Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर एक बार फिर कड़ा व्यापारिक प्रहार किया है. व्हाइट हाउस ने घोषणा की है कि चीन को अपनी जवाबी कार्रवाई के चलते अमेरिका में अपने उत्पादों के आयात पर 245% तक रेसिप्रोकल ड्यूटी का सामना करना पड़ेगा.यह निर्णय चीन द्वारा अमेरिकी सामानों (विशेष रूप से बोइंग विमानों) की आपूर्ति पर रोक लगाने के बाद लिया गया है.
बोइंग डील से पीछे हटा चीन
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर बताया कि चीन ने बड़े बोइंग सौदे के तहत विमानों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने अपनी विमानन कंपनियों से बोइंग से डिलीवरी लेने से मना कर दिया है, जिससे अमेरिका की एयरोस्पेस इंडस्ट्री को बड़ा झटका लग सकता है.
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खनिज आयात की जांच
व्हाइट हाउस के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अमेरिका में आयातित महत्वपूर्ण प्रसंस्कृत खनिजों और उनसे बने उत्पादों पर निर्भरता को राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम के तौर पर जांचा जाएगा. ये खनिज जेट इंजन, मिसाइल, रडार और उन्नत कंप्यूटिंग जैसे रक्षा उत्पादों के लिए जरूरी हैं.
चीन ने भी बढ़ाया शुल्क, WTO में शिकायत
चीन ने अमेरिका से आयात पर अपना अतिरिक्त शुल्क 125% तक बढ़ा दिया, जो ट्रंप प्रशासन द्वारा चीनी सामान पर लगाए गए 145% टैरिफ के जवाब में है. साथ ही, चीन ने अमेरिका की टैरिफ नीति के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत भी दर्ज कराई है. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि चीन ने गैलियम, जर्मेनियम और एन्टिमनी जैसे तकनीकी खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है.
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नई नियुक्ति से चीन का कड़ा संदेश
चीन ने इस टैरिफ वॉर के बीच ली चेंगगांग को वाणिज्य मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रतिनिधि नियुक्त किया है. उनके पास WTO में चीन का नेतृत्व करने का अनुभव है और वे व्यापारिक वार्ताओं में माहिर माने जाते हैं.
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