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भारत-चीन संबंध के 75 साल

India-China relations : हिंदुस्तान और चीन के बीच सांस्कृतिक संबंध तो हजारों वर्षों का है, पर हाल ही में दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों के 75 वर्ष पूरे हुए, जो इनके रिश्तों के महत्व को बताता है. वर्ष 1950 में जवाहरलाल नेहरू और माओ त्से तुंग ने राजनयिक संबंधों की औपचारिक शुरुआत की थी, पर 1962 के युद्ध से दोनों देशों के रिश्ते लंबे समय तक ठंडे रहे.

राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने पर चीनी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने अपने हिंदुस्तानीय समकक्षों को बधाई संदेश भेजे और मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जतायी. चीन की ओर से इस गर्मजोशी का कारण ट्रंप के तेवर को माना जा रहा है, पर बीते महीने अमेरिकी एआइ रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के प्रति जो सकारात्मक टिप्पणी की थी, उसकी तारीफ ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भी की थी.

इस अवसर पर चीन के दूतावास में आयोजित कार्यक्रम में विदेश सचिव विक्रम मिस्री मुख्य अतिथि थे, जिन्होंने बोधिधर्म, कुमारजीव, जुआनजांग और रवींद्रनाथ टैगोर के योगदान को याद किया. इससे पहले तक चीनी दूतावास के कार्यक्रमों में कनिष्ठ अधिकारियों को भेजा जाता था, पर विगत अक्तूबर में मोदी और जिनपिंग रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान संबंधों की नयी शुरुआत के लिए सामने आये थे, तभी से रिश्ते सुधरे हैं. उसी महीने सैनिकों के वास्तविक नियंत्रण रेखा से पीछे हटने पर सहमति बनी, तो पिछले पांच महीनों में विदेश मंत्रियों की दो बैठकें हुईं.

विगत नवंबर में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई, तो इस वर्ष जनवरी में बीजिंग में विदेश सचिवों की बैठक हुई. नतीजतन कैलाश-मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने समेत कई फैसले लिये गये. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बेहतर संबंधों के लिए तीन सबक गिनाते हुए कहा कि दोनों सभ्यताओं ने अनूठे तरीके से मानव इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, जो समकालीन संबंधों के लिए एक सबक है. पिछले कुछ वर्षों में दोनों देश एक कठिन दौर से गुजरे हैं, पर हमारे नेताओं के मार्गदर्शन से दोनों ने सीमा क्षेत्र के कई मुद्दों को सुलझा लिया है. दूसरा सबक है कि सीमा क्षेत्रों में शांति और धीरज जरूरी है. तीसरा सबक है कि हमारे संबंधों के पुनर्निर्माण का टिकाऊ आधार आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित का त्रिस्तरीय सूत्र है. उम्मीद करनी चाहिए कि संबंधों की यह ऊष्मा आगे भी बनी रहेगी.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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