन हस्तियां प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जो साधु-संत शामिल नहीं हो पाए थे वह प्रतिष्ठा द्वादशी 11 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे. जिसकी रूपरेखा राम मंदिर ट्रस्ट ने पहले ही बना ली. यही नही सीएम के साथ देश के तमाम नामचीन हस्तियां भी मौजूद रहेंगी. प्रसिद्ध गायिका उषा मंगेशकर और मयूरेश पई भजन से राग सेवा की शुरुआत करेंगे. इसके बाद सितार और वायलिन की जुगलबंदी होगी. 12 जनवरी को लोकगायिका शैलेश श्रीवास्तव सोहर की प्रस्तुति देंगी. पहले दिन सोनू निगम,शंकर महादेवन और मालिनी अवस्थी द्वारा गाए गए भजन का भी विमोचन किया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा का वार्षिक उत्सव ऐतिहासिक होंने वाला है. अनेक धार्मिक अनुष्ठान भोपाल के वाद्य यंत्रों के माध्यम से राम धुन का कीर्तन किया जाएगा. इसी के साथ 11 जनवरी से लेकर 13 जनवरी तक सुंदरकांड का पाठ, राम रक्षा स्त्रोत बीज मंत्र के अलावा ऋग्वेद-यजुर्वेद के रामायण के साथ अनेक धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे. अयोध्या में तीन दिवसीय कार्यक्रम का आज से आगाज होगा.इस बीच अयोध्या में उत्सव का माहौल देखने को मिलेगा. फिर से वहीं त्रेता की अयोध्या दिखाई पड़ेगी जिसमें हिंदुस्तानीय संस्कृति और भक्ति संगीत का अद्भुत संगम एक साथ देखने को मिलेगा. सुरक्षा के होंगे पुख्ता इंतजाम शनिवार से शुरू हो रहे कार्यक्रम को लेकर पुलिस व प्रशासन ने सुरक्षा-व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम कर रखे हैं. मुख्यमंत्री समेत अन्य मंत्रियों के अलावा कार्यक्रम की भव्यता को देखते हुए रूट डायवर्जन भी किया जाएगा. एसएसपी राजकरण नय्यर ने बताया कि बड़ी संख्या में पुलिस बल को लगाया गया है. स्त्री पुलिस कर्मियों की भी तैनाती की जाएगी. प्रवेश द्वारों पर चेकिंग की जाएगी.

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महाकुंभ में कब-कब होगा शाही स्नान? जानिए टेंट से लेकर रहने तक की सारी डिटेल्स

नया विचार – देश दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान महाकुंभ जल्द ही शुरू होने वाला है। इस साल प्रयागराज से संगम किनारे महाकुंभ का कार्यक्रम हो रहा है। हिंदुस्तान में चार तीर्थ स्थान व पवित्र नदियों पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।वहीं मुख्य तौर पर 4 तीर्थ स्थान, उज्जैन में शिप्रा नदी , प्रयागराज संगम , गंगा नदी हरिद्वार ,व गोदावरी नदी मासिक में इस मेले का आयोजन होता है। भारी मात्रा मे लोग स्नान और दर्शन के लिए आते है। लगभग 45 दिनों तक महाकुंभ का मेला चलता है। महाकुंभ में शाही स्नान का बेहद ही ज्यादा महत्त्व है।शाही स्नान में सबसे साधु – संत स्नान करते है , उसके बाद आम तीर्थयात्री गंगा में डुबकी लगाते है। आइए जानते है इस समाचार को विस्तार से ….. कब से कब तक चलेगा महाकुंभ का मेला 13 जनवरी 2025 से पौष पूर्णिमा से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है।बता दें , महाकुंभ पूरे 12 सालों के बाद लगता है। पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ महाकुंभ महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। यानी की महाकुंभ का आखिरी स्नानं 26 जनवरी 2025 को किया जाएगा। इस महाकुंभ में देश से ही बल्कि विदेशो से बहुत से श्रद्धालु आते है।महाकुंभ सबसे बड़ा और प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है। महाकुंभ 2025 पहला शाही स्नान की तिथि  महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को किया जाएगा। इस दिन मकर सक्रांति है। हिन्दू धर्म में इस दिन गंगा स्नान करने का ख़ासा महत्त्व है। इस दिन गंगा स्नानं के साथ सूर्य देव भी पूजा करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। कहते है ऐसा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते है। और उसकी सभी कामनाएं पूर्ण होती है। इसके साथ ही इस दिन गंगा स्नान के बाद घी , गुड़ और खिचड़ी का दान करने से सारे कष्ट दूर होते है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन होंगे शाही स्नान  महाकुंभ मेले में शाही स्नान का बेहद ही ज्यादा महत्व है।सारे स्नान शाही नहीं होते है। महत्वपूर्ण या ख़ास दिनों पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है। इस साल महाकुंभ के मेले में तीन शाही स्नान होंगे व तीन सामान्य स्नान होंगे। इस साल बसंत पंचमी ,मकर सक्रांति , व मौन अमावस्या के दिन शाही स्नान रहेगा। महाकुंभ मेले में कब होगा शाही स्नान ?  14 जनवरी , 2025 ( मकर सक्रांति ) – शाही स्नान 29 जनवरी , 2025 ( मौनी अमावस्या) – शाही स्नान 3 फरवरी ( बसंत पंचमी ) – शाही स्नान इस दिन होगा आम तीर्थयात्री का स्नान  13 जनवरी 2025 ( पौष पूर्णिमा) – स्नान 12 फरवरी 2025 ( माघी पूर्णिमा) – स्नान 26 फरवरी 2025 ( महाशिवरात्रि) – स्नान महाकुंभ के टेंट में मिलेगी ये सुविधाएं और इतना होगा किराया  अगर आप भी इस फाइव स्टार होटल में रुकते है तो इसके आपको एक दिन का किराया 15 -20 हजार तक चुकाना पड़ेगा। वहीं अगर आप विला में रुकने का प्लान कर रहे है तो इसके लिए आपको 24 घंटे का 20 हजार किराया देना होगा।इसके साथ ही खाना में मिलेगा पारंपरिक और स्वादिस्ट भोजन का स्वाद। महाकुंभ में ठहरने के साथ मिलेगी और भी बहुत सी सुविधाएं… ये मिल रहा है ख़ास  पारंपरिक स्वादिष्ट भोजन – यहां का भोजन हिंदुस्तानीय परंपराओं के अनुसार तैयार किया जाता है।देशी घी से बने पकवान, खिचड़ी और तरह तरह की मिठाइयां श्रद्धालुओं को ख़ास अनुभव देती है। योग और ध्यान सेशन – गंगा के किनारे हर सुबह योग और ध्यान के कार्यक्रम होंगे , ये एक शांति और सुकून देने वाला अनुभव होगा। जो आपके मन और शरीर दोनों का खुश कर देगा। सुरक्षा और सुविधा – इस टेंट की खासियत है कि यहां सुरक्षा और सुविधाओं का खास ख्याल रखा जाता है। 24 घंटे सुरक्षा , सीसीटीवी कैमरे और स्टाफ से श्रद्धालु पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे।

आस्था, समस्तीपुर

श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से मिलती है मुक्ति :आचार्य पुरुषोत्तम

नया विचार सरायरंजन : भगवान की विभिन्न कथाओं में श्रीमद् भागवत मोक्षदायिनी है। इसके श्रवण से राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलयुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं । यह बात ख्यातिप्राप्त श्रीमद् भागवत कथावाचक आचार्य पुरुषोत्तम दास ने सोमवार को कही। वे प्रखंड के श्रवण टॉकीज सरायरंजन के प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांच में दिन श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के सुनने से प्राणी को मुक्ति मिलती है। सत्संग और कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है,वरना वह इस संसार में आकर मोह माया के चक्कर में पड़ जाता है। इसलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कलयुग में भागवत कथा साक्षात श्री हरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्य का फल प्राप्त हो जाता है। इस कथा को सुनने के लिए देवी– देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा के श्रवण का लाभ प्राप्त होता है। मौके पर रामचंद्र साहू, शिवनारायण साहू , राजेश्वर साह, प्रमोद कुमार साहू, विमल कुमार साहू , श्रवण कुमार साह, प्रद्योत कुमार हरि,विजय कुमार साहू दिनेश कुमार साहू, सोनू कुमार, मोनू कुमार,टुन्नू कुमार सहित सैकड़ो श्रद्धालु मौजूद रहे। फोटो :प्रवचन करते आचार्य पुरुषोत्तम दास

आस्था, ताजा ख़बर, बिहार, समस्तीपुर

ऐसा शिव मंदिर जहां शिवलिंग एवं मजार की होती एक साथ पूजा

नया विचार समस्तीपुर :  जिले के मोरवा स्थित खुदनेश्वर मंदिर एक अद्वितीय और विशेष मंदिर है, जो अपनी अनोखी विशेषता के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में एक ही स्थल पर शिवलिंग और मजार स्थापित है ,जो हिंदू – मुस्लिम की एकता और सौहार्द का प्रतीक है।  मोरवा स्थित खुदनेश्वर धाम मंदिर  इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, और इसकी स्थापना के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना एक स्थानीय राजा ने करवाई थी, जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। राजा ने अपने राज्य की समृद्धि और सुख-शांति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की थी और उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।   एक अन्य कथा के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना एक सूफी संत ने करवाई थी, जो इस क्षेत्र में आये थे और उन्होंने यहां पर एक मजार की स्थापना की थी। बाद में कुछ हिंदू भक्तों ने इसी स्थल पर एक शिवलिंग की स्थापना की, जो आज भी यहां पर स्थापित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर एक ही स्थल पर शिवलिंग और मजार को स्थापित किया गया है। यह एक अद्वितीय उदाहरण है हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच एकता और सौहार्द का। यह मंदिर दोनों समुदायों के लोगों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में कार्य करता है, जहां वे अपनी पूजा-अर्चना और प्रार्थना कर सकते हैं। मंदिर में स्थापित शिवलिंग एवं मजार   इस मंदिर में पूजा-अर्चना और मेले की विशेषता पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। यहां की पूजा-अर्चना बहुत ही विशेष और आकर्षक है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। मंदिर में विभिन्न प्रकार के मेले भी लगते हैं, जिनमें स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दूर से भी लोग आते हैं।इस मंदिर का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल भी है। यह मंदिर समस्तीपुर जिले की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां की पूजा-अर्चना और मेले की विशेषता पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। आजकल इस मंदिर को एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। यहां की सुंदरता और आकर्षण के कारण दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और मंदिर की विशेषता को देखते हैं। मंदिर के आसपास का क्षेत्र भी बहुत ही सुंदर और आकर्षक है, जो पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थल है।

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