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शिक्षा, समस्तीपुर

वीमेंस कॉलेज, समस्तीपुर में किया गया जयप्रकाश नारायण जयंती कार्यक्रम का आयोजन 

नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर – सोमवार को वीमेंस कॉलेज, समस्तीपुर में नेतृत्व विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. मधुलिका मिश्रा द्वारा जयप्रकाश नारायण जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जयंती समारोह की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. अरुण कुमार कर्ण द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पांजलि के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। प्रधानाचार्य ने कहा की जे.पी के सामाजिक विचारों में समान वितरण, समान अधिकार एवं समान सामाजिक आचार संहिता के पक्षधर थे। वह समाज में एक ऐसे समाज की व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे, जिसमें एक वर्ग से दूसरे वर्ग के मध्य बहुत बड़ा अन्तर न हो। । डॉ. मधुलिका मिश्रा ने कहा कि जय प्रकाश नारायण ने नेतृत्व को केवल सत्ता प्राप्ति का माध्यम नहीं माना। उनके अनुसार नेतृत्व का उद्देश्य समाज में नैतिकता, सेवा और न्याय की स्थापना होना चाहिए। राज्य व्यवस्था की पुनर्रचना का एक सुझाव’ में जयप्रकाश नारायण ने पंचायती राज योजना के माध्यम से विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया पर बल दिया एवं साथ ही जयप्रकाश नारायण के सामाजिक एवं नेतृत्वक विचार वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है । प्रो. सुरेश शाह ने कहा कि जयप्रकाश नारायण दलविहीन लोकतंत्र के समर्थक विचारक थे। डॉ. लालिमा सिन्हा ने कहा कि जयप्रकाश नारायण गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित समाजवादी नेता थे। प्रो. रंजन कुमार ने कहा कि जय प्रकाश नारायण के सामाजिक विचारों पर राममनोहर लोहिया के सामाजिक दर्शन का प्रभाव परिलक्षित होता है राजनिति विज्ञान की छात्रा नमिता रॉय के द्वारा मंच संचालन का कार्य किया गया। उदिता, गुड़िया, दीपम, अंजली, सिमरन , हिमांशी ,नमिता, साक्षी , राफिया, आदि ने भी जे.पी के व्यक्तित्व पर भाषण के माध्यम से प्रकाश डाला । डॉ.विजय गुप्ता ने समग्र क्रांति पर जय प्रकाश नारायण के विचारों की विस्तृत चर्चा की एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। मौके पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक / शिक्षिका और छात्राएं उपस्थित थें।

शिक्षा, समस्तीपुर

राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय में हिंदी दिवस का आयोजन  

नया विचार न्यूज़ सरायरंजन : प्रखंड के नरघोघी स्थित राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय में समारोहपूर्वक हिंदी दिवस मनाया गया। इसका आयोजन महाविद्यालय के कला एवं संकाय क्लब उड़ान ने किया । समारोह में महाविद्यालय के छात्र –छात्राओं ने विभिन्न क्रियाकलापों और प्रतिस्पर्धाओं में जमकर भाग लिया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजकिशोर तुगनायत, उड़ान के फैकल्टी कॉर्डिनेटर अभय कुमार और ई सेल के अध्यक्ष तन्मय कुमार भी उपस्थित रहे । प्राचार्य ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी हमारी सांस्कृतिक धरोहर है जिसका हमें और हमारे पूरे राष्ट्र को गर्व होना चाहिए । कार्यक्रम में विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में काव्य पाठ में प्रथम शिवम , द्वितीय संस्कृति, तृतीय संदेश शिवम , क्विज में आशीष कुमार प्रथम , सजन कुमार में द्वितीय और अभिषेक कुमार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया , वाद विवाद में श्रेया राज ने प्रथम , श्रेय कुमार ने द्वितीय और संदेश शिवम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, निबंध लेखन प्रतियोगिता में अभिनव कुमार ने प्रथम , नवीन कुमार ने द्वितीय और दीप मोहन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम के आयोजन में उड़ान के कोर कॉर्डिनेटर 22 बैच के प्रेम राज शुक्ला , अभिषेक कुमार , जिया कुमारी , मुस्कान कुमारी , रोहित कुमार , निशु कुमारी ,रानी कुमारी , पंकज एवं रविरंजन का अतएव 23 बैच के कॉर्डिनेटर बसंत ,साद , कृष्ण , अभिषेक चौधरी, अभिषेक, बैजू , दिनकर , अनुष्का , निहारिका, तनु प्रिय , ऋचा , आकांक्षा , रिद्धि , मधुमिता एवं आरोही ने महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई।

शिक्षा, समस्तीपुर

समस्तीपुर में बिहार लोक सेवा आयोग के परीक्षा को लेकर जिला अधिकारी ने दिए कई निर्देश

नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर।आज समाहरणालय सभागार, समस्तीपुर में जिलाधिकारी श्री रोशन कुशवाहा की अध्यक्षता में आगामी सहायक प्रशाखा पदाधिकारी प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा (विज्ञापन संख्या-37/2025, बिहार लोक सेवा आयोग, पटना) के सफल एवं शांतिपूर्ण संचालन हेतु बैठक आयोजित की गई। यह परीक्षा दिनांक 10 सितंबर 2025 को जिले के 15 परीक्षा केंद्रों पर दोपहर 12:00 बजे से अपराह्न 2:15 बजे तक आयोजित होगी। परीक्षा की शुचिता एवं विधि-व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु कुल 08 ज़ोनल मजिस्ट्रेट एवं पुलिस पदाधिकारी तथा 20 स्टैटिक मजिस्ट्रेट एवं पुलिस पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को निष्पक्षता, पारदर्शिता एवं कड़ाई से दायित्व निर्वहन करने का निर्देश दिया। बैठक में पुलिस प्रशासन एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी भी उपस्थित रहे। जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि परीक्षा केंद्रों पर विधि-व्यवस्था के साथ-साथ आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, ताकि अभ्यर्थियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

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आरपीसीएयू पूसा में शासन-व्यवस्था पर संकट: वाइस-चांसलर पर मनमाने ढंग से अधिकारों के इस्तेमाल का आरोप

डॉ. डी.एन. सिंह ने विज़िटर को पत्र लिखकर जताई आपत्ति, बैठकें ठप और नियुक्तियों पर उठे सवाल नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (RPCAU), पूसा में शासन-प्रणाली को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, चियांकी (पलामू) के जोनल रिसर्च स्टेशन के मुख्य वैज्ञानिक एवं विश्वविद्यालय प्रोफेसर डॉ. डी.एन. सिंह ने 3 जून 2024 को विश्वविद्यालय के विज़िटर को पत्र लिखकर इस पर आपत्ति दर्ज कराई है। पत्र में कहा गया है कि अक्टूबर 2016 में स्थापित इस विश्वविद्यालय में 2017 से 2022 तक कुल 18 बैठकें हुईं — औसतन साल में तीन बैठकें। लेकिन सितंबर 2022 के अंतिम सप्ताह में वाइस-चांसलर बने डॉ. पी.एस. पांडे के कार्यकाल के 1 वर्ष 8 माह में अब तक केवल तीन ही बैठकें हो पाई हैं। डॉ. सिंह का कहना है कि RPCAU के नियम clause-12(3) of statute के अनुसार प्रशासनिक शक्तियां केवल बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (BoM) के पास होती हैं, जबकि वाइस-चांसलर केवल BoM और अन्य प्राधिकरणों (जैसे रिसर्च काउंसिल, एकेडमिक काउंसिल) के निर्देश पर कार्य कर सकते हैं। इसके बावजूद, BoM की बैठकें नहीं हो रही हैं और वाइस-चांसलर गैर-जरूरी मुद्दों पर भी BoM के अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं। इससे BoM “निष्क्रिय” होता जा रहा है। पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि 21वीं बैठक में विश्वविद्यालय ने राष्ट्रपति सचिवालय के निर्देश का उल्लंघन किया। यह मामला DARE (डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड एजुकेशन) की जांच रिपोर्ट से जुड़ा था, जिसे विज़िटर पहले ही अनुमोदित कर चुके थे। रिपोर्ट में डॉ. एस.के. पटेल (एसोसिएट प्रोफेसर, फार्म पावर एंड मशीनरी) की नियुक्ति को अवैध बताया गया था। लेकिन BoM ने DARE रिपोर्ट से अलग निष्कर्ष निकालते हुए उन्हें दोषमुक्त ठहरा दिया। पत्र में आगे कहा गया है कि BoM ने अन्य बिंदुओं (B(vii) और B(ix)) पर भी यही गलती दोहराई। RPCAU एक्ट की धारा 9(7) के तहत न तो विश्वविद्यालय और न ही BoM को DARE रिपोर्ट की समीक्षा करने का अधिकार है, क्योंकि वह पहले ही विज़िटर द्वारा अनुमोदित की जा चुकी है। डॉ. सिंह ने पत्र में स्कूल ऑफ एग्री-बिजनेस एंड रूरल मैनेजमेंट की नियुक्तियों पर भी सवाल उठाए हैं। इस संस्था को आत्मनिर्भर रूप में (ऑर्डिनेंस 19/2018) चलाया जाना था, लेकिन बड़े पैमाने पर नियुक्तियां कर दी गईं और वेतन का बोझ विश्वविद्यालय व DARE पर डाल दिया गया। इसी तरह डायरेक्टर रिसर्च की नियुक्ति को भी उन्होंने अवैध बताया है। आरोप है कि उम्मीदवार का आवेदन न तो सही चैनल से आया और न ही मूल संस्था (इंडियन शुगरकेन रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ) से एनओसी ली गई। पत्र में डॉ. सिंह ने यह भी कहा है कि उन्हें 21वीं बैठक में “कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट” का हवाला देकर शामिल होने से रोका गया, जबकि वे इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट भी नहीं थे। इसे उन्होंने वाइस-चांसलर का अवैध कदम बताया है। अंत में, पत्र में विज़िटर से अनुरोध किया गया है कि वाइस-चांसलर को निर्देशित किया जाए कि BoM की बैठक तुरंत बुलाई जाए, ताकि इन सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हो और नियमसम्मत निर्णय लिया जा सके। डॉ. डी.एन. सिंह का यह पत्र विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ढांचे में गहरी खामियों को उजागर करता है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि विज़िटर इन गंभीर आरोपों पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या RPCAU में पारदर्शिता बहाल हो पाएगी।

शिक्षा, समस्तीपुर

प्राथमिक विद्यालय भरतदास, रोसड़ा में अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन

नया विचार न्यूज़ रोसड़ा /समस्तीपुर – रोसडा़ प्रखंड क्षेत्र में शनिवार को शिक्षा विभाग पटना के निर्देशानुसार प्राथमिक विद्यालय भरतदास रोसड़ा में अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का थीम “स्पोर्ट्सो और सीखो” रखा गया था। कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों ने बताया कि स्पोर्ट्स केवल शारीरिक विकास का साधन नहीं है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक, सामाजिक विकास, अनुशासन, सहयोग की भावना, नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास जैसे महत्वपूर्ण कौशलों को भी विकसित करता है। विद्यालय प्रभारी श्रवस कुमार ने उपस्थित अभिभावकों को बच्चों की शैक्षणिक प्रगति, स्वास्थ्य, पोषण तथा “सुरक्षित शनिवार” के तहत स्वच्छता जैसे अहम मुद्दों पर संवाद साझा किया। उन्होंने कहा कि अभिभावक और शिक्षक मिलकर ही बच्चों के सर्वांगीण विकास का माहौल तैयार कर सकते हैं। इस अवसर पर नवाचारी शिक्षक राकेश कुमार ने अभिभावकों को बच्चों की सीखने की क्षमता बढ़ाने के लिए नए-नए प्रयोग और शैक्षणिक तरीकों की जानकारी दी। संगोष्ठी में विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष, सचिव, अभिभावक गण, बाल-संसद के सदस्य एवं आपदा प्रबंधन समिति के शिशु भी मौजूद थे। सभी ने विद्यालय के शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने और बच्चों के लिए आनंददायक सीखने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने पर सहमति व्यक्त की।

शिक्षा, समस्तीपुर

बिहार शिक्षा परियोजना पटना की टीम ने किया विद्यालय का निरीक्षण 

नया विचार न्यूज़ सरायरंजन : बिहार शिक्षा परियोजना पटना की टीम ने प्रखंड के अल्फा मध्य विद्यालय बी. एलौथ का औचक निरीक्षण किया। टीम का नेतृत्व आईसीटी प्रोजेक्टर मैनेजर मो.अजीम कर रहे थे। स्कूल की शिक्षण व्यवस्था देखकर राज्य स्तरीय टीम संतुष्ट हुई। एससीईआरटी की टीम ने विद्यालय में शिक्षा के स्तर, शिक्षकों के प्रदर्शन और छात्रों की सीखने की प्रक्रिया का मूल्यांकन किया। वहीं टीम ने विद्यालय की समस्याओं के समाधान में मदद करने की बात कही। इस दौरान अधिकारियों ने बताया है कि यह निरीक्षण शिक्षा विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि विद्यालय में सुधार किया जा सके और छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान की जा सके। मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक रवींद्र कुमार चौधरी,विनोद कुमार झा, अविनाश कुमार, अरुण कुमार पासवान सहित सभी शिक्षक –शिक्षिकाएं मौजूद रहे।

शिक्षा, समस्तीपुर

संत पॉल टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में एंटी-रैगिंग डे का भव्य आयोजन

नया विचार न्यूज़ बिरसिंहपुर (समस्तीपुर)- 12 अगस्त 2025 — संत पॉल टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, बिरसिंहपुर में आज एंटी-रैगिंग डे का भव्य और सफल आयोजन हुआ। इस अवसर पर कॉलेज परिवार के सभी सदस्य—प्राचार्या, समस्त सहायक प्राध्यापकगण/प्राध्यापिका और बी.एड. एवं डी.एल.एड. के प्रशिक्षु—उत्साहपूर्वक सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ दोपहर 2:00 बजे एंटी-रैगिंग शपथ के साथ हुआ। शपथ ग्रहण के दौरान कॉलेज की प्राचार्या डॉ. रोली द्विवेदी के नेतृत्व में समस्त सहायक प्राध्यापकगण/प्राध्यापिका और सभी प्रशिक्षुओं ने एक स्वर में यह संकल्प लिया कि वे अपने परिसर में रैगिंग जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों को किसी भी रूप में बढ़ावा नहीं देंगे और एक सुरक्षित, सौहार्दपूर्ण एवं सकारात्मक शैक्षिक वातावरण का निर्माण करेंगे। इसके बाद 2:15 बजे से 3:00 बजे तक पोस्टर मेकिंग एवं स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें प्रशिक्षुओं ने अत्यंत रचनात्मकता के साथ रैगिंग के दुष्परिणामों और उसके विरुद्ध जागरूकता को दर्शाते हुए पोस्टर और नारे प्रस्तुत किए। रंग-बिरंगे पोस्टरों और सारगर्भित नारों ने पूरे माहौल को जागरूकता और सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया। दोपहर 3:00 बजे प्रशिक्षु आशिष रंजन एवं कौशल कुमार द्वारा पी.पी.टी. प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्तुति में रैगिंग की परिभाषा, इसके सामाजिक और मानसिक प्रभाव, उच्चतम न्यायालय एवं यूजीसी द्वारा बनाए गए नियम-कानून तथा रैगिंग रोकथाम के व्यावहारिक उपायों पर विस्तृत चर्चा हुई। उनकी प्रस्तुति ने सभी उपस्थित लोगों को गहन विचार के लिए प्रेरित किया। 3:10 बजे से 3:20 बजे तक प्रमाणपत्र वितरण समारोह आयोजित हुआ, जिसमें प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह क्षण प्रतिभागियों के उत्साह और आत्मविश्वास को और अधिक बढ़ाने वाला रहा। कार्यक्रम के अंत में श्री मनोज कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने सभी प्रशिक्षुओं, शिक्षकगणों और आयोजन समिति के सदस्यों का आभार व्यक्त किया, साथ ही यह संदेश दिया कि रैगिंग जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक है। दोपहर 3:25 बजे राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर प्राचार्या डॉ. रोली द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि रैगिंग न केवल एक कानूनी अपराध है बल्कि यह शिक्षा के मूल उद्देश्य को भी बाधित करती है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे सदैव आपसी सम्मान, सहयोग और सौहार्द का वातावरण बनाए रखें। प्राचार्या ने यह भी सराहा कि कॉलेज परिवार ने इस दिन को केवल एक औपचारिकता न मानते हुए इसे वास्तविक जागरूकता और सकारात्मक सोच के उत्सव में बदल दिया। इस आयोजन का संचालन एंटी-रैगिंग समिति के संयोजक श्री मनोज कुमार के कुशल मार्गदर्शन में किया गया। पूरे कार्यक्रम के दौरान कॉलेज परिसर में अनुशासन, उत्साह और जागरूकता का अद्भुत संगम देखने को मिला।

बिहार, विश्लेष्ण, शिक्षा

एआई युग में शिक्षकों की भूमिका 

नया विचार न्यूज़– 21वीं सदी के तीसरे दशक में, जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) तेज़ी से शिक्षा प्रणाली में प्रवेश कर रही है, तब यह आवश्यक हो गया है कि हम शिक्षकों की पारंपरिक भूमिका पर पुनर्विचार करें। पहले जहाँ शिक्षक ज्ञान का प्रमुख स्रोत माने जाते थे, अब वह भूमिका तकनीक विशेष रूप से एआई आधारित टूल्स द्वारा साझा की जा रही है। छात्रों के पास अब स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे उपकरण हैं जिनमें वे एक क्लिक पर दुनिया भर की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। एआई टूल्स जैसे कि चैटबॉट्स, भाषा अनुवादक, वर्चुअल ट्यूटर, और ऑटोमैटिक असेसमेंट सिस्टम छात्रों को व्यक्तिगत और त्वरित सहायता प्रदान कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या शिक्षकों की भूमिका अब केवल तकनीकी सहायकों तक सीमित रह जाएगी? इस बदलते परिदृश्य में शिक्षकों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण और बहुआयामी हो गई है। एआई सूचना दे सकता है, लेकिन समझ, मूल्य, नैतिकता और सामाजिक बौद्धिक विकास जैसे पहलुओं में मानव शिक्षक की भूमिका अपरिहार्य है। शिक्षक अब केवल जानकारी देने वाले नहीं, बल्कि मॉडरेटर, मेंटर, मोटिवेटर और नैतिक मार्गदर्शक बनते जा रहे हैं। जब कोई छात्र एक एआई टूल से उत्तर प्राप्त करता है, तब उसे यह समझाने वाला चाहिए कि उस उत्तर का वास्तविक दुनिया में क्या महत्व है, क्या सीमाएं हैं, और उसमें क्या भावनात्मक या सामाजिक पहलू जुड़े हो सकते हैं। यह काम केवल एक संवेदनशील और प्रशिक्षित शिक्षक ही कर सकता है। इसके अलावा, हर छात्र की सीखने की प्रक्रिया अलग होती है। भले ही एआई “पर्सनलाइज़्ड लर्निंग” का दावा करता हो, परंतु मानवीय संवेदनाओं, रुचियों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों को समझने की जो क्षमता एक शिक्षक में होती है, वह किसी भी मशीन में नहीं हो सकती। शिक्षक छात्रों में सहानुभूति, सहयोग, नेतृत्व और आलोचनात्मक सोच जैसे गुणों का विकास करते हैं। वे क्लासरूम को केवल ज्ञान का केंद्र नहीं, बल्कि एक सामाजिक संवाद का मंच भी बनाते हैं। हालांकि, यह भी सच है कि शिक्षकों को एआई के साथ सहयोग करना सीखना होगा, न कि उससे प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। शिक्षक यदि एआई टूल्स को अपनी शिक्षण पद्धति में एक सहायक उपकरण के रूप में अपनाएं, तो न केवल छात्रों को बेहतर अनुभव मिल सकता है, बल्कि शिक्षकों का कार्यभार भी कम हो सकता है। उदाहरण के लिए, असाइनमेंट की जांच, उपस्थिति दर्ज करना, या प्रारंभिक मूल्यांकन जैसे काम एआई कर सकता है, जिससे शिक्षक छात्रों के साथ अधिक गुणवत्तापूर्ण संवाद और मार्गदर्शन में समय दे सकें। प्रशासन और शिक्षा नीति निर्माताओं को चाहिए कि वे शिक्षकों को एआई साक्षर बनाएं। उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए कि वे तकनीकी टूल्स का प्रभावी उपयोग कैसे करें और उनकी सीमाओं को कैसे समझें। साथ ही, स्कूल और कॉलेजों में ऐसी शिक्षण संस्कृति विकसित की जाए जहाँ शिक्षक और तकनीक मिलकर छात्रों की संपूर्ण शिक्षा का आधार बनें। निष्कर्षत, एआई युग में शिक्षक की भूमिका समाप्त नहीं हो रही, बल्कि और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है। जहाँ तकनीक “क्या” और “कैसे” सिखा सकती है, वहीं शिक्षक यह सिखाते हैं कि “क्यों” सीखना ज़रूरी है। भविष्य की शिक्षा प्रणाली एक ऐसे मॉडल की माँग करती है जहाँ शिक्षक और एआई साथ मिलकर एक नई पीढ़ी को तैयार करें जो न केवल ज्ञानवान हो, बल्कि विवेकशील, संवेदनशील और समाज के प्रति उत्तरदायी भी हो।

शिक्षा, समस्तीपुर

सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका” विषय पर सेमिनार सह विचार गोष्ठी आयोजित किया गया

नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर–    सर्वप्रथम आगत अतिथियों के दीप प्रज्वलन के उपरांत दिवंगत कुशेश्वर राय के तैल चित्र पर मल्यार्पण किया गया। तदुपरान्त विभूतिपुर के विधायक अजय कुमार की अध्यक्षता और राज्य मूल्यांकन परिषद के पूर्व राज्य अध्यक्ष सह पूर्व प्रधानाध्यापक शाह जफर इमाम के संचालन में सेमिनार की शुरुआत हुई जिसे मुख्य अतिथि बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ की मुख्य पत्रिका प्राच्य प्रभा के मुख्य सम्पादक विजय कुमार सिंह, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ अजीत सिंह, मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर के कुलसचिव डॉ घनश्याम राय, मिथिला संस्कृत शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ देव नारायण यादव, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय नेतृत्व विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो मुनेश्वर यादव, रवीन्द्र प्रसाद सिंह, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ समस्तीपुर जिलाध्यक्ष डॉ बालो यादव, राज्य कार्यकारिणी समिति सदस्य अरविन्द कुमार दास, निलय कुमार, प्रमंडल संयुक्त सचिव अभय कुमार,उमेश कवि, राम नन्दन सिन्हा, राम नारायण सिंह, उड़ीसा के शिक्षाविद चक्रधर सतपथी,सी पी आई (एम) के जिला सचिव रामाश्रय महतो,जनवादी स्त्री समिति की जिला सचिव बसंती कुमारी, संगीता कुमारी, जनवादी लेखक संघ के राज्य महासचिव कुमार विनिताभ, उपाध्यक्ष कासिम सबा, वरिष्ठ पत्रकार कुलभूषण,प्रधानाध्यापिका रेखा रानी, राजकुमारी, शिक्षिका अनुपम कुमारी, मधुबनी के शिक्षक नेता योगेन्द्र मंडल, दरभंगा के शिक्षक नेता राम नरेश महथा, रामाश्रय महतो, रोसड़ा अनुमंडल सचिव राम मनोहर दास, विभूतिपुर प्रखण्ड सचिव विनोद कुमार प्रभाकर, प्रखण्ड अध्यक्ष प्रियरंजन ठाकुर,गुंजेश कुमार,प्रधानाध्यापक रामप्रीत महतो,अशोक कुमार साह, गणेश पोद्दार, ने संबोधित किया। वक्ताओं ने अपने सम्बोधन में वर्तमान समय में शिक्षा की भूमिका और महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। हर तबकों के उत्थान में शिक्षा को प्रथम माना। शिक्षा के बल पर समाज, देश और दुनियां को आगे बढ़ानेवालों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर व्याख्यान दिया। शिक्षा गरीबी से मुक्ति दिलाने का रास्ता है। यह जीवन को बेहतर बनाता है। आवारा पूंजीवाद ने लोगों को सभी तरह की समस्याओं से ग्रसित कर दिया है। शिक्षा हमें संस्कार और रोजगार की ओर ले जाती है। दुनियां में शिक्षा ही वह अस्त्र है जो मानव को सबकुछ प्रदान करती है। आम लोगों से शिक्षा के क्षेत्र में अपने आपको उत्सर्ग करने का आह्वान किया। शिक्षा को वैज्ञानिक तौर तरीके से आगे बढ़ाने की अपील की। शिक्षा के सांप्रदायिकरण से लोगों को सचेत किया। धन्यवाद ज्ञापन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मर्रा बेगूसराय के प्रधानाध्यापक पंकज कुमार यादव ने किया।

शिक्षा, समस्तीपुर

व्यावसायिक शिक्षा का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है: प्रोफेसर मुश्ताक अहमद

नया विचार न्यूज़ दरभंगा। यह सत्य है कि हर युग में पारंपरिक शिक्षा की तुलना में उद्योग और व्यापार पर आधारित व्यावसायिक शिक्षा हमारी प्राथमिकताओं में रही है और वर्तमान युग में, जब पूरी दुनिया एक बाजार में तब्दील हो गई है और व्यावसायिक शिक्षा का महत्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है और सभी शिक्षण संस्थानों में व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों को शामिल करने की होड़ शुरू हो गई है। उक्त विचार सीएम कॉलेज, दरभंगा के प्रधानाचार्य प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने व्यक्त किए। प्रोफेसर अहद कॉलेज में सत्र 2025 – 28 के बीबीए और बीसीए के छात्रों के वर्ग प्रारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कॉलेज पिछले तीन दशकों से इन दोनों व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में डिग्री प्रदान कर रहा है और हमारे स्नातक छात्र देश-विदेश में अपना परचम लहरा रहे हैं। प्रोफेसर अहमद ने कहा कि सीएम कॉलेज उत्तर बिहार में बीबीए और बीसीए की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अपनी विशिष्ट पहचान रखता है और यही कारण है कि हजारों छात्र इस कॉलेज में इन दोनों पाठ्यक्रमों में सीटों के लिए इच्छुक रहते हैं। गौरतलब है कि आरक्षण नीतियों के अनुसार लिखित और मौखिक परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता है और इस तीन वर्षीय डिग्री कोर्स को पूरा करने वाले छात्र विभिन्न कंपनियों में नौकरी पाने में सफल होते हैं और कई दूसरों को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं। प्रोफेसर अशोक कुमार पोद्दार ने कहा कि बदलती परिस्थितियों के अनुसार, बीबीए और इसके छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के योग्य बनाने का हर संभव प्रयास किया जाता है और जिसके परिणामस्वरूप इस कॉलेज के ये दोनों पाठ्यक्रम लोकप्रिय हो गए हैं और इनमें प्रवेश लेने वाले उम्मीदवारों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा के योग्य बनाने की निरंतर कोशिश है और परिणामस्वरूप ये दोनों पाठ्यक्रम लोकप्रिय हो गए हैं और इनमें प्रवेश लेने वाले उम्मीदवारों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। व्यावसायिक शिक्षा की आवश्यकताएं उन क्षेत्रों से अलग है और छात्रों को इसी मानसिकता के साथ आगे बढ़ना होगा। कोर्स समन्वयक प्रो. ललित शर्मा ने कहा कि सत्र की शुरुआत के साथ कई सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू हो गए हैं प्रो. दिव्या शर्मा ने आरंभ में इन दोनों पाठ्यक्रमों के महत्व और उपयोगिता पर प्रकाश डाला और छात्राओं को महाविद्यालय परिसर में छात्रों के लिए निर्धारित नैतिक संहिता का पालन करने की सलाह दी। डॉ. शीबा शब्बीर और इंजीनियर प्रेरणा ने भी इस अवसर पर छात्राओं को संबोधित किया और वैश्वीकरण के इस युग में व्यावसायिक शिक्षा के असाधारण महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. सुजीत कुमार शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय के अन्य विभागों के शिक्षक, कर्मचारी और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे।

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